राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : तुझमें रब दिखता है, यारा मैं क्या करूँ
08-Oct-2023 7:28 PM
राजपथ-जनपथ : तुझमें रब दिखता है, यारा मैं क्या करूँ

तुझमें रब दिखता है, यारा मैं क्या करूँ

कांग्रेस की राजनीति में सीएम भूपेश बघेल, और दिवंगत पूर्व सीएम अजीत जोगी के रिश्तों में तल्खी रही है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि जोगी जब सीएम थे तब भूपेश कई मर्तबा कैबिनेट की बैठक में नहीं जाते थे। वो अपने कक्ष में ही रहते थे। और जब अंतागढ़ टेपकांड उजागर हुआ, तो जोगी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाने में भूपेश की बड़ी भूमिका रही है।

आप सोच रहे होंगे कि यहां भूपेश और अजीत जोगी के रिश्तों का जिक्र क्यों किया जा रहा है। दरअसल, राजनांदगांव जिले की सीटों के पूर्व विधानसभा प्रत्याशियों ने पिछले दिनों कांग्रेस का दामन थामा। उन्होंने अपने कांग्रेस प्रवेश का जो कारण गिनाया, वो लाजवाब था। इन नेताओं में से एक ने तो यहां तक कहा कि भूपेश बघेल में अजीत जोगी की छवि दिखाई देती है, इसलिए वो कांग्रेस में शामिल हुए हैं। यह सुनकर वहां मौजूद कांग्रेस नेता, सवालिया अंदाज से एक-दूसरे का मुंह देखने लगे।

स्वागत की लिस्ट और बग़ावत 

बीते 29 सितंबर को पीएम मोदी के स्वागत में जो कुछ रायपुर एयरपोर्ट पर हुआ । कहीं वह भाजपा में परंपरा तो नहीं बन रहा । क्या है न  देखा देखी जल्दी सीखा जाता है। अबकी बार यह जगदलपुर में हुआ। इससे पार्टी के फील्ड वर्कर इतने नाराज हैं कि केंद्रीय मंत्री विश्वेश्वर टुडु की बैठक का ही अघोषित बहिष्कार कर दिया । उन्होंने शनिवार को शक्ति केंद्रों के प्रभारियों की बैठक बुलाई थी।  बहिष्कार की वजह 3 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के दौरान उनके स्वागत, मुलाकात वाली सूची में वरिष्ठ कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की उपेक्षा ।

मुलाकातियों  की जो सूची बनाई गई उसमें दिग्गज नेताओं के परिजन और ऐसे लोगों के नाम थे जो किसी नेता की परिक्रमा करते हो अथवा करीबी है । इससे ही  नाराज 15 में से एक भी शक्ति केंद्र प्रभारी बैठक में  नहीं पहुंचे ।

नाराज कार्यकर्ताओं का कहना है कि चुनाव में झंडा बांधने से लेकर दरी बिछाने तक का काम हमसे करवाते हैं जब शीर्ष नेताओं से मुलाकात का समय  आता है,तो हमारी उपेक्षा कर चापलूसों को आगे बढ़ा देते हैं । कुछ नेताओं के परिजनों को एयरपोर्ट से लेकर लाल बाग की आम सभा तक का पास उपलब्ध कराया गया। एक ही परिवार के दो से तीन लोगों को पास देकर प्रधानमंत्री से मिलने का अवसर दिया  । वहां तो ठीक है, रायपुर में तो नेताजी की पत्नी की किटी पार्टी की मेंबर्स को भी पास दे दिया गया था।

नए आए और आगे निकल गए

शनिवार को ठाकरे परिसर में  हंगामा रहा। लीक हुई सूची शामिल प्रत्याशियों के विरोध में नारे बुलंद होते रहे। ये दोनों ही दावेदार नवप्रवेशी भाजपाई हैं। इनमें से एक पांच वर्ष पूर्व और एक पांच माह पूर्व भगवा दुपट्टा पहना था। पिछले चुनाव में एक जीते तो दूसरे भाजपा को जीतने नहीं देने वालों में रहे।अब बात करें इनके विरोध का। तो असफल दावेदार ,नेता ही करा रहे। दो बार के विधायक का विरोध एक पूर्व मंत्री और एक नेताजी करवा रहे। इन. दोनों  पहले भी न्यायधानी से लगे  ओबीसी बहुल क्षेत्र में ठाकुर विरोधी कार्यक्रम कर चुके हैं। और अब विरोध का झंडा थामे लोगों को राजधानी तक ले आए। दरअसल नेताजी  की इलाके में पकड़ कमजोर हो रही। इमेज, इंंटेलिजेंस के मामले में ठाकुर बहुत आगे निकल गए हैं। दूसरे  प्रत्याशी को कोलता समाज नहीं चाहता। क्योंकि अब तक भाजपा से इसी वर्ग के लोगों को अवसर मिलता रहा है,और नवप्रवेशी दावेदार  वैश्य समाज से हैं।

