राजपथ - जनपथ
जिसके राज खोलने हों, उम्मीदवार बना दो
भाजपा प्रत्याशियों की सूची लीक होने के बाद करीब दर्जनभर से अधिक क्षेत्रों में प्रदर्शन हो रहा है, और प्रत्याशी बदलने की मांग हो रही है। बालोद जिले के पदाधिकारी तो सोमवार को सुबह-सुबह रायपुर पहुंच गए, और उन्होंने प्रदेश महामंत्री (संगठन) पवन साय से मिलकर राकेश यादव के खिलाफ दर्ज अपराधिक प्रकरणों की जानकारी देकर उन्हें बदलने की मांग की। इस सिलसिले में पदाधिकारियों ने दस्तावेज भी दिए हैं।
पार्टी ने पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राकेश यादव को बालोद से प्रत्याशी बना रही है। इसका अधिकृत ऐलान होना बाकी है। ऐसे में पार्टी के भीतर राकेश के विरोधी उन्हें बदलने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक जिन प्रत्याशियों के खिलाफ अपराधिक प्रकरण दर्ज हैं, उन्हें अखबारों में सार्वजनिक सूचना प्रकाशित कर इसकी जानकारी देनी होगी।
पदाधिकारियों का कहना था कि यादव को टिकट देने से चुनाव में पार्टी के असुविधाजनक स्थिति पैदा होगी। चर्चा है कि साय ने पूरी बात सुनी, लेकिन टिकट बदलने का कोई आश्वासन नहीं दिया। यही नहीं, दो दिन पहले प्रदेश अध्यक्ष ने प्रत्याशी बदलने की मुहिम में जुटे एक पूर्व विधायक को बुलाकर साफ तौर पर बता दिया कि लीक हुई सूची में कोई बदलाव नहीं होगा। ऐसे में विरोध-प्रदर्शन का कोई मतलब नहीं है।
चुनाव और चार्जशीट
चुनाव आचार संहिता प्रभावशील होने के साथ पुलिस, और पूरा प्रशासनिक अमला चुनाव आयोग के अधीन आ गया है। इन सबके बीच रायपुर पुलिस एक अलग ही टेंशन में हैं। इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाला केस में जिला अदालत ने मौखिक रूप से प्रकरण की जांच कर जल्द चालान पेश करने कहा था।
चर्चा है कि बाद की सुनवाई में पुलिस की तरफ से कहा गया कि इस सिलसिले में लिखित आदेश की जरूरत होगी। फिर क्या था, अदालत ने आदेश भी दे दिए, और 20 तारीख को चालान पेश करने के लिए तिथि तय कर दी।
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि इंदिरा बैंक केस में भाजपा के दिग्गज नेताओं का नाम है, और ये सभी चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। ऐसे में पुलिस की टेंशन बढ़ गई है कि चार्जशीट का क्या किया जाए। चर्चा है कि पिछले दिनों जिला अदालत के बाद रायपुर पुलिस के सीनियर अफसरों ने इसको लेकर बैठक भी की। अब पुलिस का रुख क्या होता है, ये आने वाले दिनों में पता चलेगा।
टिकट के दावेदार डॉक्टर का गुस्सा
बस्तर में स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. बीआर पुजारी को लेकर पिछले एक साल से चर्चा थी कि वे भाजपा की टिकट पर बीजापुर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। जैसा कि उनका खुद दावा है कि भाजपा के सर्वे में उनका नाम सबसे ऊपर आया था। टिकट का आश्वासन मिलने पर कुछ माह पहले उन्होंने वीआरएस का आवेदन विभाग में लगा दिया था। उस आवेदन पर विचार तो हुआ नहीं उल्टे उनका कम महत्व के पद पर जिला चिकित्सालय जगदलपुर में स्थानांतरित कर दिया गया। बीजापुर सीट से पूर्व मंत्री महेश गागड़ा भी चुनाव लडऩा चाहते हैं। इसलिये यह स्पष्ट नहीं है कि उनके वीआरएस की मंजूरी को रोकने और बीजापुर से हटाने में कांग्रेसियों का हाथ है या भाजपाईयों का। पर डॉ. पुजारी ने अपने एक वाट्सएप ग्रुप में प्रतिक्रिया जरूर दी है। उन्होंने बीजापुर में 20 साल लंबी अपनी सेवा को याद करते हुए कहा है कि सर्वे में मेरा नाम आने से ही कुछ लोगों की हालत खराब हो गई है, जबकि टिकट किसे मिलेगी यह तय नहीं है। मुझे बुलाकर बोल देते, वीआरएस नहीं लगाता-चुनाव भी नहीं लड़ता। मेरा डिमोशन कर दिया गया है। मेरे संवैधानिक, मौलिक अधिकार को दबाने का प्रयास हो रहा है। मेरे साथ साजिश रची गई, समय आने पर सबकी पोल खोलूंगा।
फिलहाल लोग कयास लगा रहे हैं कि क्या डॉ. पुजारी को वीआरएस मिल पाएगा? यदि नहीं मिल पाया तो इस कितना फायदा गागड़ा को, और मौजूदा कांग्रेस विधायक विक्रम मंडावी को मिलेगा?
