राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : बीजेपी में कद की घट-बढ़
09-Jul-2023 4:39 PM
	 राजपथ-जनपथ : बीजेपी में कद की घट-बढ़

बीजेपी में कद की घट-बढ़ 

विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने प्रदेश के दो बड़े नेता विष्णुदेव साय, और धरमलाल कौशिक को बड़ी जिम्मेदारी दी है। उन्हें  राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया है। दोनों को ही साल भर पहले क्रमश:  प्रदेश अध्यक्ष, और नेता प्रतिपक्ष पद से हटाया गया था। 

पार्टी हाईकमान ने विभिन्न राज्यों के 10 बड़े नेताओं को राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह दी है। ये वो नेता है जो अपने राज्य में प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं या फिर पार्टी से नाराज चल रहे हैं। विष्णुदेव साय को तो प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के बाद राष्ट्रीय कार्यसमिति में विशेष आमंत्रित सदस्य बना दिया गया था। अब उन्हें प्रमोट कर राष्ट्रीय कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया है। 

बताते हैं कि अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदकुमार साय के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से आदिवासी वर्ग को साधने के लिए जोरदार कोशिश चल रही है। विष्णुदेव साय भी जशपुर  जिले से आते हैं। ऐसे में उनके प्रमोशन को डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। 

इसी तरह धरमलाल कौशिक के नेता प्रतिपक्ष पद से हटने के बाद पार्टी में उन्हें अहम जिम्मेदारी मिली है। कौशिक, अमित शाह की कुछ दिनों पहले हुई बैठक  में भी थे। जबकि इस बैठक में राज्यसभा सदस्य सरोज पाण्डेय, बृजमोहन अग्रवाल, अजय चंद्राकर, और पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल तक को नहीं बुलाया गया था। अब उनकी नियुक्ति को पार्टी के भीतर उनके बढ़ते कद के रूप में भी देखा जा रहा है। 

गडक़री को भी मिली तालियां

पीएम नरेंद्र मोदी की सभा में किसी नेता के प्रति लोगों में विशेष आकर्षण देखने को मिला वो थे केन्द्रीय सडक़-परिवहन मंत्री नितिन गडकरी। मोदी के बाद सबसे ज्यादा ताली गडकरी के स्वागत में बजी। 

गडकरी यहां आए, तो प्रदेश के नेताओं से आत्मीयता से मुलाकात की। इसके बाद पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर को अलग ले जाकर विधानसभा चुनाव की तैयारियों, और पार्टी की स्थिति पर काफी देर चर्चा की। 

गडकरी की पहल पर प्रदेश में हजारों करोड़ का सडक़ निर्माण हो रहा है। भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक सिक्स लेन सडक़ का निर्माण हो रहा है। इससे रायपुर से विशाखापटनम की दूरी 4 घंटे में तय की जा सकेगी। गडकरी पारदर्शिता, और समय सीमा में काम करने के लिए जाने जाते हैं। ऐसे में उनका जोरदार स्वागत होना ही था। 

एयरो सिटी टेक ऑफ नहीं कर पाई 

राज्य सरकार की एक महत्वाकांक्षी एयरो सिटी प्रोजेक्ट लफड़े में फंस गई है। सरकार ने दिल्ली, और अन्य महानगरों की तरह एयरपोर्ट के समीप आवासीय-व्यावसायिक परियोजना की आधारशिला रखी थी। इसके लिए बजट में राशि का प्रावधान भी किया गया था। मगर जमीन विवाद की वजह से परियोजना आकार नहीं ले पा रही है। 

बताते हैं कि पहले 214 एकड़ जमीन पर एयरो सिटी बनाने की योजना तैयार की गई थी। मगर प्रस्तावित क्षेत्र में जमीन का बड़ा हिस्सा एक धार्मिक संस्था का निकल गया। धार्मिक संस्था से जमीन लेने, और उचित मुआवजा देने के लिए बैकडोर चैनल से चर्चा भी की गई। मगर संस्था जमीन देने के लिए तैयार नहीं हुई। 

चुनावी साल है। संस्था से प्रदेश में लाखों लोग जुड़े हैं। ऐसे में जोर जबरदस्ती कर जमीन अधिग्रहण करना जोखिम भरा हो गया था। इसके बाद 25 एकड़ अलग जमीन छाँटकर पहले फेस का काम शुरू करने का फैसला लिया गया। मगर प्रोजेक्ट पर सलाह देने के लिए कोई भी कंपनी आगे नहीं आई। दो बार विज्ञापन जारी हो चुके हैं। अब बारिश भी शुरू हो गई है। ऐसे में अब प्रोजेक्ट पर फैसला अगली सरकार में शुरू होने की उम्मीद है। 

