राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एंग्लो इंडियन विधायक में पेंच
13-Feb-2022 5:49 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : एंग्लो इंडियन विधायक में पेंच

एंग्लो इंडियन विधायक में पेंच

सरकार के अंदरखाने में एंग्लो इंडियन विधायक के मनोनयन पर मंथन चल रहा है। वैसे तो विधानसभा के इसी सत्र में विधायक के मनोनयन की कोशिश थी, लेकिन अब इसमें पेंच भी है। केंद्र सरकार ने दिसंबर-2020 में कानून बनाकर लोकसभा, और विधानसभाओं में एंग्लो इंडियन विधायक के मनोनयन की व्यवस्था खत्म कर दी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि छत्तीसगढ़ में विधायक का मनोनयन हो पाएगा, अथवा नहीं। विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव देवेंद्र वर्मा का मानना है कि छत्तीसगढ़ में एंग्लो इंडियन विधायक के मनोनयन में कोई दिक्कत नहीं है। यदि राज्यपाल को ऐसा लगता है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा में एंग्लो इंडियन सदस्य का प्रतिनिधित्व नहीं है, तो वह सरकार की सिफारिश पर एक विधायक  मनोनीत कर सकती हैं। केंद्र का कानून भी मनोनयन में आड़े नहीं आएगा, क्योंकि कानून छत्तीसगढ़ की इस बार की विधानसभा के गठन के बाद बना है। वर्मा का कहना है कि विधायक का मनोनयन विधानसभा के इसी कार्यकाल के लिए है। बाकी विधायकों के साथ-साथ एंग्लो इंडियन विधायक का भी कार्यकाल खत्म हो जाएगा। दूसरी तरफ, एंग्लो इंडियन विधायक को मतदान का भी अधिकार होता है। चूंकि  कांग्रेस के पास वैसे ही दो तिहाई बहुमत है। ऐसे में एंग्लो इंडियन विधायक की नियुक्ति पर कोई रूचि नहीं ली गई। अब विधायक के कुछ दावेदारों के बायोडाटा भी सीएम तक पहुंच चुके हैं। सरकार क्या फैसला लेती है, यह देखना है।

5 डे वीक से यह नुकसान भी...

सरकारी दफ्तर बंद, यानी गांव से कस्बों से पहुंचने वाली जिला मुख्यालयों की भीड़ में कमी। सप्ताह में 5 दिन की वर्किंग से जिन लोगों को बड़ा नुकसान हुआ है उनमें ऑटो चालक भी शामिल हैं। बहुत से लोग स्टेशन और बस स्टैंड से अपने काम के लिए ऑटो रिक्शा से ही कलेक्ट्रेट और दूसरे सरकारी दफ्तर पहुंचते हैं। कई सरकारी कर्मचारी भी ऑटो रिक्शा का रोजाना अप-डाउन के लिये इस्तेमाल करते हैं। प्रदेश सरकार ने जब से 5 दिन की वर्किंग डे शुरू की है इनकी कमाई पर असर पड़ा है। कोरोना में किस्त नहीं चुका पाने पर दर्जनों ऑटो चालकों को अपनी वाहन बेचकर दूसरा काम-धंधा पकडऩा पड़ गया था। इसके बाद डीजल के दाम बढ़े तो उन्हें फिर नुकसान हुआ, क्योंकि किराया प्रतिस्पर्धा के चलते नहीं बढ़ा पाये। सुबह 10 बजे दफ्तर नहीं पहुंचने को लेकर के कई जिलों में ताबड़तोड़ कार्रवाई चल रही है। कारण बताओ नोटिस दी जा रही है और वेतन रोके जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में ऑटोचालक ही नहीं बल्कि सरकारी दफ्तरों के भरोसे कैंटीन और स्टेशनरी का काम करने वाले भी मना रहे हैं कि यह नया प्रयोग विफल हो जाये और दफ्तर पहले के जैसे खुलें।

ट्रैफिक कंट्रोल के लिये सडक़ पर डांस

करीब 7 साल पहले इंदौर के ट्रैफिक पुलिस जवान रंजीत सिंह का वीडियो सामने आया था। उनके वीडियो एक करोड़ से अधिक बार देखे गये हैं। देखने वालों ने उनके काम के प्रति जज्बे की बड़ी तारीफ की और उन्हें माइकल जैक्सन कहकर भी पुकारा। अब ऐसा ही कुछ जशपुर जिले के ट्रैफिक जवान पद्मन बरेठ के बारे में कहा जा रहा है। जिला पुलिस से ट्रैफिक में इनको आये 4-6 दिन ही हुए हैं लेकिन चौराहे पर यातायात संभालने की इनकी विशेष स्टाइल ने लोगों का ध्यान खींचा है। इनके भी कई वीडियो सोशल मीडिया पर चल निकले हैं। अमूमन ट्रैफिक जवान के संकेतों की परवाह किए बगैर लोग चौक-चौराहे से सरपट निकलने की कोशिश करते हैं या फिर जाम में फंस जाने पर किसी कोने में मोबाइल फोन पर बतियाते ट्रैफिक जवानों पर गुस्सा करते हैं। पर, पद्मन का डांस करते हुए ट्रैफिक कंट्रोल करना राहगीरों को पसंद आ रहा है। वैसे, जशपुर में कलेक्टोरेट वाली लाइन को छोड़ दें तो शहर के भीतर ट्रैफिक दबाव ज्यादा नहीं है। अफसरों के ध्यान में बात आई तो शायद इनकी सेवायें राजधानी जैसी जगह पर ली जाये, जहां लोगों में खासकर दुपहिया सवारों में ट्रैफिक रूल को तोडऩे की घटनायें ज्यादा दिखाई देती है। पद्मन बरेठ लोगों के लिये प्रेरणा बन सकते हैं कि जो काम मिला है उसे मन से करें। उसमें उत्साह और रूचि दिखायें तो थकान कम लगेगी। 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news