राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : बड़े नेताओं से छोटों की नाराजगी
07-Apr-2023 4:23 PM
राजपथ-जनपथ : बड़े नेताओं से छोटों की नाराजगी

बड़े नेताओं से छोटों की नाराजगी

चुनावी साल में कुनबा बढ़ाने की कोशिश में जुटे भाजपा संगठन के दो बड़े नेता अजय जामवाल, और पवन साय को पत्थलगांव में उस वक्त अपने ही दल के नेताओं का गुस्सा झेलना पड़ा, जब उन्होंने कांग्रेस में शामिल हो चुके आधा दर्जन पार्षदों की घर वापसी के लिए सहमति दे दी थी। पार्टी के लोगों के गुस्से को देखते हुए दोनों कार्यक्रम अधूरा छोडक़र निकल गए।

हुआ यूं कि जशपुर जिले के पत्थलगांव नगर पंचायत के आधा दर्जन से अधिक भाजपा पार्षदों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था। भाजपा के  बागियों की वजह से नगर पंचायत में कांग्रेस का कब्जा हो गया। इसके बाद कुछ दिन पहले पत्थलगांव विधानसभा कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाई गई। विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा के लिए जामवाल, और पवन साय खुद बैठक में मौजूद थे। इससे पहले कुछ स्थानीय नेताओं ने निष्कासित पार्षदों को फिर से दल में शामिल करने के लिए दोनों नेताओं को मना लिया।

बताते हैं कि जिलाध्यक्ष, और कई प्रमुख नेता पार्षदों की ऑपरेशन घर वापसी से अनभिज्ञ थे। लेकिन जैसे ही मंच से इसकी घोषणा हुई, जामवाल, और पवन साय के सामने ही झगड़ा शुरू हो गया। विवाद मारपीट तक पहुंच गया, फिर क्या था माहौल खराब होता देख अजय जामवाल, और पवन साय को एक-दो स्थानीय नेताओं ने किसी तरह उन्हें कार में बिठाया, और रवाना किया। अनुशासित माने जाने वाले दल में संगठन के प्रमुख नेताओं के सामने हंगामे की खूब चर्चा हो रही है।

दिल्ली से भी कुछ दिलाने का दबाव

भाजपा विधायकों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 5 अप्रैल को होने वाली मुलाकात ठीक एक दिन पहले टल गई। अब अगली तारीख पीएमओ से जब मिलेगी तब विधायक रवाना होंगे। इस बीच सांसद सुनील सोनी, विधायक बृजमोहन अग्रवाल और अजय चंद्राकर ने केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की है। सांसद सोनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की और इसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर डाली। लगभग यह तय हो चुका है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा मुख्यमंत्री के लिए कोई चेहरा सामने नहीं करेगी। इसका दूसरा मतलब यह भी है कि मोदी के ही नाम-काम से वोट मांगे जाएंगे। इसीलिए विधायकों की प्रस्तावित मुलाकात को खास अहमियत दी जा रही है। इधर एक तरफ 5 तारीख को होने वाली मुलाकात टल गई दूसरी तरफ नेता प्रतिपक्ष को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्र लिख दिया है। इसमें उन्होंने कहा है कि दलगत राजनीति से हटकर छत्तीसगढ़ के हितों से जुड़े मुद्दे उठाएं। इनमें जीएसटी क्षतिपूर्ति की बहाली, उद्योगों को कोल आयरन की सप्लाई, 4 हजार करोड़ की बकाया कोल रायल्टी का भुगतान, ओबीसी जनगणना, ट्रेनों के नियमित परिचालन और हवाई सुविधाओं का विस्तार आदि मांगें शामिल हैं।

विधानसभा के बजट सत्र में बेरोजगारी भत्ता, यूनिवर्सल हेल्थ, धान पर अधिक बोनस जैसे कई चुनावी वायदों को पूरा करने की कोशिश कर कांग्रेस चुनाव के लिए अपना आधार मजबूत कर रही है। छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए भी अब जरूरी हो गया है कि केंद्र के कुछ ऐसा दिलवाएं जिससे यह लगे कि दिल्ली की सरकार ने राज्य को सीधे कोई लाभ दिया है। केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात के दौरान कुछ मांगें सांसद और दिल्ली गए वरिष्ठ विधायकों ने भी रखी हैं, पर उस पर कोई ठोस जवाब नहीं आया है। हो सकता है कि मोदी से ही कोई घोषणा कराई जाए।

