राजपथ - जनपथ
केंद्र में छत्तीसगढ़ से मंत्री...
केन्द्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की चर्चा है। इसमें प्रदेश भाजपा के लोग छत्तीसगढ़ को और प्रतिनिधित्व मिलने की उम्मीद से हैं। कहा जा रहा है कि जिन पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं, उनमें छत्तीसगढ़ में अभी भी पार्टी की स्थिति अच्छी नहीं है, इसको लेकर केन्द्रीय नेतृत्व फिक्रमंद है। यही वजह है कि पार्टी यहां के सामाजिक और राजनीतिक समीकरण को साधने के लिए एक-दो नए चेहरों को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में जगह दे सकती है।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ से सरगुजा की सांसद रेणुका सिंह केन्द्र में अकेली मंत्री हैं। मगर अब तक वो कोई प्रभाव छोडऩे में विफल रही हैं। वो सरगुजा तक ही सीमित रह गई हैं। और तो और उनके अपने इलाके सरगुजा में पार्टी की स्थिति अच्छी नहीं रह गई है। पहले पार्टी को दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय के साथ छोडऩे से झटका लगा, और अब नाराज चल रहे टीएस सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाकर कांग्रेस ने भाजपा के रणनीतिकारों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। सिंहदेव के देर सवेर कांग्रेस छोडक़र भाजपा में शामिल होने, और न होने की स्थिति में बाहरी मदद की अटकलें लगाई जा रही थीं।
सरगुजा में 14 विधानसभा की सीटों में भाजपा के पास एक भी सीट नहीं है। यहां कांग्रेस अब भी मजबूत स्थिति में दिख रही है। ऐसे में भाजपा के भीतर केन्द्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देकर पार्टी की स्थिति को मजबूत करने पर मंथन चल रहा है। चर्चा है कि रेणुका सिंह की जगह रायगढ़ की सांसद गोमती साय को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। गोमती साय को पार्टी के लोग रेणुका की तुलना में ज्यादा सक्रिय और मिलनसार मानते हैं।
दूसरी तरफ, ओबीसी चेहरे के रूप में विजय बघेल के नाम की भी चर्चा है। विजय काफी मुखर हैं, और सीएम भूपेश बघेल के नजदीकी रिश्तेदार हैं। वो विधानसभा चुनाव में एक बार भूपेश बघेल को हरा भी चुके हैं। विजय लोकसभा चुनाव में प्रदेश से सबसे ज्यादा वोट से जीते थे। इसके अलावा जांजगीर-चांपा से दूसरी बार के सांसद गुहा राम अजगल्ले का नाम भी उभरा है। अजगल्ले को मंत्री बनाकर अजा वोटों को साधने की कोशिश हो सकती है। इसी तरह राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय का नाम भी चर्चा में है।
गौर करने लायक बात यह है कि छत्तीसगढ़ से केंद्र की अटल सरकार को छोडक़र बाद की सरकारों में एक मंत्री ही रहे हैं। यूपीए-1 में तो किसी को मंत्री नहीं बनाया गया था। जबकि उस समय मोतीलाल वोरा राज्यसभा, अजीत जोगी, और देवव्रत सिंह लोकसभा के सदस्य थे। अलबत्ता, यूपीए-2 में डॉ. चरणदास महंत को राज्यमंत्री के रूप में जगह दी गई। मोदी सरकार में भी अब तक यही परंपरा जारी रही। पिछली सरकार में विष्णुदेव साय मंत्री थे। और वर्तमान में रेणुका सिंह हैं। जबकि अटल सरकार में छत्तीसगढ़ से रमेश बैस, दिलीप सिंह जूदेव, और डॉ. रमन सिंह को मंत्री बनाया गया था। पार्टी के अंदर खाने में चर्चा है कि बदलाव के साथ-साथ यहां से एक से अधिक मंत्री हो सकते हैं। देखना है आगे क्या होता है।