बात मनवाने का अचूक तरीका

जैसे-जैसे नेशनल हाईवे बनते जा रहे हैं, नए-नए टोल नाके भी तैयार हो रहे हैं। रोजाना कई बार गुजरने वाले, टोल नाका के आसपास के शहरों के रहने वालों के लिए यह एक नया खर्च बनता जा रहा है। बीते दिनों दुर्ग राजनांदगांव बाईपास के टोल नाके में भिलाई कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की गाड़ी को रोका गया, तब बड़ा हंगामा हो गया। टोल नाके में जमकर तोडफ़ोड़ की गई। बैरियर, फास्ट टैग रीडर, कैमरा और बूथ का कांच भी तोड़ दिया गया। नतीजा यह निकला कि सीजी 07 नंबर की गाडिय़ों को यहां से अब बिना टोल टैक्स गुजरने की अनुमति दे दी गई है। इस घटना के बाद लोग कुम्हारी के टोल नाके में हो रही वसूली को लेकर भी सवाल उठाने लगे हैं। दुर्ग राजनांदगांव बाईपास की यहां भी किसी दमदार नेता की दखल का इंतजार हो रहा है।

गुलाब को चुनौती देता कुकुरमुत्ता

चैतुरगढ़ की पहाड़ी पर सावन की बौझार में उगे इस दुर्लभ कुकुरमुत्ते की जोड़ी की सुंदरता को देखिए ।इसकी आभा को यह हक है कि वह फूलों के राजा के अस्तित्व को चुनौती दे सके। इस कुकुरमुत्ते की फोटो यू-ट्यूबर दीपक पटेल ने खींची है,जो इस समय प्रकृति को करीब से महसूस करने समझने, 3060 फीट ऊंची पहाड़ पर कैम्पिंग कर रहे हैं।

ट्रेनों के एसी कोच भी बदहाल 

रेलवे वंदे भारत एक्सप्रेस और दूसरी प्रीमियम ट्रेनों का किराया सीटें खाली होने की दशा में 25 प्रतिशत तक कम करने जा रही है। सफर में ज्यादा खर्च करने की हैसियत रखने वाले यात्रियों के लिए यह एक अच्छी सहूलियत होगी और रेलवे की भी आमदनी बढ़ेगी। दूसरी तरफ जनरल और स्लीपर के यात्री डिब्बों के भीतर पसरी अव्यवस्थाओं से परेशान होते हैं। ऐसा लगता है कि रेलवे जनरल भोगियों की हालत सुधारने के बजाय एसी डिब्बों में भी वही अव्यवस्था कायम करके बताना चाहती है कि यात्रियों में वह भेदभाव नहीं कर रही है। छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली हटिया कुर्ला एक्सप्रेस के एसी-2 के एक यात्री ने आज सोशल मीडिया पर अपनी परेशानी जाहिर की है। कोच में कचरा बिखरा पड़ा है और सभी टॉयलेट जाम हैं। दोपहर तक सफाई के लिए कोई नहीं पहुंचा। ऑनलाइन शिकायत का कोई हल नहीं निकला। लोग ऐसी टू की टिकट लेकर इसीलिए सफर करते हैं कि वहां कोच वॉश, बेसिन, टॉयलेट साफ-सुथरे मिल जाते हैं। मगर अब तो रेलवे ने अनेक ट्रेनों से सफाई कर्मचारियों को भी बाहर कर दिया है। यकीन है कि जो वंदे भारत और राजधानी जैसी ट्रेनों में किराया कम करने की घोषणा हुई है उसके बाद इन ट्रेनों की भी हालत दूसरे ट्रेनों के जैसी नहीं होगी।

मिले तो मगर दूरी बनी रही

स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के उप-मुख्यमंत्री बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ पहला दौरा 8 जुलाई को होने वाला था लेकिन मौसम की खराबी के चलते यह दौरान रद्द कर दिया गया। फिर मेडिकल कॉलेज के निर्धारित कार्यक्रम में दोनों वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जुड़े इसके बाद उन्होंने बूथ मैनेजमेंट की ट्रेनिंग के लिए रखी गई कार्यकर्ताओं की बैठक में शामिल हुए। मुख्यमंत्री बघेल सरगुजा में बूथ प्रबंधन की तैयारी देखकर काफी प्रभावित हुए और उन्होंने सिंहदेव की प्रशंसा की। कुछ दिन पहले तक जो सिंहदेव समर्थक कार्यकर्ता पार्टी और सरकारी कार्यक्रमों में अलग-अलग है दिखाई देते थे, कल वे उत्साहित नजर आ रहे थे। ऐसा लगने लगा कि सरगुजा में कांग्रेस के भीतर गुटबाजी खत्म हो गई है। पर यह भ्रम कार्यक्रम खत्म होने के बाद टूट गया, जब खाद्य मंत्री अमरजीत भगत और सिंहदेव के समर्थक अलग-अलग झुंड बनाकर बतियाते दिखे।
यानी जमीनी स्तर पर कांग्रेस की गुटबाजी खत्म नहीं हो पाई है। और कांग्रेसका जैसा है कल्चर रहा है यह समस्या चुनाव नजदीक आने तक दूर हो जाएगी कैसा लगता नहीं।

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