संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : कम्प्यूटर-पैरालिसिस के सबक, साइबर-आतंकियों से बचने की तैयारी जरूरी
21-Jul-2024 5:58 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय :  कम्प्यूटर-पैरालिसिस के सबक, साइबर-आतंकियों से बचने की तैयारी जरूरी

दुनिया में सबसे बड़ी संख्या में कम्प्यूटरों पर माइक्रोसॉफ्ट का ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर विंडोज काम करता है। अभी माइक्रोसॉफ्ट से जुड़ी हुई साइबर सुरक्षा मुहैया कराने वाली एक कंपनी क्राउडस्ट्राईक ने सॉफ्टवेयर को अपडेट किया, तो माइक्रोसॉफ्ट का सर्वर ही डाउन हो गया, और उससे जुड़े हुए दर्जनों देशों की दसियों हजार कंपनियों के कम्प्यूटर ठप्प पड़ गए। पूरी दुनिया में बैंकों, शेयर बाजारों का काम ठप्प हो गया, हजारों विमान उडऩे से रूक गए, अस्पतालों का काम रूक गया, मीडिया कंपनियों का काम रूक गया। एक साथ दुनिया में दसियों लाख कम्प्यूटरों पर स्क्रीन नीली दिखने लगी, और क्राउडस्ट्राईक ने अपनी चूक को सुधार भी लिया, लेकिन एक बार बैठ गए कम्प्यूटरों में फिर जान डालने के लिए हर किसी को बहुत मशक्कत करनी पड़ी, जो अभी भी जारी है। हिन्दुस्तान भी इससे बुरी तरह प्रभावित हुआ था। और पूरी दुनिया में यह चर्चा चल रही है कि क्या कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर या साइबर सुरक्षा के मामले में गिनी-चुनी कंपनियों का एकाधिकार दुनिया के लिए खतरनाक नहीं है? आज जब पूरी दुनिया का कामकाज इन्हीं दो-चार कंपनियों के हार्डवेयर या सॉफ्टवेयर पर टिका हुआ है, तो इसके खतरे समझना जरूरी है। न्यूयॉर्क पुलिस ने कम्प्यूटरों को लकवा मार जाने के बारे में यह कहा कि एकाएक उसके पास काम करने के औजार 1970 और 1980 के दशक के रह गए थे, और टेलीफोन और कागज-पेन से न्यूयॉर्क की पुलिस पर नियंत्रण किया जा रहा था, और यह इंतजाम पूरी तरह नाकाफी था।

लेकिन हम पहले भी इस तरह की आशंका जता चुके थे कि दुनिया के साइबर-हैकर, और अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस नाम के औजार या हथियार से लैस साइबर-आतंकी किसी भी वक्त दुनिया को घुटनों पर ला सकते हैं। अभी तो एक साइबर-सुरक्षा कंपनी के बनाए हुए सॉफ्टवेयर में एक चूक से एक-दो दिन दुनिया की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित ही हुई थी, लेकिन अगर किसी दिन साइबर-आतंकी अपनी पूरी तैयारी से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करके अगर दुनिया के प्रमुख कम्प्यूटरों पर काबू पा लेंगे, तो क्या होगा? हॉलीवुड में 20 बरस पहले ऐसी फिल्में बन चुकी हैं जिनमें साइबर-मुजरिम सार्वजनिक कम्प्यूटर प्रणालियों पर कब्जा कर लेते हैं, और किस तरह महानगरों के ट्रैफिक को पल भर में ध्वस्त कर देते हैं। जब चौराहों पर हर तरफ ग्रीन लाईट दिखने लगेगी, तो जाहिर है कि हर तरफ से आगे बढ़ी गाडिय़ां टकराकर सब कुछ उलझा देंगी, जिसे सुलझाना नामुमकिन सा रहेगा। इसके अलावा आज ट्रेन, प्लेन, बैंक, एटीएम, क्रेडिट कार्ड, अस्पताल के रिकॉर्ड, सुपर बाजारों की बिलिंग, पेट्रोल पंपों का काम, सब कुछ तो कम्प्यूटरों, और इंटरनेट से जुड़ गया है। अगर कोई आतंकी गिरोह एक तैयारी करके इन सबको चौपट कर दे, मोबाइल फोन और इंटरनेट ठप्प कर दे, बिजलीघरों का उत्पादन ठप्प कर दे, पानी की सप्लाई बंद कर दे, तो अपने आपको बचाने के लिए आबादी का एक बड़ा हिस्सा एक दिन के भीतर ही दुकानों से सामान, या कहीं से ईंधन लेने के लिए जुर्म करने को तैयार हो जाएगा। जो अमन-पसंद लोग हैं वे भी हिंसा पर उतारू हो जाएंगे, और दुनिया के ऐसे देशों की पुलिस अराजक हालात पर एक फीसदी भी काबू नहीं पा सकेगी। सरकार की आज की क्षमता नियमों के तहत चलने वाले समाज के मुताबिक बनी हुई है, और अगर आबादी का एक बड़ा हिस्सा अपने जिंदा रहने के लिए लूटपाट पर आमादा रहेगा, तो उसे रोकने के लिए तो दूसरे ग्रह से लाई पुलिस भी कम पड़ेगी।