नेवले से निपटने के बाद नाग
बारिश का मौसम शुरू हो चुका है। गांवों में सर्पदंश की घटनाएं सामने आ रही हैं और भिन्न-भिन्न प्रजातियों के सांप दिख रहे हैं। सांप से निपटने में सबसे कारगर जीव है नेवला। दोनों के बीच जाती दुश्मनी को देखते हुए कई लोग नेवला पालकर सांपों से अपना बचाव करते हैं। नेवला जब सांप को दबोच ले तो उसके शरीर को रस्सी के टुकड़ों की तरह काट डालता है। पर जरूरी नहीं हर बार नेवला भारी पड़े। कई बार वह सांप पर काबू पाने में विफल होता है तो अपनी लंबी सी दुम दबाकर भाग खड़ा भी होता है। यह मुंगेली जिले के तुलसीकापा गांव की तस्वीर है, जो 2 जुलाई को दोपहर 2 बजे ली गई। अपने स्वाभाविक प्राकृतिक आवास में रह रहे नाग पर नेवले ने अचानक हमला बोल दिया। पर नाग ने उसके छक्के छुड़ा दिए। नेवला भाग गया, नाग थककर आराम कर रहा है, साथ ही सतर्क भी है।
2024 के लिए प्रचार कर गए केजरीवाल
छत्तीसगढ़ में पैर जमाने की कोशिश कर रही आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान 2 जुलाई को बिलासपुर की जनसभा में शामिल हुए। केजरीवाल के पहले भगवंत मान और राष्ट्रीय महामंत्री सांसद संदीप पाठक ने तो छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को घेरा पर केजरीवाल ने छत्तीसगढ़ के मुद्दे को छुआ ही नहीं। अपनी पार्टी की रीति-नीति के मुताबिक वे कांग्रेस-भाजपा दोनों को जरूर ‘लुटेरा’ कह रहे थे पर छत्तीसगढ़ सरकार के कामकाज पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की और न ही मुख्यमंत्री या किसी मंत्री पर कोई हमला किया। उनका तीन चौथाई भाषण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भ्रष्ट, अहंकारी और अनपढ़ बताने पर केंद्रित था। ज्यादा तीखी टिप्पणी कर सकें, इसके लिए उन्होंने एक राजा की कहानी के माध्यम से बात कही। केजरीवाल की बघेल और कांग्रेस के प्रति नरमी की लोगों में चर्चा रही। कुछ दिन पहले केजरीवाल ने जब समान नागरिक संहिता का समर्थन करने का ऐलान किया तो लोगों ने यह कयास लगाना शुरू कर दिया कि वे दिल्ली से जुड़े अध्यादेश पर केंद्र से कोई सौदेबाजी की कोशिश कर रहे हैं। पर, यहां के भाषण में सब उल्टा ही दिखा।
आप के एटीएम बनेंगे मान?
मिशन 2023 के लिए आम आदमी पार्टी की छत्तीसगढ़ इकाई ने अपने शीर्ष नेताओं के स्वागत की भव्य तैयारी की। बिना खलल पूरा कार्यक्रम सफल हो, इसके लिए वाटरफ्रूफ शामियाने का इंतजाम भी किया गया था। तैयारी कांग्रेस, भाजपा के मुकाबले फीकी बिल्कुल नहीं थी। गाडिय़ों का काफिला भी उनके कार्यक्रमों की तरह नजर आ रहा था। केजरीवाल के साथ आए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की मौजूदगी ने कार्यकर्ताओं में और जोश भर दिया था। भाषण के दौरान मान ने रौ में एक लाइन और बोल दी, मंच पर बैठे संदीप पाठक की तरफ देखते हुए- आप पैसे की बिल्कुल चिंता मत करना। मान ने उस बात को दोहराया नहीं, न ही आगे पीछे कोई संदर्भ जोड़ा। इसलिये वे किस बारे में पाठक से यह कह गए, क्या अनायास ही मुंह से निकल गया? एक अटकल यह भी लगाई गई कि मान ने उनको चुनाव अभियान में संसाधनों की कमी नहीं होने का आश्वासन दिया है।