राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ऑफलाइन एग्जाम की घबराहट
12-Feb-2022 6:05 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : ऑफलाइन एग्जाम की घबराहट

ऑफलाइन एग्जाम की घबराहट

प्रदेश के कई स्थानों पर एनएसयूआई और दूसरे छात्र संगठन मांग उठा रहे हैं कि स्कूली परीक्षाओं को ऑफलाइन के बजाय ऑनलाइन ली जाये। जब से कोविड-19 ने पैर पसारे हैं, ज्यादातर पढ़ाई और परीक्षायें ऑनलाइन ही हुईं। इस बार पढ़ाई तो ऑनलाइन हुई है पर परीक्षा के वक्त छात्र ऑफलाइन हो चुके हैं। जब पढ़ाई ऑनलाइन हुई है तो परीक्षा भी ऑनलाइन ही होनी चाहिये। इन्होंने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन भेजकर इस पर दखल देने की मांग भी की है। छात्रों की चिंता अपनी जगह पर जायज हो सकती है लेकिन यह भी सच्चाई है कि ऑनलाइन परीक्षाओं में भरपूर सहूलियत मिली। स्कूल-कॉलेज के ऐसे कई स्टूडेंट जो वर्षों बोर्ड, इंजीनियरिंग आदि की परीक्षायें पास नहीं कर पाये, वे ऑनलाइन परीक्षा में बरती गई रियायत के चलते सर्टिफिकेट, डिग्री पाने में कामयाब हो गये। शिक्षक, पालक, हर कोई मान रहा है कि ऑनलाइन पढ़ाई ऑफलाइन का विकल्प नहीं है, यह सिर्फ विशेष परिस्थितियों के कारण रखा गया विकल्प है। ऐसे में एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि ऑफलाइन परीक्षा को लेकर छात्रों में घबराहट तो पैदा नहीं हो रही है? ऑनलाइन परीक्षा की मांग इस वजह से तो नहीं? शिक्षा विभाग के अधिकारियों और मनोवैज्ञानिकों को इनके साथ काउंसलिंग भी करनी चाहिये।

दलहन की दाल नहीं गल रही..

दालों में प्रोटीन, फाइबर और कुछ महत्वपूर्ण खनिज तत्व पाये जाते हैं, जो अच्छी सेहत के लिये जरूरी है। चिंता की बात यह है कि इसकी खपत लगातार घट रही है। पहले जहां एक आदमी औसत 70 ग्राम दाल प्रतिदिन खाता था, वह अब घटकर 40 ग्राम रह गया है। इसके चलते दलहन फसलों का रकबा केवल छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि पूरे देश में घट रहा है। विश्व दलहन दिवस 10 फरवरी को मनाया गया । बिलासपुर में इस मौके पर हुई एक संगोष्ठी में कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि केवल उत्पादन ही नहीं, खपत बढ़ाना भी जरूरी है। छत्तीसगढ़ सरकार ने धान की बजाय दूसरी फसल लेने के लिये किसानों को प्रोत्साहित करने का निर्णय पिछले साल लिया था। पर दलहन फसलों को लाभकारी कैसे बनाया जाये, उत्पादन की लागत कैसे घटे इस पर किसानों को कोई सलाह नहीं मिल रही है। वैज्ञानिकों के ज्यादातर शोध-कार्य उनके कॉलेज के खेतों से बाहर नहीं निकल पाते। किसान कुछ अलग पैदावार ले भी ले, तो सही कीमत देने वाला बाजार मिलता नहीं है। इसलिये घूम-फिरकर वे धान की तरफ ही लौट जाते हैं।

हम तो चले वोट देने...

