राजपथ - जनपथ
हैडिंग देने वाला नेता...
छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं में कुरूद के विधायक अजय चंद्राकर सबसे ही तीखी जुबान बोलने वाले हैं। वे सरकार और विधानसभा दोनों के कामकाज से सबसे अधिक वाकिफ लोगों में से एक हैं। उन्होंने टी.एस. सिंहदेव के उपमुख्यमंत्री घोषित किए जाने पर लिखा- माननीय टी.एस.सिंहदेव, उपमुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ (कांग्रेस शोषित) आपकी निष्ठा, सेवा, समर्पण का चार महीने के लिए गांधी परिवार ने बहुत शानदार मूल्यांकन किया है। भिश्ती राज की तरह आपको शायद एक दिन के लिए भी बना देते तो भी आप शायद अहसानमंद होते। आपको ढाई-ढाई साल की अफवाह उड़ाने की जरूरत नहीं थी।
उन्होंने इसके अलावा नंदकुमार साय पर भी बड़ा तेजाबी तंज कसा है जो कि पूरी जिंदगी भाजपा में रहकर अब कांग्रेस में चले गए हैं। इधर दिल्ली कांग्रेस ने सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनाया, उधर अगले ही दिन छत्तीसगढ़ में सिंहदेव वाले सरगुजा इलाके के ही नंदकुमार साय को सरकार ने मंत्री स्तर का निगम अध्यक्ष बना दिया। इस पर अजय चंद्राकर ने लिखा- बधाई साय जी, खून पिलाकर जो शेर पाला था, उसने सर्कस में नौकरी कर ली।
आज उन्होंने छत्तीसगढ़ कांग्रेस के बारे में लिखा है कि कांग्रेस का जो सर्कस चल रहा है उसमें अब भूपेश बघेल निर्विवाद रिंगमास्टर हो गए हैं। अब सर्कस के सभी ‘‘.......’’ उनके ही इशारों पर करतब दिखाएंगे।
कुल मिलाकर मीडिया को जब अजय चंद्राकर से बात करनी होती है तो खबर में हैंडिंग ढूंढने में दिक्कत नहीं होती।
बड़ा मैदान तो ठीक है, लेकिन भीड़ ?
केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के शनिवार को कांकेर की प्रस्तावित सभा को लेकर भाजपा में किचकिच चल रही है। पार्टी के अनुभवी स्थानीय नेताओं ने पहले सभा स्थानीय मेला ग्राऊंड में कराने का फैसला लिया था। सब कुछ उसी अनुरूप तैयारी चल रही थी। इसी बीच तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल, और पवन साय ने सभा स्थल बदलकर नरहरदेव स्कूल मैदान तय कर दिया।
पहले सभा स्थल छोटा था, और इसमें 15-20 हजार लोगों की क्षमता थी। अब जिस नरहरदेव स्कूल मैदान में सभा होनी है, और वहां एक लाख लोग आसानी से आ सकते हैं। मगर इतनी भीड़ जुटाना पार्टी नेताओं के लिए टेढ़ी खीर है। कुछ पुराने नेता बताते हैं कि कांकेर के लोग बस्तर के बाकी विधानसभा क्षेत्र की तुलना में ज्यादा जागरूक हैं। यहां तो नरेन्द्र मोदी की सभा भी फ्लॉप हो चुकी है। वह भी तब जब मोदी की लोकप्रियता 2014 में पूरे शबाब पर थी। पिछले विधानसभा चुनाव में केन्द्रीय मंत्री रामकृपाल यादव की सभा में तो 20-25 लोग ही थे। उनसे ज्यादा सुरक्षाकर्मी तैनात थे।
बताते हैं कि कुछ प्रमुख नेताओं ने वस्तु स्थिति से जामवाल को अवगत कराया। इसके बाद प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों से प्रमुख नेताओं को बुलाकर सभा को सफल बनाने की जिम्मेदारी दी गई। अब भीड़ कम न दिखे, यह सोचकर मैदान का आधा हिस्सा पार्किंग आदि के लिए बना दिया गया है। फिर भी बारिश के मौसम में 20-25 हजार की भीड़ लाना भी आसान नहीं है। अब देखना है कि सभा में अपेक्षाकृत भीड़ जुट पाती है अथवा नहीं।
