राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : गुटबाजी, इधर भी, उधर भी...
07-Feb-2022 5:24 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : गुटबाजी, इधर भी, उधर भी...

गुटबाजी, इधर भी, उधर भी...

वैसे तो कांग्रेस में हमेशा से गुटबाजी रही है, और इस वजह से चुनावों में पार्टी को नुकसान उठाना पड़ता रहा है। लेकिन छत्तीसगढ़ में भाजपा अब गुटबाजी के रोग से बुरी तरह पीडि़त हो गई है। इसका नजारा हाल के दिनों में सार्वजनिक तौर पर देखने को मिला है।

सरगुजा जिला पंचायत उपाध्यक्ष के चुनाव में तो भाजपा प्रत्याशी भी नहीं उतार पाई। हुआ यूं कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के भतीजे आदित्येश्वर शरण सिंहदेव उपाध्यक्ष प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में थे। यहां जिला पंचायत में 14 में से 3 सदस्य भाजपा के हैं। वैसे तो संख्या बल के आधार पर टीएस के भतीजे का चुनाव जीतना तय था, लेकिन भाजपा के सदस्य चुनाव लडऩे के मूड में नहीं थे।

चुनाव के ठीक पहले एक भाजपा सदस्य तो इलाज के बहाने उत्तर प्रदेश चली गईं। लिहाजा, यहां प्रस्तावक-समर्थक के अभाव में भाजपा विरोध में प्रत्याशी भी नहीं उतार पाई। जबकि टीएस के विरोधी एक-दो जिला पंचायत गुपचुप तरीके से भाजपा को वोट देने के लिए तैयार भी थे। मगर भाजपा यहां कांग्रेस में गुटबाजी का फायदा नहीं उठा पाई।

रायपुर में तो पूर्व मंत्री राजेश मूणत के साथ पुलिसिया दुव्र्यवहार के मामले में भी भाजपा में गुटबाजी खुलकर सामने आ गई। चर्चा है कि पार्टी के कई नेता इस प्रकरण पर मूणत का साथ देने के लिए तैयार नहीं थे। और जब बृजमोहन थाने में कोई सम्मानजनक रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे थे, तो मूणत उन पर मिलीभगत का आरोप मढक़र निकल गए। हाल यह है कि यहां की गुटबाजी पर लगाम लगाने में प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी भी अब तक विफल रही हैं।

दूसरी तरफ, सरकार में आने के बाद भी कांग्रेस में गुटीय लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है। जिला पंचायत सदस्य से कांग्रेस विधायक बनी छन्नी साहू पिछले तीन माह से राजनीतिक कारणों से निजी जीवन में परेशानियां उठा रही है। कांग्रेस की गुटीय लड़ाई इस कदर बढ़ी कि छन्नी के पति चंदू साहू एक आदिवासी चालक से मारपीट के आरोप में पुलिस के जद में आए गए। कांग्रेस की गुटीय लड़ाई में छन्नी की टीएस सिंहदेव समर्थकों में होती है। छन्नी के समर्थकों का आरोप है कि पार्टी के ही नेता चंदू साहू को फंसा रहे हैं। चाहे कुछ भी हो, कांग्रेस के भीतर की अंदरूनी लड़ाई सामने आ ही गई।

स्टेट कैंसर हॉस्पिटल पर संकट

केंद्र सरकार की अनेक योजनाओं पर राज्य सरकार को भी अंशदान मिलाना होता है, यदि वह हिस्सा नहीं मिलता तो केंद्र भी अपनी मंजूर की गई राशि वापस ले लेता है। ऐसा अभी प्रधानमंत्री आवास योजना में हो चुका है। इसी तरह का संकट प्रदेश के पहले स्टेट कैंसर इस्टीट्यूट के निर्माण पर मंडरा रहा है। सिम्स चिकित्सालय बिलासपुर के अधीन इसका निर्माण किया जाना है, जिसके लिये कोनी में भूमि तय कर ली गई है। रायपुर के अंबेडकर हॉस्पिटल में स्थापित इंदिरा गांधी क्षेत्रीय संस्थान की ओपीडी में पहुंचने वाले मरीजों की संख्या 35 हजार से अधिक पहुंच चुकी है। जिनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है वे कैंसर का महंगा इलाज नहीं करा सकते, और यहां जल्दी नंबर आता नहीं। देशभर में इस समय करीब 14 लाख कैंसर के मामले हैं, उस हिसाब से छत्तीसगढ़ की संख्या बहुत बड़ी है। ऐसे बहुत से लोगों को आयुष्मान योजना से भी कवरेज नहीं मिलता। इसे देखते हुए सन् 2014 में एक नया राज्य स्तरीय कैंसर अनुसंधान तैयार करने की योजना बनाई गई थी, जिसके लिये बिलासपुर का चयन किया गया। इसमें सुविधायें और संसाधनों को रायपुर से भी बड़ा रखने की योजना है। 6 साल की देरी से बीते सत्र के बजट में केंद्र ने 91 करोड़ रुपये इस काम के लिये मंजूर कर दिया। पर इसमें 25 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार को भी जोडऩा है। यानि करीब 23 करोड़ रुपये। यह राशि अब तक नहीं मिली है। अब मार्च आ रहा है। राज्य सरकार नया बजट लाने की तैयारी में है। आम तौर पर बजट पेश होने के कुछ पहले से ही नये आवंटन रोक दिये जाते हैं। ऐसे में राज्य सरकार का अंशदान मिलेगा या नहीं, अनिश्चिततता बनी हुई है। यदि मार्च से पहले यह राशि नहीं दी गई तो केंद्र अपना 91 करोड़ रुपया वापस ले लेगा। फिर राज्य को मिलने वाली स्वास्थ्य संबंधी एक बड़ी सुविधा से लोगों को वंचित होना पड़ेगा।

