राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : दीपक बैज की खूबियां
13-Jul-2023 4:12 PM
	 राजपथ-जनपथ : दीपक बैज की खूबियां

दीपक बैज की खूबियां

बस्तर में कभी टाटा स्टील की स्थापना के लिए मुहिम के अगुवा रहे बस्तर सांसद दीपक बैज छत्तीसगढ़ कांग्रेस की कमान सौंपी गई है। दीपक युवक कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय रहे है, और दो बार चित्रकोट सीट से विधायक भी रहे। दीपक को राहुल गांधी की पसंद माना जाता है। 

बताते हैं कि दीपक ने ही अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष नंदकुमार साय को कांग्रेस में लाने में पर्दे के पीछे अहम भूमिका निभाई थी। और तो और साय के भाजपा प्रवेश की खबर उड़ी, तो भाजपा के बड़े नेता उन्हें होटल-सर्किट हाउस, और उनके रायपुर से लेकर जशपुर बंगले तक तलाशते रहे, लेकिन साय, दीपक के रायपुर स्थित निवास पर थे। फिर अगले दिन साय ने सीएम, और अन्य प्रमुख नेताओं की मौजूदगी में कांग्रेस प्रवेश कर लिया। 

दीपक को सीएम भूपेश बघेल के साथ-साथ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत का भी भरोसा हासिल है। और पार्टी हल्कों में ये चर्चा है कि दीपक के अध्यक्ष बनने से विशेषकर बस्तर में पार्टी को काफी फायदा होगा। जहां चर्च जलाने, और धर्मांतरण जैसे विवादों के चलते पार्टी को नुकसान का अंदेशा जताया जा रहा था। देखना है आगे क्या होता है।

बृजमोहन का दिल्ली दौरा 

पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल दिल्ली में हैं। उनकी गुरुवार को सुबह-सुबह केन्द्र के ताकतवर मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से लंबी चर्चा हुई है। प्रधान लंबे समय तक छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी रहे हैं। कहा जा रहा है कि बृजमोहन ने धर्मेन्द्र से वर्तमान में पार्टी की स्थिति, और आगे की रणनीति पर फीडबैक दिया है। धर्मेन्द्र, अमित शाह के साथ छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों की चुनाव तैयारियों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। बृजमोहन के सुझावों पर पार्टी कितना अमल करती है, यह देखना है। 

फ्लाई ऐश से पटा कोरबा

कोरबा के बिजली संयंत्रों से हर रोज करीब दो लाख टन राख का उत्सर्जन होता है। राखड़ के निष्पादन के लिए जगह निर्धारित है लेकिन पिछले कुछ समय से परिवहन खर्च बचाने के लिए शहर, गांव के किसी भी छोर में सडक़ के किनारे या कोई भी खाली जगह दिखते ही राखड़ गिराया जा रहा है। प्रदूषण और सेहत की समस्या गहरा रही है। बेतरतीब डंपिंग को लेकर लोग गुस्से में हैं। हाईकोर्ट में इसे लेकर जनहित याचिका दायर की जा चुकी है, जिस पर न्याय मित्रों ने एक रिपोर्ट भी बनाई है। मामले की सुनवाई चल रही है। सांसद सरोज पांडेय ने पिछले साल इस मामले को लोकसभा में भी उठाया था। जनप्रतिनिधियों और कलेक्टर से तो शिकायत आए दिन हो रही है। यहां पर तस्वीर कोरबा के वार्ड नंबर 52 पर स्थित मिडिल स्कूल के सामने की है। खुले मैदान में ही राखड़ का ढेर बिछा दिया गया। पढ़ाई के दौरान स्कूल में राखड़ उडक़र आ रहा है, जिसे लेकर शिक्षकों और छात्रों में चिंता है। प्रधान पाठक ने इसकी शिकायत कलेक्टर से की है और राखड़ डंपिंग पर रोक लगाने की मांग की है। वे बताते हैं कि राखड़ का ठेका कुछ प्रभावशाली लोगों को मिला हुआ है। न प्रशासन कोई कार्रवाई करता है न ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को चिंता है।

बस्तर में विधायकों से नाराजगी  

आदिवासी बाहुल्य बस्तर संभाग तथा बिलासपुर संभाग के दो जिलों कोरबा, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में सरकार ने तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के पदों पर 100 प्रतिशत स्थानीय भर्ती का नियम बनाया था। इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। पिछले साल इस पर फैसला आया था, जिसमें राज्यपाल की अधिसूचना को अदालत ने असंवैधानिक बताया और छूट दी थी कि प्रदेश के किसी भी जगह से बेरोजगार इन पदों पर आवेदन कर सकते हैं। कोर्ट के आदेश के परिप्रेक्ष्य में राज्य सरकार ने सितंबर 2022 में राज्यपाल का आदेश वापस ले लिया। उसके बाद से स्थानीय स्तर पर भर्ती की प्रक्रिया केबिनेट के प्रस्ताव व सदन की मंजूरी के बाद ही मुमकिन है। विधानसभा चुनाव नजदीक आ चुका है और इस पर अब तक स्थिति साफ नहीं हुई है।

स्तर में चल रहे अनेक आंदोलनों में से एक यह भी है। सर्व आदिवासी समाज जो इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा दोनों से दो-दो हाथ करने जा रहा है, ने इस मुद्दे पर कांकेर में रैली निकाली। बेरिकेड्स लांघने की कोशिश में पुलिस से झूमा-झटकी हुई। विधायक शिशुपाल सौरी का पुतला फूंका। वे उनका निवास घेरने के लिए निकले थे। सौरी से मुलाकात नहीं हुई, पर नारायणपुर में बेरोजगार युवकों ने विधायक चंदन कश्यप को घेर लिया। वे उनसे इस्तीफा मांग रहे थे। कहा कि सरकार में रहते हुए हमारी मांग राजधानी में नहीं रखते, हमारे हितैषी नहीं हैं आप। शुरू में बातचीत सामान्य हुई पर बाद में बात बिगड़ गई। विधायक के साथ धक्का-मुक्की हुई, झूमा झटकी हुई। इन सब का एक वीडियो भी वायरल हुआ है।

विधानसभा चुनाव के पहले हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कराने की कोई कोशिश ऊपरी अदालत और विधानसभा के जरिये हो पाएगी, इसकी संभावना अब कम ही दिखाई देती है। फिर उसके बाद भर्तियों के नए विज्ञापन निकलेंगे तो तो आचार संहिता भी आड़े आ सकती है। देखना होगा कि कांग्रेस इस असंतोष को दूर करने के लिए क्या कदम उठाती है।

दो कॉलोनियों के बीच बार्डर

कॉलोनियों के आलीशान घरों में लोग इतने प्राय: आत्मकेंद्रित हो जाते हैं कि अपने पड़ोसियों से भी मेल-मिलाप नहीं रखते। मगर इस तरह का बैर भी नहीं दिखाई देता। बिलासपुर की सबसे पॉश कॉलोनी मिनोचा कॉलोनी है। यहां ज्यादातर लोग करोड़पति व्यवसायी हैं। यहां पर एक नोटिस बोर्ड लगाया गया है। इसके ठीक बगल में बने शिवम् अपार्टमेंट वालों को उन्होंने अपनी कॉलोनी के गार्डन में आने से मना कर दिया है। अपार्टमेंट में रहने वालों ने इसकी शिकायत कलेक्टर से की है। उनका कहना है कि इस तरह से किसी को सार्वजनिक उद्यान में आने-जाने से रोका नहीं जा सकता।

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