पूरी दुनिया आज जिस तरह ऑटोमेटिक मशीनों पर, कम्प्यूटरों, और संचार व्यवस्था पर टिक गई है, वह अपने आपमें एक नाजुक और खतरनाक नौबत है। हम यह तो नहीं कहते कि इससे बेहतर कोई इंतजाम हो सकता था, लेकिन यह इंतजाम कितना नाजुक है, यह भी देखने-समझने की जरूरत है। अभी तो दुनिया में छोटे-मोटे जुर्म करने वाले साइबर-मुजरिमों ने इस धंधे को दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बना लिया है। और अगर साइबर-जुर्म में, साइबर-आतंकी घुस जाएंगे, उनके हाथ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसा बड़ा हथियार आज भी है, तो वे अपनी विचारधारा और मकसद के हिसाब से किसी भी स्तर की तबाही ला सकते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की अपनी कोई नैतिकता या सोच नहीं है, अपनी कोई विचारधारा नहीं है, इसलिए वह अगर आतंकियों का हथियार रहेगी, तो उनकी ताकत को दुनिया की सरकारों की क्षमता के ऊपर ले जा सकती है। हमने पहले भी एक बार इस मुद्दे को उठाया था कि सिर्फ ठगने या जुर्म करने के लिए नहीं, दुनिया में पर्यावरण की तबाही को रोकने के लिए भी अगर कोई आतंकी समूह बीड़ा उठा लेगा, तो हो सकता है कि वह दुनिया में पर्यावरण को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाने वाले अतिसंपन्न देशों, अतिसंपन्न लोगों, और सबसे अधिक सुख-सुविधाओं के खर्चीले साधनों को तबाह करने पर जुट जाएं। ऐसे तमाम तबकों की शिनाख्त बड़ी आसान है, और ऐसे पहचाने और तय किए गए निशानों पर हमले की एक साजिश बनाई जा सकती है। किसी विचारधारा के प्रति समर्पित लोग यह सोच सकते हैं कि अतिसंपन्न तबकों को निशाना बनाकर पर्यावरण को बचाया जा सकता है, जलवायु परिवर्तन की धीमा किया जा सकता है, और इस सोच के साथ ये लोग धरती के साधनों की बड़ी बर्बादी को रोकने का हमला कर सकते हैं। हमारा ख्याल है कि किसी भी तरह की सुरक्षा व्यवस्था मुजरिमों और आतंकियों से अधिक असरदार नहीं रहती, और जब कुछ बड़े हमले हो चुके रहते हैं, तब जाकर सबसे काबिल देश भी अपने को बचा सकते हैं। 11 सितंबर को न्यूयॉर्क के वल्र्ड ट्रेड सेंटर में ओसामा के विमान जिस तरह घुसे थे, उसके लिए अमरीका तैयार नहीं था, अभी पिछले बरस 7 अक्टूबर को फिलीस्तीन के हमास के हमलावरों ने जिस तरह इजराइल पर हमला किया था, इस फौजी देश की सारी सुरक्षा तैयारियां धरी रह गई थीं।  यह भी समझने की जरूरत है कि आज फिलीस्तीनियों पर जिस तरह के जुल्म हो रहे हैं, उसके खिलाफ अगर दुनिया के साइबर-घुसपैठिया दिमाग एकजुट होकर इजराइल और उसके मददगार देशों पर, कारोबारियों पर, बैंकों, और उनकी अर्थव्यवस्था पर हमला करेंगे, तो 7 अक्टूबर जैसी नौबत फिर सामने रहेगी।

सिर्फ पर्यावरण बचाने के लिए नहीं, दुनिया में गरीबों को हक दिलाने के लिए हो सकता है कि कोई आतंकी समूह अमीरों पर और पूंजीवादी व्यवस्था पर साइबर-हमला करे, या धार्मिक विचारधारा के आधार पर कोई आतंकी समूह अपने से असहमत देशों या अर्थव्यवस्थाओं पर हमला करे। आज जिस घटना को लेकर हम इन खतरों को गिना रहे हैं, वह तो एक कंपनी की चूक से उपजी हुई नौबत है, लेकिन जब दुनिया के कुछ सबसे काबिल, शातिर, और आतंकी दिमाग दुनिया के किसी तबके को तहस-नहस करने पर उतारू हो जाएंगे, तो शुरूआती हमलों का सामना करने की तैयारी तो शायद किसी की नहीं रहेगी। और कई अर्थव्यवस्थाएं वल्र्ड ट्रेड सेंटर की इमारतों के मलबे की तरह दिखने लगेंगी। इसलिए कम्प्यूटर-इंटरनेट, और इनसे चलने वाली दुनिया की व्यवस्था को सुरक्षित रखने के लिए यह भी जरूरी है कि दुनिया की अपनी शासन व्यवस्था को भी न्यायप्रिय रखा जाए, उसके बिना कुछ भी सुरक्षित नहीं रह पाएगा।

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news