राजपथ - जनपथ
एक और अफसर घेरे में...
खबर है कि एक और आईएएस अफसर ईडी की जांच के घेरे में आ गए हैं। कहा जा रहा है कि कोल परिवहन, और शराब केस में अफसर से सोमवार को करीब चार घंटे पूछताछ हुई है। पहले अफसर प्रदेश से बाहर थे इसलिए पूछताछ नहीं हुई थी। मगर लौटने के बाद उन्हें समंस जारी किया गया। इसके बाद उन्होंने ईडी दफ्तर में उपस्थिति दर्ज कराई।
अफसर की कोल परिवहन और शराब केस से सीधे कोई ताल्लुक है या नहीं, यह तो साफ नहीं हो पाया है। मगर जिस जिले के वो मुखिया थे वहां कोल परिवहन का लंबा-चौड़ा काम है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा रहा है कि कोल परिवहन केस में ही उनसे पूछताछ हुई है। इससे पहले कोल केस को लेकर ईडी ने पूर्व कलेक्टर केडी कुंजाम के यहां छापेमारी कर चुकी है।
कुंजाम वर्ष-2012-13 में डिप्टी सेक्रेटरी माइनिंग के पद पर थे। वो बीजापुर कलेक्टर भी रहे, लेकिन उनका पूरा कार्यकाल नगरीय निकाय, और पंचायत चुनाव कराने में निकल गया। उन्हें अब तक समझ नहीं आ रहा है कि उनके यहां छापा क्यों डाला गया है। बहुत से ऐसे लोग हैं जिनके यहां छापा तो डाला, लेकिन क्या मिला यह ईडी अब तक बता पाई है। हल्ला है कि ईडी एक पूरक चालान भी पेश कर सकती है। इसमें सारा ब्योरा होने की संभावना जताई जा रही है। देखना है कि आगे क्या होता है।
कमजोर विधायकों को चेतावनी
खबर है कि कांग्रेस विधानसभा टिकट के लायक दावेदारों को पहले से संकेत दे देगी ताकि वो चुनाव तैयारियों में लग जाए। सीएम भूपेश बघेल लगातार सर्वे करा रहे हैं, और जिन विधायकों का परफॉर्मेंस ठीक नहीं हैं, उन्हें वस्तु स्थिति की जानकारी भी दे रहे हैं ताकि वो समय रहते स्थिति में सुधार कर सके।
हल्ला है कि 30 से अधिक विधायकों के परफॉर्मेंस को कमजोर माना गया है। यह भी कहा जा रहा है कि कमजोर परफॉर्मेंस वाले विधायकों की जगह नए चेहरे को आगे करने से फायदा भी हो सकता है। ऐसे में कई विधायकों के क्षेत्र में नए दावेदार सक्रिय हो गए हैं। रायपुर संभाग के विशेषकर महासमुंद, और बलौदाबाजार-भाटापारा जिले की सीटों पर नए लोग ज्यादा सक्रिय दिख रहे हैं। बाकी जिलों में भी यही स्थिति बन सकती है। देखना है आगे क्या होता है। कम से कम एक मंत्री को मुख्यमंत्री ने खबर भिजवा दी है कि वे अपनी सीट बदल लें, जहां हैं, वहाँ दुबारा नहीं जीतने वाले।
कांग्रेस सांसदों की सीटों पर केंद्रीय मंत्री
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह आज से 4 दिनों के बस्तर दौरे पर हैं। पिछले साल जुलाई महीने में में कोरबा प्रवास पर से और वहां भी 4 दिन रुके। छत्तीसगढ़ में कोरबा और बस्तर दो सीटें ही ऐसी हैं, जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत हासिल हो पाई थी। कोरबा प्रवास के दौरान मंत्री गिरिराज सिंह ने केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन खासकर प्रधानमंत्री आवास योजना पर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया था। इसका तब असर यह हुआ कि राज्य में इस विभाग को मंत्री टी एस सिंहदेव ने खुद को अलग कर लिया। अब देखना है कि केंद्रीय मंत्री बस्तर में 4 दिन तक रहकर कितनी ऊर्जा अपने पार्टी में भर जाते हैं। उनकी एक आमसभा भी इस दौरान है। भाजपा का महा जनसंपर्क अभियान 30 जून तक चलेगा। दिखाई दे रहा है कि विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा चुनाव की भी तैयारी कर रही है।
दीवार बनते-बनते ढह गई
बिहार में एक निर्माणाधीन पुल के ढहने पर वहां सरकार की बड़ी आलोचना हो रही है। गुजरात के मोरबी पुल हादसे की भी लगे हाथ चर्चा हो रही है। पर छत्तीसगढ़ में दीवार निर्माण कार्य चलने के दौरान ही थोड़े से आंधी पानी से ढह गया, इसकी बात कोई कर ही नहीं रहा। विपक्ष में रहते हुए मुद्दा उठाने का काम भाजपा का है। वह भी चुप है।
दरअसल, सरकार ने आदिवासियों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें अलग-अलग उत्पादन से जोडऩे का कार्यक्रम चला रखा है। दो करोड़ रुपये की लागत से आदिवासी बाहुल्य ब्लॉक घरघोड़ा में इसी उद्देश्य से दो करोड़ रुपये के मुनगा प्रोसेसिंग यूनिट की योजना बनी। इसके लिए बनाई जा रही बाउंड्रीवाल जरा सी आंधी पानी आया, ढह गई। पता चला कि दो करोड़ रुपये में से 87 करोड़ रुपये तो केवल इसी दीवार के लिए मंजूर है। इसका टेंडर सीधे रायपुर से हुआ था और यहां काम कैसा चल रहा है देखने के लिए कोई सरकारी इंजीनियर तैनात नहीं था। चूंकि दीवार गिरने के बाद सबको दिख रही है, इसकी जांच पहले पीडब्ल्यूडी से, फिर एडीएम से कराने का निर्णय लिया गया। जांच रिपोर्ट कब आएगी, दोषी कौन है-क्या उसी ठेकेदार से आगे काम कराया जाएगा, या नया टेंडर निकलेगा, रिकवरी होगी, रायपुर से टेंडर निकाला क्यों गया?- सब बाद में पता चलेगा। फिलहाल तो एक बार फिर सामने आ गया कि आदिवासियों के विकास के नाम पर आवंटित बजट की किस पैमाने पर बंदरबांट होती है।
विलुप्त होते सांप की मौजूदगी
गरियाबंद जिले का उदंती सीतानदी अभयारण्य वन्यजीवों की विविध प्रजातियों से भरा-पूरा है। इसी सप्ताह यहां दुर्लभ प्रजाति का सर्प बम्बू पिट वाइपर देखा गया। इसका रंग पेड़ों के रंग से मिल जाता है इसलिए आम तौर पर कम दिखते हैं। ज्यादा जहरीला नहीं होता। इसकी तस्वीर नोवा नेचर सोसाइटी के लिए काम करने वाले मैनपुर के युवक ओमप्रकाश नागेश ने खींची है।