जंगल में अफसरों का मंगल
वन विभाग में दो डीएफओ व दो-तीन रेंजरों के वित्तीय अधिकार वापस लेने, और फिर बाद में फैसले को पलटने के आदेश से काफी हलचल है। यही नहीं, एक महिला डीएफओ पर रेंजर ने तो लाखों रुपए की बेगारी कराने का आरोप लगाकर थाने तक चले गए। एक के बाद एक विभाग में भ्रष्टाचार के प्रकरण आने से सरकार के रणनीतिकार भी चिंतित हैं।
दिलचस्प बात यह है कि ये सारी गड़बडिय़ां विभागीय अफसरों की आपसी खींचतान की वजह से उजागर हुई हैं। चर्चा है कि खुद दाऊजी ने प्रभारी पीसीसीएफ से बातचीत की है, और इन गड़बडिय़ों को लेकर उन्हें चेताया भी है। हल्ला तो यह भी है कि इन गड़बडिय़ों के चलते ही पीसीसीएफ की डीपीसी रूक गई है। जबकि कागजी कार्रवाई पूरी कर डीपीसी के लिए फाइल हफ्तेभर पहले सीएस को भेजी जा चुकी है। देखना है आगे क्या कुछ होता है।
सीजी पुलिस को सीखने की जरूरत
सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो पर मुंबई पुलिस ने जो कार्रवाई की वह यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाने वालों को तो सबक सिखाती ही है, छत्तीसगढ़ और देश के दूसरे राज्यों की पुलिस भी सीख ले सकती है। 40 साल के एक शख्स ने अपने स्कूटर पर 7 बच्चों को बैठाया और भीड़ भरी सडक़ पर निकल गया। पीछे चल रहे एक दूसरे व्यक्ति ने उसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया और लिखा- यह गैर जिम्मेदार पागल एक स्कूटर पर 7 बच्चों के साथ सवारी कर रहा है। बच्चों की जान जोखिम में डालने के लिए उसे तुरंत गिरफ्तार करना चाहिए और इन बच्चों के माता-पिता पर भी मुकदमा चलाया जाना चाहिए। यूजर ने मुंबई के पुलिस कमिश्नर और मुख्यमंत्री को अपना ट्वीट टैग किया। इलाके की पुलिस एक्शन में आई। उसने आरोपी के खिलाफ मोटरयान अधिनियम के अलावा गैर इरादतन हत्या के प्रयास का अपराध आईपीसी 308 दर्ज किया। उसे गिरफ्तार कर लिया गया, कोर्ट ने उसे जमानत नहीं दी, जेल भेज दिया गया।
छत्तीसगढ़ की बात करें इन दिनों बर्थडे पार्टी और नेताओं के स्वागत में सडक़ों पर झूमते गाते चार पहिया दोपहिया सवार दिखाई देते हैं, प्रेमी जोड़े बाइक पर ही जिमनास्टिक करते हैं। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस खोजबीन करके ऐसे कुछ मामलों में कार्रवाई भी कर रही है। दूसरी हाल के दिनों में प्रदेश के किसी भी जिले की बड़ी दुर्घटना पर नजर डालिए। ट्रैक्टर ट्राली, मालवाहक मिनी डोर आदि वाहनों में सामान की तरह सवारी ढोए जाते हैं। एक साथ 4, 6 या 10 मौतें हो रही हैं। याद नहीं आता कि छत्तीसगढ़ पुलिस ने कभी दुर्घटनाओं के बाद भी ऐसी गाडिय़ों के चालकों और मालिकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 308 का इस्तेमाल किया हो। मुंबई पुलिस ने तो दुर्घटना हुए बिना ही यह कार्रवाई कर दी और आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया। अपने प्रदेश में रोजाना थाना, एसपी और कलेक्टर ऑफिस के सामने से, पुलिस गश्त वाले चौक चौराहे से लोगों से लदी मालवाहक गाडिय़ां गुजरती हैं। यदि पुलिस इन सब पर मुंबई पुलिस की तरह, नजराना लेने के बजाय कार्रवाई शुरू कर दे तो सडक़ दुर्घटनाओं में काफी हद तक कमी आ जाएगी।
