राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : छुट्टियों का मौसम
06-Apr-2023 4:36 PM
राजपथ-जनपथ : छुट्टियों का मौसम

छुट्टियों का मौसम

न्यू ईयर में छुट्टी मिलना कम क्या हुआ, अफसर गर्मी में छुट्टी लेकर सैर सपाटे पर निकल रहे हैं। कुछ अफसरों की जरूर कुछ अलग वजह है। हाल यह है कि मंत्रालय में दर्जनभर आईएएस छुट्टी पर हैं। इनमें सीएम के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी भी हैं, जो कि महीने भर की छुट्टी पर चले गए हैं। इसके अलावा हिमशिखर गुप्ता, और बासव राजू भी छुट्टी पर हैं।

यही नहीं, चर्चित आईएएस दंपत्ति रानू साहू, और जयप्रकाश मौर्य भी हफ्तेभर की छुट्टी पर हैं। सचिव स्तर की अफसर श्रुति सिंह, शेहला निगार, और आर संगीता पहले से ही छुट्टी पर चल रहीं हैं। आईएएस दंपत्ति अलबंगन पी, और उनकी पत्नी वित्त सचिव अलरमेल मंगाई डी भी छुट्टी पर थीं।

अलबंगन तो लौट आए हैं, लेकिन अलरमेल मंगाई ने जून तक छुट्टी बढ़ा दी है। मंगाई की जगह अंकित आनंद की जगह वित्त विभाग का प्रभार संभाल रहे हैं। वो भी तीन दिनों की छुट्टी पर थे, लेकिन अब लौट आए हैं। छुट्टी पर जाने की एक और वजह ईडी की सक्रियता भी है। कई अफसर ईडी की जांच के घेरे में आ गए हैं। ऐसे में तनाव मुक्ति के लिए छुट्टी पर जाने का हक बनता ही है।

अब हर किस्म का तापमान बढ़ेगा

कोल और शराब कारोबार में कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग की ईडी पड़ताल कर रही है। रोजाना अफसरों-कारोबारियों के बयान हो रहे हैं। जिन आधा दर्जन अफसर-कारोबारियों को ईडी ने गिरफ्तार किया था, उन्हें अब तक अदालती राहत नहीं मिल पाई है। ईडी जांच का दायरा बढ़ाते जा रही है। नई खबर यह है कि ईडी पखवाड़े भर के भीतर एक और सर्जिकल स्ट्राइक कर सकती है।

ईडी अब उद्योगपति, कारोबारियों के अलावा लाल बत्ती धारी नेताओं को निशाने पर ले सकती है। हालांकि ईडी की अब तक की कार्रवाई से भाजपा को कोई राजनीतिक फायदा मिलते नहीं दिख रहा है। उल्टे निजी चर्चा में पार्टी के नेता इससे नुकसान की आशंका भी जता रहे हैं। यही वजह है कि पार्टी के नेता तोलमोल कर बयान दे रहे हैं, लेकिन अब सह प्रभारी नितिन नबीन के निर्देश के बाद भाजपा ईडी की कार्रवाई के समर्थन में सीएम-कांग्रेस पर हमले तेज करेगी। कुल मिलाकर तापमान बढऩे के साथ-साथ राजनीतिक माहौल के भी गरमाने के आसार हैं।

हटाने की चर्चा और ठहाके

मोहन मरकाम के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटने का हल्ला है। करीब दर्जन भर मंत्री-विधायक दिल्ली में डटे हुए हैं। कुछ को तो मरकाम को हटाने की मुहिम से जोडक़र देखा जा रहा है। दावेदारों में अमरजीत भगत, शिशुपाल सोरी, दीपक बैज, और डॉ. प्रेमसाय सिंह का नाम लिया जा रहा है। इससे परे मोहन मरकाम कोंडागांव में हैं, और अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों की समस्याएं सुलझाने में व्यस्त हंै।
वो पद से हटाने की मुहिम से बेपरवाह हैं, और जब उनके करीबी लोग दिल्ली के घटनाक्रमों से अवगत कराते हैं, तो वो सीधे कोई प्रतिक्रिया देने के बजाए जोरदार ठहाका लगा देते हैं। मरकाम के अंदाज को समर्थक समझ नहीं पा रहे हैं। या तो वो पद पर बने रहने को लेकर आश्वस्त हैं, या फिर कांग्रेस की कार्यशैली का उन्हें अंदाजा है कि कोई भी फैसला जल्दी नहीं होता है। चाहे कुछ भी हो, मरकाम के ठहाके की चर्चा पार्टी के भीतर खूब हो रही है।

