संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : साइबर-जुर्म का यह ताजा मामला बहुत किस्म की सावधानी सुझाता है...
10-Jul-2024 4:17 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय :  साइबर-जुर्म का यह ताजा मामला बहुत किस्म की सावधानी सुझाता है...

मिमिक्री आर्टिस्ट ने शादी का झांसा दे सॉफ्टवेयर इंजीनियर से की एक करोड़ 40 लाख की ठगी. तस्वीर / ‘छत्तीसगढ़’

छत्तीसगढ़ में कल सामने आई ठगी की एक घटना कई मायनों में भयानक है। एक तो यह कि कोई ठग कितनी बारीक साजिश कर सकता है, और कैसे एक पूरा जाल बिछा सकता है, यह इसके पहले किसी मामले में हमें याद नहीं पड़ता। दूसरी बात यह कि जिसे ठगा गया है वह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, जाहिर तौर पर पढ़ा-लिखा तो है ही, इसके अलावा वह आज की दुनिया में तरह-तरह के कम्प्यूटर सॉफ्टवेयरों की चर्चा से तो वाकिफ होगा ही कि ठग किस-किस तरह से अलग-अलग किरदार बनकर झांसा दे सकते हैं। तीसरी बात यह कि जिस इंजीनियर के पास ठगी और ब्लैकमेलिंग में देने के लिए करीब डेढ़ करोड़ रूपए थे, वह शादी के लिए एक लडक़ी पाने के लिए इतनी रकम डुबाता चला गया, जबकि हिन्दुस्तान में आमतौर पर यह माना जाता है कि शादी के बाजार में लडक़ी को दिक्कत होती है, और लडक़े दहेज लेते हैं। इतना काबिल, पढ़ा-लिखा, पेशेवर, और संपन्न नौजवान किस तरह डेढ़ करोड़ रूपए एक दुल्हन की चाह में डुबा सकता है, यह न सिर्फ अटपटा है, बल्कि यह भी बताता है कि हिन्दुस्तानी लोग कितने किस्म की जालसाजी के शिकार होने के लिए एकदम रेडीमेड सामान हैं। हम किसी ठगे गए व्यक्ति की खिल्ली उड़ाना नहीं चाहते, लेकिन इससे देश में जागरूकता का एक स्तर पता लगता है कि यह जालसाजों के लिए एकदम उपजाऊ जमीन है। लोगों को याद होगा कि अभी कुछ अरसा पहले ही इसी छत्तीसगढ़ में कुछ रिटायर्ड अफसर सैक्सटॉर्सन का शिकार हुए थे, और जो वीडियो कॉल पर किसी लडक़ी की आवाज और तस्वीर देखते ही अपने कपड़े उतारने को उतावले हो गए थे, और फिर ब्लैकमेलिंग में मोटी रकम डुबा बैठे। सैक्सटॉर्सन सिर्फ हिन्दुस्तानियों को लूटने का औजार नहीं है, और पश्चिम के बड़े विकसित देशों के स्कूली लडक़े भी उसका शिकार हो रहे हैं जिनसे कि टेक्नॉलॉजी के अधिक जानकार होने की उम्मीद की जाती है।

छत्तीसगढ़ की इस ताजा ठगी की कहानी अखबारों में खुलासे से आई है, लेकिन पुलिस को चाहिए कि इसका और अधिक प्रचार करे। हम किसी का अपमान करने के लिए यह बात नहीं सुझा रहे हैं, लेकिन कैसे कोई एक ठग अलग-अलग दर्जन भर अलग-अलग किरदार बनकर किसी को धोखा दे सकते हैं, और ठग सकते हैं, इसे अधिक लोगों को समझने की जरूरत है। एक ही ठग लडक़ी बनकर, उसका भाई बनकर, जज बनकर, टैक्स अफसर बनकर, आरबीआई अफसर बनकर, जाने क्या-क्या बनकर धोखा देते रहा, और इतनी बड़ी रकम वसूल ली। ऐसे और भी कई मामले दुनिया भर में सामने आए हैं जब किसी वकील, बैंक अफसर, या डॉक्टर जैसे पढ़े-लिखे लोगों को मोबाइल फोन की वीडियो कॉल से फंसाया गया, और फिर उनसे उनके बैंक खातों का एक-एक पैसा वसूल लिया गया। कई मामले तो ऐसे हुए हैं जिनमें ठग या ठगों ने ऐसे फंसे हुए लोगों की डेढ़-दो दिन तक डिजिटल-किडनैपिंग कर ली, और उन्हें उतना वक्त मोबाइल फोन की वीडियो कॉल चालू रखकर गुजारना पड़ा, फोन के कैमरे के सामने ही सोना पड़ा। यह एकदम भयानक नौबत है क्योंकि आज हर किसी के पास फोन है, अधिकतर लोगों के फोन से उनके बैंक खाते या भुगतान के और कोई तरीके जुड़े हुए हैं, और हर कोई अपनी बदनामी से डरते भी हैं। ऐसे में एक बार किसी को कर्ज के जाल में फंसाकर, लोन एप्लीकेशन के मार्फत लोगों के फोन की पूरी जानकारी पर कब्जा करके, या सेक्स-कॉल में किसी को उलझाकर, उसमें लोगों के वीडियो बनाकर फिर उन्हें निचोडऩे का जो सिलसिला शुरू होता है, वह कभी खत्म ही नहीं हो पाता। अधिकतर मामलों में लोगों की बैंक में रकम पहले खत्म होती है, जिंदा रहने का हौसला उसके बाद खत्म होता है, और बहुत कम लोग ही पुलिस तक पहुंच पाते हैं।