वादा पूरा नहीं करने का अफसोस

सूबे के पूर्व डीजीपी डीएम अवस्थी बीते महीने रिटायर होकर अब संविदा अफसर के तौर पर मुख्यधारा में जुड़ गए। डीजीपी रहते अवस्थी को हमेशा अपने मातहत एक राज्य पुलिस सेवा के अफसर को एक वादा पूरा नहीं करने का हमेशा अफसोस रहेगा। बताते हैं कि रायपुर आईजी रहते अवस्थी ने एक डीएसपी स्तर के अफसर को शराब ठेकेदारों के लठैतों पर कार्रवाई करने पर शाबासी देते वादा किया था कि भविष्य में डीजीपी बनने पर किसी जिले का पुलिस कप्तान नियुक्त करने में जरा भी देरी नहीं करेंगे। साल 2008 में शराब ठेकेदारों के गुर्गों के आतंक  का जवाब नहीं देने पर अवस्थी ने तत्कालीन एसपी स्व. बीएस मरावी संग रायपुर के सीएसपी और थानेदारों की खूब खबर ली थी। उस वक्त में शराब ठेकेदारों के गुर्गो की दंबगई को लेकर आला अफसरों को रोज शिकायतें मिलती थी।

इस बैठक का असर ऐसा रहा कि नए नवेले सीएसपी ने अलग-अलग ग्रुप के ठेकेदारों के लठैतों पर  जमकर लाठियां भांजी। अगले दिन राज्य पुलिस सेवा के अफसर की कार्रवाई को अखबारों ने पहले पन्ने में जगह दी। मीडिया में कार्रवाई की सुर्खियां पाकर अफसर की तारीफ में कसीदे गढ़ते बतौर आईजी अवस्थी ने डीजीपी की कमान संभालते ही एसपी बनाने का वादा किया।

सुनते है कि ऐसा नही था कि अवस्थी ने पुराने वादे को भुला दिया, बल्कि उस वचन को पूरा करने अफसर के लिए बालोद एसपी बनाने के लिए सरकार को एक फाईल भी भेजी। अवस्थी की यह फाईल शीर्ष जगह में पहुंचकर अलग रख दी गई। तीन साल के लंबे पुलिस मुखिया रहते अवस्थी को इस बात का आज तक मलाल है। बताते हैं कि सरकार की राज्य पुलिस सेवा के अफसर के प्रति नाराजगी को दूर करने में अवस्थी कामयाब नहीं हो पाए। अवस्थी अब रिटायर हो गए और वादा अधूरे स्वप्न की तरह रह गया।

रावघाट रेल की जीरो प्रगति

सन् 2018 में करीब चुनाव से पहले का माहौल था। जगदलपुर की एक आमसभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 140 किलोमीटर लंबे रावघाट-जगदलपुर के बीच रेल लाइन का शिलान्यास किया था। तब के केंद्रीय रेल राज्य मंत्री राजेंद्र गोहेन भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे। इसे ऐतिहासिक दिन बताया गया था।

इस परियोजना से बस्तर, कोंडागांव, नारायणपुर और कांकेर जिले को लाभ मिलना है। जगदलपुर सीधे रायपुर और दुर्ग से जुड़ जाएगा। आज स्थिति क्या है? बस्तरवासियों को डीआरएम रायपुर ने टका सा जवाब दे दिया है। वर्षों से संघर्ष कर रहे नागरिकों के प्रतिनिधिमंडल को उन्होंने कल जवाब दे दिया कि उनके पास इस रेल लाइन को बनाने के लिए न कोई आदेश आया है, न फंड। रेल चाहिए तो सीधे रेलवे बोर्ड से संपर्क करें।

बस्तर के लोगों को अब तक लग रहा था कि इसकी लागत तय हो गई, प्रस्ताव बन गया, बस फंड जारी होना बाकी है। दो साल पहले जब एसईसीआर को एक साथ 5500 करोड़ रुपये मिले थे, तब भी चर्चा निकली थी कि इसी में रावघाट-जगदलपुर रेल लाइन के लिए भी स्वीकृति मिली है। मगर अब तो यह पता चल रहा है कि पांच साल पहले रखे गए शिलान्यास के कागज भी नहीं दौड़े, जमीन पर काम दिखना तो दूर की बात है। अब बस्तर के लोगों को अपना संघर्ष फिर शून्य से शुरू करना पड़ेगा।

पंजीयन और सत्यापन का फासला

एक अप्रैल से 5 दिनों के भीतर बिलासपुर जिले में बेरोजगारी भत्ते के लिए 23 हजार 156 आवेदन ऑनलाइन जमा किए जा चुके हैं, जिनमें से सत्यापन हुए 363। यानि करीब 1.5 प्रतिशत। यह एक जिले के पहले पांच दिनों का विवरण है। पूरा महीना बचा है, पूरे छत्तीसगढ़ से आवेदन आएंगे। भत्ता मिलना शुरू होगा तब पता चलेगा कि आवेदन कुल आए कितने, कितने आवेदन सत्यापित हुए और कितनों को भत्ता मिल पाया।

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