ट्रैफिक संभालने वाले की बुद्धि
सडक़ यातायात संभालना आसान नहीं होता है। इसके लिए बड़ा अमला सडक़ से लेकर मुख्यालय तक में तैनात रहता है। लेकिन राजधानी के प्रवेश द्वार टाटीबंध चौक में ट्रैफिक व्यवस्था तय करने वालों की बुद्धि को देखकर हर कोई खीज जाता है। आम राहगीर भी समझ जाते हैं कि कैसे वहां के ट्रैफिक जाम को स्मूथ किया जा सकता है। पहले तो फ्लाईओवर बनने के इंतजार में लोग ट्रैफिक जाम को झेलते रहे। अब फ्लाईओवर बन गया है तो भाठागांव से बिलासपुर जाने वाले वाहनों के लिये नीचे का रास्ता बंद कर दिया गया है और फ्लाईओवर के नीचे उतरते ही मुख्य सडक़ पर कट दे दिया गया है। इसके कारण रोज लंबा जाम लग रहा है। लंबा इंतजार करने वाले लोगों के मुंह से निकल ही जाता है कि ट्रैफिक वालों को इतनी बुद्धि नहीं है क्या?
आखिरी दम तक उम्मीद
अब जब आचार संहिता लागू हो चुकी, कांग्रेस उम्मीदवारों की कोई सूची जारी नहीं हो पाई है। भाजपा की भी अधिकारिक रूप से एक ही सूची जारी हुई है। जो दूसरी सूची वायरल हुई उसे अधिकारिक होने से पार्टी ने इंकार कर दिया। जब तक सूची रुकी हुई है, दावेदारों में उम्मीद बनी हुई है। रायगढ़ जिले में हाल ही में दो कोशिशें हुई हैं। लैलूंगा की ईसाई आदिवासी महासभा ने कांग्रेस नेताओं को पत्र लिखकर मांग की है कि वर्तमान विधायक चक्रधर सिदार को कदापि रिपीट नहीं किया जाए। समाज की बैठक इस बारे में हो चुकी है। उन्होंने सिदार को टिकट मिलने पर उनका विरोध करने का निर्णय लिया है। इनके अनुसार सिदार निष्क्रिय हैं और ईसाई समाज से किये गए वायदों को उन्होंने पूरा नहीं किया। इधर रायगढ़ में कोलता समाज की ओर से भाजपा के प्रभारी ओम माथुर को पत्र लिखा गया है। इसमें मांग की गई है कि रायगढ़ सीट से समाज का प्रत्याशी खड़ा किया जाए। उनके 65 हजार वोट हैं। लगभग चेतावनी के अंदाज में यह भी पत्र में बताया गया है कि पिछले कुछ चुनावों में कोलता समाज को टिकट नहीं देने की वजह से किस तरह निर्दलीय उम्मीदवारों ने खड़े होकर भाजपा का खेल बिगाड़ा था।
ये दोनों पत्र कांग्रेस और भाजपा के नेताओं तक पहुंचे या नहीं, यह तो पता नहीं- मगर मीडिया के पास समय पर पहुंच गए। वैसे अब प्रत्याशियों की सूची को जब दोनों ही दल अंतिम रूप देने लगे हैं। ऐसी स्थिति में मीडिया के माध्यम से आ रहे इन दबावों का टिकट तय करने पर कितना असर होगा, देखना होगा।
नदी के उस पार स्कूल...
बस्तर में बच्चों को अपना भविष्य गढऩे के लिए किस तरह उफनती नदियों को बांस की बल्लियां लगाकर पार करना पड़ता है, इस पर तस्वीरें पहले आ चुकी हैं। हाईकोर्ट में पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने जवाब दिया है कि वहां पुल बनाने के लिए टेंडर हो चुका है। पर ऐसी हालत जगह-जगह दिखाई देती है। प्रशासन क्या कर रहा है, विकास इन तक अब तक क्यों नहीं पहुंचा, यह सवाल बार-बार खड़ा हो रहा है। यह तस्वीर कोंडागांव जिले के कोनगुड नदी का है, जिसे पार कर नवमीं, दसवीं और 11वीं के बच्चे पढऩे के लिए स्कूल तक पहुंच पाते हैं।