साहू के लिए साव की हमदर्दी
सन् 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस से मुख्यमंत्री पद के लिए तीन दावेदार थे। उनमें भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के अलावा ताम्रध्वज साहू का नाम भी था। उस वक्त ऐसी चर्चा चली थी कि उनके समाज के राष्ट्रीय पदाधिकारी भी ताम्रध्वज को फाइनल कराने लॉबिंग कर रहे थे। पर बाद में वे रेस से बाहर हो गए। बघेल के शपथ ग्रहण के साथ ही चर्चा चल रही थी कि क्या मंत्रिमंडल में एक या दो डिप्टी सीएम होंगे, पर ऐसा हुआ नहीं।
इधऱ सिंहदेव को उप-मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद भाजपा नेताओं की लगातार प्रतिक्रिया आ रही है। इसी दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव का बयान आया है। वे कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री पद के दावेदार तो ताम्रध्वज भी थे। उनसे क्या गलती हो गई जो उन्हें डिप्टी सीएम बनने का मौका नहीं मिला?
साव की इस हमदर्दी की वजह है। बीते विधानसभा चुनाव में साहू समाज के वोट भी पिछड़ा वर्ग के बाकी मतों की तरह कांग्रेस के साथ आ गए थे, जबकि भाजपा मानती है कि साहू समाज उनके साथ रहता आया है। 2018 में भाजपा ने साहू समाज के 14 प्रत्याशी खड़े किए थे, लेकिन इनमें से केवल एक धमतरी सीट पर रंजना साहू को जीत मिल सकी बाकी 13 हार गए। इनमें तब के विधायक चंद्रशेखर साहू, अशोक साहू जैसे वरिष्ठ नेता भी थे। प्रदेश में अगर 52त्न ओबीसी वोट हैं तो उनमें 22त्न साहू समाज का कहा जाता है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव भी साहू समाज से आते हैं। दो दशक से अधिक समय तक प्रदेश साहू समाज के अध्यक्ष रहे ताम्रध्वज की अपने समाज में अच्छी पैठ है। उन्हें डिप्टी सीएम नहीं बनाकर कांग्रेस ने साहू समाज की उपेक्षा की, साव का यही संदेश दिखाई पड़ता है कि उनके समाज के लोग पहले की तरह बीजेपी की ओर लौट आएं।
टमाटर के जवाब में कमरख
हर किसी का भाव एक दिन गिरता है, फिर ऊपर भी उठता है। कभी 5 -10 रुपए में मिलने वाला टमाटर अभी 100 और 120 रुपये किलो पहुंच गया है। सितंबर से फिर दाम गिरने लगेंगे। इस वक्त तो लोग बताने लगे हैं कि बारिश के दिनों में टमाटर नहीं खाना चाहिए, कई तरह की बीमारी हो जाती है। कुछ लोगों ने टमाटर का विकल्प भी सुझाया है। यह है कमरख, जिसे स्टार फ्रूट भी कहा जाता है। यह औषधीय फल में गिना जाता है। हृदय रोग, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, वात रोग में कारगर है। इसे अलग से भी खाया जा सकता है, सब्जी में मिलाने से टमाटर की कमी दूर भी की जा सकती है। कीमत सिर्फ 10 से 15 रुपये किलो है। पर यह फल हर जगह नहीं मिलता। जंगलों में होता है। वहां से जहां तक के बाजारों में पहुंच जाए, उपलब्ध रहता है। यह तस्वीर पेंड्रा रोड के एक किसान के बगीचे से ली गई है।