राजपथ - जनपथ
कारोबारी नीलामी
राज्य के एक पूर्व मंत्री के कारोबारी बेटे की प्रॉपर्टी को कर्ज नहीं चुका पाने के कारण बैंक नीलाम कर रही है। कुछ महीना पहले कारोबारी की वीआईपी रोड स्थित निर्माणाधीन होटल को नीलाम किया गया था। सुनते हैं कि बैंक ने होटल के लिए नीलामी राशि 43 करोड़ रखी थी, लेकिन 31 करोड़ में ही बिक पाई। निर्माणाधीन होटल को भोपाल के एक विज्ञापन एजेंसी के संचालकों ने खरीदा है। अब कारोबारी की लाभांडी स्थित एक बड़ी प्रॉपर्टी को बैंक नीलाम करने जा रही है। ऐसा नहीं है कि कारोबारी कोई गंभीर वित्तीय दिक्कत में है। चर्चा है कि बैंक से भारी-भरकम कर्ज लेकर कारोबारी ने दूसरी जगह निवेश कर रखा है, और जितना बैंकों से कर्ज लिया है, प्रॉपर्टी की कीमत उससे कम ही है।
जंगल में मंगल
आईएफएस के 88 बैच के अफसर एसएस बजाज, और सुधीर अग्रवाल प्रमोट होकर पीसीसीएफ बन गए हैं। दोनों अफसरों की साख बहुत अच्छी है। बजाज जून में रिटायर हो जाएंगे। उनके रिटायरमेंट के बाद जयसिंह मस्के पीसीसीएफ प्रमोट हो जाएंगे। इसके बाद इसी बैच के यूनुस अली, और आशीष भट्ट का नंबर आता है। यूनुस अली अप्रैल में रिटायर हो रहे हैं। जबकि आशीष भट्ट का अगले साल रिटायरमेंट है। दो साल पहले 85 बैच के पीसी मिश्रा के बैच के सभी अफसर पीसीसीएफ बन गए थे, लेकिन पद न होने के कारण मिश्रा पीसीसीएफ होने से रह गए। यूनुस के मामले में सरकार उदारता दिखाती है, अथवा नहीं देखना है।
दुगनी आय का वादा और खाद का संकट
सन् 2022 वह वर्ष है जब किसानों की आय दो गुनी हो जानी चाहिये थी। इसके लिये एक्शन प्लान की घोषणा केंद्र की मोदी सरकार ने चार साल पहले की थी। बिजली तो राज्य का विषय है, जो एक निश्चित सीमा तक सिंचाई के लिये किसानों को मुफ्त मिल रही है। पर डीजल और खाद की कीमत केंद्र सरकार तय करती है। इसमें स्टेट का टैक्स भी जुड़ता है। दोनों के दाम में बीते तीन सालों में बेतहाशा वृद्धि हो चुकी है।
इन दिनों छत्तीसगढ़ एक नये संकट का सामना कर रहा है। रासायनिक उर्वरक की आपूर्ति में केंद्र ने थोड़ा नहीं बल्कि सीधे 45 प्रतिशत कटौती कर दी है। अब जबकि रबी फसल के लिये तत्काल खाद की जरूरत है, आपूर्ति में भारी कमी दर्ज की गई है। पोटाश की आपूर्ति में 74 प्रतिशत तो डीएपी में 68 प्रतिशत की कमी इस समय है। किसानों की आमदनी तो बढ़ी नहीं बल्कि खेती की लागत बढ़ चुकी है। ऊपर से उन्हें फसल बचाने के लिये ब्लैक में अनाप-शनाप कीमत पर खाद की खरीदी करनी पड़ रही है।
चैंबर के समर्थन बिना बंद का आह्वान
यदि नगर बंद का कोई आह्वान सफल न हो तो मिला-जुला समर्थन रहा, कहना ठीक लगता है। नगर बंद की सफलता के लिये जरूरी है कि व्यापारियों का साथ मिले। शहर के मुख्य मार्गों की दुकानें तब बंद होती हैं, जब उनका संगठन साथ देता है। जगदलपुर में संजय गांधी वार्ड की पार्षद कोमल सेना पर प्रधानमंत्री आवास के नाम पर लोगों से पैसे मांगने का आरोप है। उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग पर मंगलवार को भाजपा ने नगर बंद का आह्वान किया गया था। जगदलपुर चैम्बर ऑफ कामर्स ने इस बंद का समर्थन नहीं किया। पदाधिकारियों का कहना है कि उन्होंने बंद का विरोध भी तो नहीं किया। चैम्बर में अनेक ऐसे सदस्य हैं जो भाजपा से भी जुड़े हैं। इसके बावजूद यह स्थिति बनी। वैसे जब कांग्रेस विपक्ष में थी, तब भी उसके नगर बंद के आह्वान का चैम्बर ने समर्थन नहीं किया था। तब कांग्रेस ने चैम्बर की सदस्यता छोडऩे का अभियान चलाया था। अब देखना होगा कि क्या भाजपा भी ऐसा करेगी?
एनआरडीए की नई कोशिश
नया रायपुर विकास प्राधिकरण ने अटल नगर नया रायपुर में बसाहट बढ़ाने के लिये एक और स्कीम लाने का निर्णय लिया गया है। घर या व्यावसायिक कॉम्पलेक्स बनाने के लिये मास्टर प्लान में संशोधन कर भू स्वामी को ज्यादा जगह छोडऩे की छूट मिलेगी। यदि किसी के पास 2000 वर्गफीट का प्लॉट है तो उसे 200 वर्गफीट तक निर्माण की अतिरिक्त छूट दी जायेगी। पिछले 20 सालों से नया रायपुर को राजधानी की तरह विकसित करने के लिये करोड़ों रुपये खर्च किये गये पर अब तक यह आबाद नहीं हो पाया है। हाउसिंग बोर्ड की अनेक कॉलोनियां, शॉपिंग मॉल और दैनिक जरूरत के कुछ बाजार हैं, पर सैकड़ों अब भी खाली हैं। जिन लोगों ने प्लॉट, फ्लैट या मकान में निवेश किया है वे इंतजार कर रहे हैं कि नया शहर कब बसेगा। एनआरडीए की नई स्कीम यहां की बसाहट बढ़ाने में कितना कारगर साबित होगी, यह आगे पता चलेगा।