चिटफंड नहीं, पर उससे कम भी नहीं

फर्जी चिटफंड कंपनियों के खिलाफ राज्य सरकार ने कार्रवाई शुरू की है, पर इससे पीडि़त लोगों की संख्या इतनी अधिक है और कंपनी के संचालकों को पकडऩा, उनकी संपत्ति का पता लगाना, कुर्क करना और पैसे लौटाना, इतना जटिल है कि अपेक्षित सफलता अभी तक नहीं मिल पाई है। इसके लिये रेगुलर पुलिस को लगाने से शायद कुछ न हो, अलग से विंग बनाने की जरूरत पड़ सकती है।

एक समय सहारा इंडिया को निवेश का विश्वसनीय माध्यम समझा जाता था, पर छत्तीसगढ़ के लोगों के करोड़ों रुपये इसमें भी जाम हो गये हैं। ज्यादातर प्रभावित निम्न-मध्यम वर्ग के हैं। हर जिले में लोगों के 25-30 करोड़ या उससे अधिक रकम फंसी हुई हैं। एफडी परिपक्व हो चुकी है। ब्याज सहित रुपये लौटाना है, पर लोगों को मूलधन के ही लाले पड़े हैं। सहारा इंडिया के प्रतिनिधि भागे नहीं है, बल्कि वे भरोसा दिला रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अमल होते ही राशि लौटाई जायेगी। कंपनी के मैनेजर ऐसा कहकर दिग्भ्रमित कर रहे हैं। सेबी के पास सुप्रीम कोर्ट में जितनी राशि जमा करनी थी, सहारा ने किया ही नहीं है। सेबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में बताया था कि 30 नवंबर तक सहारा ने करीब 15 हजार करोड़ रुपये जमा कराये हैं, जबकि कोर्ट के आदेश के अनुसार 25 हजार 781 करोड़ रुपये जमा करने हैं।

सहारा से पीडि़त निवेशकों की आवाज उठाने के लिये राजधानी रायपुर में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने प्रदर्शन भी किया था। लोगों का धैर्य टूट रहा है। वे कांग्रेस को उस वादे की याद दिला रहे हैं, जिसमें निवेशकों को रकम लौटाने का वादा किया गया। पर, सहारा का मामला पेचीदा है। राज्य सरकार शायद सीधे कार्रवाई न कर पाये। पेंच सहारा, सेबी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश में फंसा है।

राहुल का छत्तीसगढ़ दौरा

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का छत्तीसगढ़ दौरा सफलतापूर्वक निपट गया तो अफसरों को बड़ी राहत मिली। सियासी गलियारों में उनके जाने के बाद दौरे के मायने निकाले जा रहे हैं। मीडिया से लेकर कांग्रेसियों के बीच सबसे ज्यादा चर्चा टीएस बाबा को लेकर हुई। मंच पर राहुल और टीएस के बीच सामान्य चर्चा की भी लोग अपने-अपने तरह से समीक्षा करते रहे। यह बात सही है कि टीएस दो बार उठकर राहुल के पास गए और एक-दूसरे के कान में बात की। चर्चा इस अंदाज में हुई कि बगल में बैठा व्यक्ति भी शायद ही कुछ सुन समझ पाया होगा, फिर भी मतलब निकालने की कोशिश की गई। कार्यक्रम समाप्त होने के बाद टीएस के निकलते समय कुछ लोगों ने इस बारे में जानने की कोशिश की, तो टीएस ने साफ किया कि वे एक किताब में राहुल से साइन लेने गए थे और इसी बारे में चर्चा भी हुई। उन्होंने बकायदा किताब खोलकर वो पन्ना भी दिखाया, जहां राहुल ने हस्ताक्षर किया था। टीएस ने साल 2018 चुनाव के बाद राहुल गांधी की मुख्यमंत्री पद के सभी दावेदारों के साथ खिंचवाई फोटो में अपनी तस्वीर के नीचे उनसे हस्ताक्षर लिया था। 

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