यह एक अलग मुकाबला चल रहा है

कांग्रेस पार्टी में, और अब तो उसकी देखादेखी तमाम पार्टियों में चापलूसी आसमान छूती है। कुछ लोग मोदी को ईश्वर का अवतार बताते हैं, तो कुछ लोग उनके लिए हर-हर मोदी, घर-घर मोदी का नारा भी गढ़ते हैं। लेकिन कांग्रेस पार्टी में अब राहुल गांधी की मुसीबत के वक्त उनके सबसे बड़े हिमायती बनकर सामने आने का एक मुकाबला चल रहा है। छत्तीसगढ़ के आज के कांग्रेस विधायक अपने को छत्तीसगढ़ का प्रथम पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री भी लिखते हैं। उन्होंने अभी यह बयान दिया है कि राहुल गांधीजी नए महात्मा गांधी के रूप में उभर रहे हैं। अभी दो ही दिन पहले उन्हीं की तरह के एक और भूतपूर्व मंत्री, और वर्तमान कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा ने राहुल गांधी को राष्ट्रपुत्र करार दिया था। ऐसा लगता है कि किसी बड़ी अदालत से राहुल के बरी होने तक उनके बारे में कांग्रेस के नेता इतने किस्म के विशेषण उछाल चुके होंगे जो उनके लिए, या किसी भी स्वाभिमानी नेता के लिए तरह-तरह की शर्मिंदगी बने रहेंगे। ऐसी हर चापलूसी नेता की बेइज्जती करवाने के अलावा और कुछ नहीं करती।

काबू पाने का लोकतांत्रिक तरीका

आए दिन मुख्यमंत्री निवास घेराव आंदोलन होता है। इस सरकार ने तय कर लिया है कि इनके साथ वैसी सख्ती नहीं बरती जाए, जो बाद में उसके लिए मुसीबत बन जाए। बेरोजगारी के मुद्दे पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ता कल सीएम हाउस घेरने निकले।
तस्वीर देखें- महिला पुलिस, स्पेशल पुलिस, सिटी पुलिस, ट्रैफिक पुलिस-सबने किस तरह बेहतर तालमेल बनाया है। एक दूसरे की पीठ को पूरे जोर-जोश से पुश कर रहे हैं और पहली कतार के जवानों की ताकत बढ़ा रहे हैं। वे बिना चोट पहुंचाए आंदोलनकारियों को आगे बढऩे से रोक रहे हैं। नियंत्रण ऐसा कि आईना भी न टूटे। पुलिस की इस कवायद को उनके बेहतर प्रशिक्षण के नमूने के रूप में लिया जा सकता है।  

वर्दी वाला के पाठकों से नाइंसाफी

एनसीईआरटी के अलावा यूपी के विश्वविद्यालयों में भी पाठ्यक्रम बदलने की खबर कल से एक साथ चल रही है। सबसे दिलचस्प बदलाव लोगों को गोरखपुर विश्वविद्यालय का लग रहा है, जहां हिंदी के विद्यार्थी वेद प्रकाश शर्मा के उपन्यास 'वर्दी वाला गुंडा' और इब्ने सफी की कहानियों को पढ़ेंगें। दोनों जासूसी लेखक 70-80 के दशक में बेहद लोकप्रिय थे। 'वर्दी वाला गुंडा' को लेकर अमेजान का दावा है कि अब तक इसकी 8 करोड़ से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं। रेलवे के एएच व्हीलर और बस स्टैंड की किताब दुकानों में यह आराम से मिलती थीं। संस्कारी वर्ग के मां-बाप ऐसी किताबें पढ़ते देखकर कॉलेज जाते बच्चों की ठुकाई कर देते थे। फिर भी कोर्स वाली बुक के बीच छिपाकर युवा विद्यार्थी इसे और इसी तरह की दूसरी पुस्तकें पढ़ लिया करते थे। उस दौर के जिन लोगों ने इब्ने सफी, वेद प्रकाश शर्मा, सुरेंद्र मोहन पाठक, कर्नल रंजीत, जेम्स हेडली चेज के सारे उपन्यास रट-चाट डाले हैं, उनको गोरखपुर विश्वविद्यालय के फैसले को लेकर जलन हो रही है। कह रहे हैं-हमारे दौर में इसे कोर्स में क्यों नहीं रखा गया? ऐसा होता तो हमें कॉलेज में टॉप करने से कोई नहीं रोक सकता था। वैसे नई शिक्षा नीति में किसी भी उम्र के व्यक्ति को यूजी, पीजी करने की छूट मिल गई है। उस वक्त किसी वजह से लटक गए लोग अब अपना लोहा मनवा सकते हैं।

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