अब इस किस्म के साइबर-जुर्म को रोक पाना सरकार के लिए पता नहीं कितना मुमकिन है, क्योंकि वे दो लोगों के बीच टेलीफोन पर चलने वाला सिलसिला रहता है, और शायद सरकारी निगरानी एजेंसियों के जाल में ऐसे जुर्म आसानी से फंसते नहीं हैं। इसका एक ही तरीका दिखता है कि लोगों को जागरूक किया जाए। इसका दूसरा तरीका एक और हो सकता है कि लोगों के बैंक खातों से ऑनलाईन भुगतान को मुश्किल किया जाए। अब इससे लोगों के कामकाज और कारोबार कितने प्रभावित होंगे, और जुर्म कितने रूकेंगे, इसका अंदाज लगाना हमारे लिए मुमकिन नहीं है, लेकिन यह बात जरूर है कि ब्लैकमेलिंग या ठगी के शिकार लोग नए-नए बैंक खातों पर जब मोटी रकम डालने लगते हैं, तो उसके खिलाफ बैंकों में हिफाजत के लिए कोई तरकीब निकाली जा सकती है, या निगरानी रखने वाली एजेंसियां, और जांच एजेंसियां भी ऐसे तरीके निकाल सकती हैं कि संदिग्ध या रहस्यमय लगने वाले ऐसे भुगतान बैंकों की नजर में आएं, और उनकी आगे जांच की जा सके। अभी हमको यह अंदाज नहीं है कि बैंकों की अपने ग्राहकों से गोपनीयता की शर्तें इसमें आड़े आएंगी, या नहीं, लेकिन हमारा मानना है कि ग्राहकों से भी बैंक एक ऐसी इजाजत ले सकते हैं कि अगर बैंक को शक हो कि इस खाते से ठगी या ब्लैकमेलिंग का भुगतान हो रहा है, तो वे इस पर किसी तरह से नजर रख सकें, रोक सकें, या कम से कम ग्राहक से बात करके पूछ सकें कि ऐसे असाधारण भुगतान क्यों किए जा रहे हैं।

अभी एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया की एक रिपोर्ट है कि अगर साइबर-जुर्म को एक देश माना जाए, तो इस देश की कमाई दुनिया में तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था रहेगी। अब अगर सिर्फ दर्ज हुए साइबर-जुर्म की कमाई इतनी बढ़ चुकी है, तो दर्ज न होने वाले साइबर-जुर्म का आकार तो शायद और भी विकराल होगा। अब समय आ गया है कि जिस तरह आवाज बदलने वाले सस्ते सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से लोग किसी को ठग रहे हैं, सरकारी जांच एजेंसियों को भी एआई का इस्तेमाल करके ऐसे ठगों और जालसाजों को, ब्लैकमेलरों को पकडऩे की तरकीबें निकालनी चाहिए। पूरी की पूरी दुनिया आज डिजिटल हो चुकी है, और शायद दुनिया का तीन चौथाई से अधिक कारोबार डिजिटल या ऑनलाईन हो चुका है, ऐसे में साइबर-जुर्म को रोकना आज दुनिया के सामने शायद सबसे बड़ी चुनौती है। दुनिया के हिन्दुस्तान सरीखे बहुत से देशों ने हर चीज को डिजिटल, या ऑनलाईन कर दिया है, लेकिन ऑनलाईन ठगी, और जालसाजी को रोकने के लिए बचाव अभी तक नहीं ढूंढे हैं, यह काम बड़े पैमाने पर करने की जरूरत है, क्योंकि मुजरिमों के पकड़ाने पर भी लोगों की डूबी रकम तो नहीं लौटती है।

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

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