राजपथ - जनपथ
जोगी पार्टी का विलय इस तरह टला
आखिरकार दिवंगत पूर्व सीएम अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस का तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव की पार्टी बीआरएस में विलय टल गया। अब जनता कांग्रेस ने ऐलान कर दिया है कि पार्टी सर्वआदिवासी समाज और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ेगी।
सब कुछ तय होने के बाद भी जनता कांग्रेस का बीआरएस में विलय क्यों नहीं हो पाया, इसको लेकर किस्से छनकर बाहर आ रहे हैं। बताते हैं कि अमित जोगी की चंद्रशेखर राव से चर्चा के बाद जनता कांग्रेस के 25 नेताओं का फ्लाइट से हैदराबाद जाने का कार्यक्रम तय हुआ था।
यही नहीं, 4 बस से जनता कांग्रेस के कार्यकर्ता हैदराबाद जाने वाले थे। मगर नियत तिथि के 4 दिन पहले ही बीआरएस के रणनीतिकारों ने जनता कांग्रेस के लोगों का फोन उठाना बंद कर दिया। इसके बाद विलय के कार्यक्रम को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई थी बीआरएस नेताओं का बदला रूख जनता कांग्रेस के नेताओं को समझ नहीं आया। इसके बाद जनता कांग्रेस के मुखिया अमित जोगी को बीआरएस में विलय नहीं करने का ऐलान करना पड़ा।
नए जिले नए मौके
विधानसभा चुनाव के चलते कांग्रेस नए जिलों, मानपुर-मोहला, खैरागढ़, बिलाईगढ़-सारंगढ़, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी, और सक्ती में संगठन का ढांचा तैयार कर रही है। अगले कुछ दिनों में इन सभी जिलों में अध्यक्षों का ऐलान किया जा सकता है। इस सिलसिले में प्रदेश प्रभारी शैलजा की प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम, और सीएम भूपेश बघेल के साथ अन्य बड़े नेताओं से चर्चा हो चुकी है। चर्चा में कुछ प्रमुख नेताओं को जिला प्रभारी बनाने का भी फैसला हुआ है।
स्थानीय को महत्व का मौसम
प्रदेश भाजपा ने राष्ट्रीय नेताओं के स्वागत के लिए नई व्यवस्था बनाई है। किसी जिले में पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं के आगमन पर स्वागत के लिए सिर्फ उसी संभाग के नेता ही रहेंगे। मसलन, राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्?ा बिलासपुर आए तो स्वागत के लिए सिर्फ बिलासपुर संभाग के प्रमुख नेता ही थे। सिर्फ पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के नाते हर जगह रहने की छूट है।
अमित शाह दुर्ग पहुंंचे, तो वहां भी दुर्ग संभाग के नेता ही स्वागत के लिए आए थे। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि नई व्यवस्था से स्थानीय प्रमुख नेताओं को राष्ट्रीय नेताओं से रूबरू होने का मौका मिल रहा है। साथ ही राष्ट्रीय नेता भी अन्य स्थानीय प्रमुख नेताओं से काफी कुछ जानकारी ले पा रहे हैं। कुल मिलाकर इससे एक अच्छा संदेश गया है।
हजारों शिकायतें, कार्रवाई जीरो
राजधानी रायपुर में रहते हुए यदि आप में चिड़चिड़ापन, क्रोध, हाई ब्लड प्रेशर, अनिद्रा और डिप्रेशन जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं, सुनाई कम दे रहा हो तो अचरज की बात नहीं है। डायल 112 टीम ने पुलिस कप्तान को जो रिपोर्ट भेजी है उसमें इसकी वजह छिपी है। पत्र बताता है कि 1 जनवरी 2023 से 13 जून 2023 तक डायल 112 को ध्वनि विस्तारक यंत्रों से प्रदूषण फैलने की दो चार नहीं बल्कि कुल 2241 शिकायतें मिलीं। अब इनमें कार्रवाई क्या हुई? पत्र में यह भी बताया गया है। संबंधित थाना क्षेत्रों से पुलिस टीम पहुंची, विस्तारक यंत्रों को तत्काल बंद करवाया गया और समझाया कि इसकी पुनरावृत्ति नहीं हो।
हजारों शिकायतें आने के बावजूद पुलिस और प्रदूषण निवारण बोर्ड बहुत उदार है। वरना, कोलाहल अधिनियम नियम 1985 की धारा 15 (1) के तहत इसमें 6 माह तक के कारावास की अथवा 1000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है।
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जबरदस्ती की पेनाल्टी
पैन कार्ड को आधार कार्ड के साथ लिंक कराने की अंतिम तिथि 30 जून को समाप्त हो गई। हजारों लोग इस प्रक्रिया को पूरी नहीं कर पाए। पहले सरकार ने बैंक खाते के साथ आधार कार्ड को अनिवार्य किया फिर पैन कार्ड के लिए जरूरी बताया। अब आधार कार्ड और पैन कार्ड को एक दूसरे से लिंक करना जरूरी किया गया है। इस प्रक्रिया को पूरी नहीं कर पाने वाले लोगों के लिए अब आगे एक हजार रुपए की फीस तय की गई है। यदि आयकर रिटर्न भरते हैं तो 10 हजार रुपए की पेनाल्टी भी देनी पड़ सकती है। मिडिल क्लास के वे लोग जो प्रयास के बावजूद लिंक नहीं करा पाए उनको पेनल्टी की बात नहीं जंच रही है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की वेबसाइट ठप होने के पीछे उनकी गलती नहीं है फिर भी उन्हें जुर्माना देना पड़ेगा।
चुनाव से पहले भर पायेंगे पद?
शिक्षक भर्ती के लिए जारी प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। इससे मालूम होता है कि पीएससी की तरह व्यावसायिक परीक्षा मंडल भी युवाओं से खिलवाड़ करने के मामले में पीछे नहीं। यह सामान्य सी बात थी कि विज्ञापन सेवा भर्ती नियमों को ध्यान में रखते हुए जारी किया जाना था। 2019 में लागू नियम में अतिथि शिक्षकों को बोनस अंक देने का कोई प्रावधान ही नहीं है। अतिथि शिक्षकों की ओर से यह मांग थी लेकिन बिना नियम बदले यह जोड़ा गया। इसके अलावा यह भी साफ करना जरूरी था कि किस विषय में कितने खाली पद हैं। दोनों पर नियम स्पष्ट हैं। भर्ती विज्ञापन जारी करने की प्रक्रिया में इन्हें लेकर त्रुटि होने की कोई गुंजाइश नहीं थी। आरक्षण में 58 प्रतिशत पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक मीटिंग ली थी और उसके बाद कहा था खाली पदों पर मिशन मोड में हजारों भर्तियां की जाएंगी। इसके बाद कई विज्ञापन जारी हो चुके और लगातार आगे निकल रहे हैं। पर शिक्षाकर्मी भर्ती के विज्ञापन में बरती गई लापरवाही यदि आगे के विज्ञापनों में भी कायम रही तो फिर अगले चुनाव के बाद ही कुछ हो पाएगा। ([email protected])