राजपथ - जनपथ
सारस की एक और प्रेम कथा
सारस पक्षी को प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। कहते हैं कि एक सारस युगल हमेशा साथ रहते हैं। इनमें से कोई एक अगर बिछुड़ जाए तो दूसरा किसी नया दोस्त नहीं ढूंढता, जीवन भर अकेले ही रहता है। उत्तरप्रदेश के आरिफ के साथ एक सारस की दोस्ती बीते दिनों खूब चर्चित हुई। पर एक चर्चा छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के इस सारस जोड़े की भी होती है। दावा किया जाता है कि छत्तीसगढ़ का एकमात्र ऐसा सारस जोड़ा है जिसे वर्षों से एक साथ ही देखा जाता है, कभी अलग नहीं होते। ग्रामीणों का इन्हें संरक्षण मिला है। तस्वीर ली है प्रतीक ठाकुर ने।
अलग मिजाज के कलेक्टर
लोग इसे खुशामद कह सकते हैं, मजबूरी कह सकते हैं पर इसे जनप्रतिनिधि को मिलने वाले हक के रूप में देखा जा सकता है। मनेंद्रगढ़ में कल कलेक्टर इलवेन और जनप्रतिनिधियों बीच क्रिकेट प्रतियोगिता हुई। मैच के बाद पुरस्कार लेने की बारी आई तो कलेक्टर पीएस ध्रुव विधायक डॉ. विनय जायसवाल के ठीक पैरों के सामने बैठ गए और तस्वीरें खिंचवाई। लोग कहने लगे कलेक्टर तो जनता के सेवक होते हैं, पर इन्हें तो अपनी गरिमा का ख्याल नहीं है, विधायक की सेवा करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
पर इसे कलेक्टर के स्वभाव के रूप में भी देखा जा सकता है। फरवरी माह में एक कार्यक्रम में मंच से विधायक गुलाब कमरो की तारीफ में जब उन्होंने भाषण दिया तो लोगों को लगा कि यह उनकी पार्टी का कोई कार्यकर्ता माइक पाकर उसका भरपूर इस्तेमाल कर रहा है। कलेक्टर ने कमरो को लेकर कहा-जन-जन के चहेता, गरीबों, दीन-दुखियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनके सुख-दुख में भागीदारी बनने वाले, युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत, हमारे सम्मानीय कमरो जी। जोरदार ताली की गडग़ड़ाहट से स्वागत करिये।
कुछ लोगों का यह भी कहना है कि जबान से तारीफ में दो चार मीठे वाक्य बोल देने में क्या जाता है। विधायक के पैरों के पास बैठ गए तो क्या हुआ, पैर तो नहीं छुए। वैसे डॉ. ध्रुव दो दिन पहले ही सामाजिक आर्थिक जनगणना का काम भीतर के गांवों में किस तरह से चल रहा है यह देखने के लिए बाइक पर निकल गए थे। धान के सीजन में फसल काटते किसानों को देखकर वे खेत में उतर गए थे और हंसिया लेकर खुद फसल काटने लगे थे। गांवों की रामायण मंडली के एक कार्यक्रम में उन्होंने मग्न होकर नाचे थे। कुल मिलाकर इस कलेक्टर का अंदाज अलग है।
हवाई सेवाओं पर उदासीन बीजेपी
जगदलपुर और बिलासपुर में आधी-अधूरी सफलता के बाद अब अंबिकापुर की मां महामाया एयरपोर्ट से उड़ान योजना के तहत हवाई सेवा शुरू करने की तैयारी है। एक दो दिन में इसका ट्रायल हो सकता है। डीजीसीए के परीक्षण के बाद यह तय हो सकता है कि कब और कहां-कहां के लिए उड़ानें यहां से होगी। सरगुजावासियों की लंबे समय से दरिमा हवाई अड्डे से हवाई सेवा शुरू करने की रही है। पहले हवाई अड्डे को 32 सीटर विमानों के लायक तैयार किया जा रहा था। फिर बाद में मालूम हुआ कि इतने छोटे विमानों की सेवा ही देश में लगभग बंद है या गिनी-चुनी है। इसके बाद करीब 50 करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च से इसे 72 सीटर विमान के लायक बनाया गया है। उड़ान सेवा के तहत आम आदमी को हवाई सेवा मुहैया कराने की प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना के तहत देशभर मे इस तरह के हवाई अड्डे विकसित किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में जगदलपुर और बिलासपुर के बाद यह तीसरा इस श्रेणी का एयरपोर्ट होगा। पर परिणाम उम्मीद के अनुसार नहीं है। बिलासपुर में तो हवाई सेवा हाईकोर्ट की बार-बार फटकार के बाद शुरू हो पाई। पर उड़ानें बढ़ाने की जगह घटा दी गई। किराया इतना अधिक कि लोगों की हैसियत से बाहर। यहां से दिल्ली का किराया इतना अधिक है कि रायपुर से दिल्ली दो बार आना-जाना किया जा सकता है। जगदलपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद हवाई सेवा का उद्घाटन किया लेकिन वह बंद हो गया था। राज्य सरकार ने इसे दोबारा तैयार किया है लेकिन विशाखापट्ट्नम के लिए उड़ान यहां से बंद है, जिसकी सर्वाधिक मांग है। केवल रायपुर और हैदराबाद के लिए है। अतिरिक्त नई उड़ानों की कोई घोषणा ही नहीं हुई। जब भी इन तीनों एयरपोर्ट से कोई उड़ान शुरू हुई सांसदों ने श्रेय लिया, केंद्रीय मंत्रियों ने उद्घाटन किया लेकिन जब सेवाएं घटी, किराया बढ़ा तो उन्होंने चुप्पी साध ली। बिलासपुर में ही बिलासा एयरपोर्ट और यहां के यात्रियों की हो रही उपेक्षा के खिलाफ नगर बंद को पिछले दिनों जबरदस्त सफलता मिली। यह नागरिकों का आंदोलन था लेकिन भाजपा का कोई भी कार्यकर्ता शामिल नहीं हुआ। उन्हें नेतृत्व की नाराजगी का शायद डर था। लोगों को यह भी लग रहा है कि एयरपोर्ट राज्य सरकार के अधीन हैं इसलिये केंद्र यहां से उड़ानों को बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं ले रही है। हवाई सेवा से लाभान्वित होने वाले यात्रियों की संख्या सडक़ या ट्रेन मार्ग के यात्रियों से बहुत कम होती है लेकिन यह उस शहर के विकास की पहचान होती है। इसलिए हर बार यह प्रमुख चुनावी मुद्दा भी बनता जा रहा है। लोगों ने उम्मीद लगा रखी है कि 2024 के चुनाव के चलते ही तीनो हवाईअड्डों से नई उड़ानें आने वाले दिनों में मंजूर हो जाएंगीं।