ख़ुशबू के नाम पर भ्रष्टाचार की बदबू

छत्तीसगढ़ वैसे तो धान का कटोरा कहा जाता है, लेकिन एक अधिकारी ऐसे हैं जो इसे सुगंधित हर्बल उत्पाद के लिए प्रसिद्ध करना चाहते हैं। वन विभाग के इन अधिकारी को 2006 में उद्यानिकी विभाग की जिम्मेदारी मिली थी, तो खूब प्रचार-प्रसार के साथ जामारोजा, पामारोजा, यूकेलिप्टस सहित दर्जन हर्बल पौधे लगवाए। करोड़ों रूपए खर्च करके सुगंधित तेल निकालने का संयंत्र लगाया गया। किसानों को करोड़ों रूपए के पौधे मुफ्त में बांटे गए। क्लस्टर एप्रोच जैसे नई शब्दों का मोहजाल बुना गया और सरकार ने भी खूब साथ दिया। दक्षिण भारत से आने वाले ये आईएफएफ आफिसर जब उद्यानिकी से हटे, तब पता चला कि जिन हर्बल खेती से ये किसानों को मालामाल करना चाहते थे, उसके पौधों की सप्लाई इनके परिचितों ने की थी। तकरीबन 8-10 साल बाद फिर से ये आईएफएस अफसर अपने फुलफार्म में नजर आ रहे हैं। इस बार इनके पास वन विभाग का एक बोर्ड है। अब वही पुरानी योजना का सब्जबाग दिखा रहे हैं और राष्ट्रीय चैनलों के कार्यक्रमों में दावा कर रहे हैं कि यहां के किसान ने एक एकड़ में डेढ़ लाख सुगंधित तेल बेचकर कमाए। किसान भी भौचक हैं कि उन्होंने तो कमाएं नहीं, हो सकता है इसके पौधे बेचने वाले दूसरे राज्यों के किसानों की आय अधिकारी बता रहे होंगे।

मंत्री बदले तो काम भी अटक गए

सूबे के एक कद्दावर मंत्री ने अपने विभाग के एक बोर्ड से अपने क्षेत्र में ऐसा काम करवाया, जैसा आज तक नहीं हुआ था। अनाज वाले इस बोर्ड में टैक्स का काफी पैसा इक_ा होता है, मंत्री जी ने अपने क्षेत्र के हर गांव में उस टैक्स के पैसे से सीसी रोड बनवाना शुरु किया। फिर गांव गांव में किसान सदन बनवाये। इनमें वोट बैंक का ऐसा ख्याल रखा गया कि किसान सदन भी समाज के नाम से बनाए गए। जैसे किसान सदन लोधी समाज, किसान सदन धनगर समाज। वैसे तो यह बोर्ड पूरे प्रदेश का टैक्स संग्रह करता है लेकिन काम मंत्री जी ने केवल अपने क्षेत्र में ही करवाये।

दो महीने पहले मंत्री जी का प्रभार बदल गया, उनकी जगह उनके पुराने न चाहने वाले मंत्री को प्रभार दे दिया गया। तब होना क्या था नए मंत्री ने जितने काम बचे हुए थे, उनकी टेंडर निरस्त कर दिया और अपने क्षेत्र के लिये सीसी रोड बनाने का पिटारा खोल दिया।

ठाकरे परिसर में भीड़, नाराज मांडविया

भाजपा प्रत्याशियों की सूची लीक होने के बाद कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। शनिवार को प्रदेश भाजपा के सह चुनाव प्रभारी डॉ मनसुख मांडविया ठाकरे परिसर पहुंचे, तो प्रदर्शनकारियों की भीड़ देखकर खफा हो गए।

उन्होंने सह चुनाव प्रभारी नितिन नबीन, और  केदार कश्यप से पूछ लिया कि सूची जारी नहीं हुई, यह सार्वजनिक रूप से बता दिया गया है। बावजूद प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के प्रदर्शन से सारी मेहनत पर पानी फिरता जा रहा है। मगर जिस अंदाज में सूची लीक हुई है,उससे कार्यकर्ताओं समझाना मुश्किल हो गया है कि सूची असली नहीं है।

माथुर कोप भवन में?

चर्चा है कि प्रदेश भाजपा के चुनाव प्रभारी ओम माथुर विधानसभा प्रत्याशियों की सूची लीक होने के बाद से कोप भवन में चले गए। माथुर प्रत्याशियों की सूची लीक होने के बाद से दिल्ली में हैं, और वो राजस्थान चले गए। माथुर प्रधानमंत्री की जगदलपुर की सभा में भी नहीं थे। कहा तो यह भी जा रहा है वो शायद ही छत्तीसगढ़ आए। चर्चा यह भी है कि उन्होंने यहां के नेताओं का फोन तक उठाना बंद कर दिया है। हालांकि पार्टी नेता कह रहे हैं कि माथुर जल्द रायपुर आएंगे, और प्रदेश का दौरा करेंगे। देखना है कि आगे क्या होता है।

कांग्रेस में चरम गुटबाजी

कांग्रेस जब सत्ता में होती है तो इनके नेताओं के बीच वर्चस्व की होड़ मच जाती है। यही फिर बाद में उसकी हार का कारण बनता है। अंतागढ़ विधानसभा क्षेत्र में इन दिनों जो कुछ हो रहा है वह दिलचस्प है। बीते चार साल से नगर पंचायत पखांजूर के अध्यक्ष बप्पा गांगुली और विधायक अनूप नाग को यहां के कार्यकर्ता आपस में भिड़ते देख रहे हैं। इसका चरम हाल ही में देखने को मिला। नगर पंचायत के अधोसंरचना मद से करीब 8 करोड़ के विकास कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास कराये गए। इसके लिए 80 शिलालेख तैयार किए गए। किसी में भी कांग्रेस के नगर पंचायत अध्यक्ष ने कांग्रेस विधायक का नाम लिखाना जरूरी नहीं समझा। निमंत्रण पत्रों से भी विधायक का नाम गायब है। बताते हैं कि विधायक अनूप नाग भी करोड़ों के कार्य मंजूर करते हैं पर किसी भी काम के लिए नगर पंचायत को एजेंसी नहीं बनाते। अब जब विधानसभा चुनाव सिर पर है, कांग्रेस इस गुटबाजी से कैसे निपटती है, देखना होगा।

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