इन दिनों यदि आपके शहर में सडक़ों पर चाट, फल, मूंगफली बेचने वाले ठेले कम दिख रहे हों तो हैरान होने की जरूरत नहीं। छत्तीसगढ़ में बहुत से लोग यूपी से आकर ये छोटे-छोटे व्यवसाय कर रहे हैं। जिन लोगों का अच्छा बिजनेस और अच्छी नौकरी है, उनमें भी यूपी से आये कई परिवार हैं, पर उनकी अनुपस्थिति का आपको पता नहीं चलेगा। ये ऐसे लोग हैं, जिनका नाम यूपी की मतदाता सूची में जुड़ा हुआ है, जो मताधिकार का इस्तेमाल करने अपने गांव, शहर जा रहे हैं। एक अखबार की खबर है कि खाड़ी के देशों से आने वाली फ्लाइट्स इन दिनों फुल चल रही है। यानि जो दूसरे देशों में काम-धंधे के लिये गये हैं वे भी मतदान के लिये आ रहे हैं। अपने देश में 15 राज्यों में यूपी के लोग फैले हुए हैं, जिनका स्थायी निवास, आधार कार्ड और मतदाता सूची में नाम यूपी का है। वे भी लौट रहे हैं। ऐसी जागरूकता के बावजूद आंकड़ा बताता है कि पहले चरण में मतदान का प्रतिशत 61 प्रतिशत से कुछ ही ज्यादा रहा।

विपक्ष के बिना संघर्ष..

जगदलपुर के दो-तीन वार्डों में रेलवे की जमीन पर बसे करीब पौने तीन सौ अवैध कब्जाधारियों को बीते कई दिनों से भाजपा का भरपूर साथ मिला। वे कांग्रेस पार्षद कोमल सेना के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की मांग पर फ्रंट पर रहे। रेलवे ने इन्हें अतिक्रमण हटाने की नोटिस दी, तो सडक़ पर आकर गिरफ्तारी भी दी। पर इन पीडि़तों को शायद लगने लगा कि राजनीति घुस जाने के कारण उनकी समस्या को प्रशासन सुन नहीं रहा है, उल्टे नुकसान हो रहा है। इसीलिये पीडि़तों ने खासकर महिलाओं ने भाजपा को आंदोलन से अलग कर दिया। उन्होंने कल कलेक्टर रजत बंसल से मुलाकात की तो उनके साथ कोई भाजपा नेता नहीं था। उन्होंने अपनी व्यथा बताई। कहा- आवास योजना में घर मिलने की उम्मीद में उन्होंने रकम गंवा डाली और अब रेलवे उनको बेदखल करने की नोटिस दे रहा है। ऐसे में तो वे खुले आसमान के नीचे आ जायेंगे। पीडि़तों को उन्होंने आश्वस्त किया है कि उन्हें बेघरबार नहीं होने दिया जायेगा। शासन की योजनाओं में शामिल कर लाभ दिलाया जायेगा। रेलवे प्रशासन से भी बात करके जगह खाली करने के लिये मोहलत मांगी जायेगी। कलेक्टर ने जिस गंभीरता के साथ पीडि़तों की बात सुनी है, लगता है कि दो-चार दिन के भीतर पीडि़तों के हक में कोई रास्ता निकाला जायेगा। वैसे भी इस मामले में राज्यपाल अनुसूईया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दोनों ने कलेक्टर को फोन कर दिशा-निर्देश भी दिये हैं। 

ऑनलाइन ट्रांसफर पोस्टिंग

स्कूल शिक्षा विभाग ने अब ट्रांसफर, पोस्टिंग के लिये ऑनलाइन आवेदन मंगाने का निर्णय लिया है। रिलीव और ज्वाइन करने के ऑर्डर भी ऑनलाइन ही जारी होंगे। शिक्षकों को शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। कुछ दिन पहले एक शिक्षा अधिकारी ने एक लंबी चौड़ी डायरी में ट्रांसफर, पोस्टिंग में करोड़ों रुपये के लेन-देन की डायरी लीक थी। इसमें सीधे सीधे मंत्री डॉ. प्रेम साय सिंह और मैडम का नाम भी लिखा गया था। पुलिस जांच में इसे फर्जी पाया गया। मगर यह सच है कि इसके पहले शिक्षकों के ट्रांसफर में जनप्रतिनिधियों की बात नहीं सुने जाने की शिकायत कुछ संसदीय सचिवों, विधायकों ने मुख्यमंत्री से फिर बाद में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से कर दी थी। हाल ही में एक नये-नये शिक्षक को ट्रांसफर के नाम पर रुपये मांगने का ऑडियो वायरल होने पर गिरफ्तार भी किया गया। ऑनलाइन आवेदन मंगाने, आदेश जारी करने का तरीका विभाग में भ्रष्टाचार को रोकने में मददगार होगा या इसका भी कोई तोड़ निकाल लिया जायेगा? वैसे शिक्षक संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है।

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