राजपथ - जनपथ
उथल-पुथल के बीच सिंहदेव विदेश...
विधानसभा चुनाव के चलते प्रदेश कांग्रेस पदाधिकारियों के प्रभार बदले जा सकते हैं। चर्चा है कि इस सिलसिले में पार्टी हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम से राय मांगी है। यह नहीं, प्रदेश प्रभारी शैलजा, पदाधिकारियों के नामों को लेकर सीएम, और अन्य प्रमुख नेताओं से चर्चा भी कर सकती हैं।
दूसरी तरफ, प्रदेश कांग्रेस में 90 सचिवों की नियुक्ति के लिए नाम भी मांगे गए थे। मगर सूची जारी नहीं हो पाई है। कहा जा रहा है कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के विदेश प्रवास से लौटने के बाद उनसे भी चर्चा होगी, और इसके बाद बदलाव पर मुहर लग सकती है।
सुनामी की तरह अफसर इधर-उधर
कांग्रेस सरकार के चार साल के कार्यकाल में तेज रफ्तार से ट्रांसफर पोस्टिंग हुई है। मंत्रालय में कुछ विभागों में हर छह महीने में सचिव और विभागाध्यक्ष बदले गए हैं। इनमें स्वास्थ्य, उच्च शिक्षा, और गृह व कृषि विभाग शामिल हैं। यहां सबसे ज्यादा बदलाव हुआ है। स्वास्थ्य, और उच्च शिक्षा में तो चार साल में 8 सचिव हो चुके हैं।
सरकार बदली, तो सुब्रत साहू स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख थे। इसके बाद निहारिका बारिक सिंह की पोस्टिंग हुई। निहारिका के बाद डॉ आलोक शुक्ला, और फिर क्रमश: डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी, रेणु पिल्ले, और फिर आर प्रसन्ना को स्वास्थ्य विभाग का प्रभार दिया गया। दो महीना पहले रेणु पिल्ले की स्वास्थ्य विभाग में वापसी हुई, और प्रसन्ना सचिव बने रहे। रेणु पिल्ले एसीएस हैं। मगर अब प्रसन्ना को स्वास्थ्य विभाग से हटा दिया गया है। उनकी जगह सिद्धार्थ कोमल परदेशी की सचिव के रूप में पोस्टिंग हुई है।
इसी तरह उच्च शिक्षा विभाग में सिद्धार्थ कोमल परदेशी आठवें सचिव हैं। सरकार बनी तो एसके जायसवाल विभाग प्रमुख थे। वो दो बार विभाग प्रमुख रहे। इसी बीच रेणु पिल्ले भी दो बार उच्च शिक्षा की प्रमुख रह चुकी हैं। रेणु पिल्ले के बाद अलरमेल मंगाई डी उच्च शिक्षा सचिव बनी। अलरमेल मंगाई डी के बाद धनंजय देवांगन उच्च शिक्षा में आए। उनके हटने के बाद भुवनेश यादव उच्च शिक्षा सचिव बने। अब भुवनेश की जगह परदेशी को सचिव का दायित्व सौंपा गया है।
यही नहीं, गृह विभाग में भी आधा दर्जन प्रमुख हो चुके हैं। कांग्रेस सरकार आई, तो अमिताभ जैन एसीएस (गृह) थे। इसके बाद सीके खेतान गृह विभाग के मुखिया बने। उनके हटने के बाद आरपी मंडल, और फिर सुब्रत साहू गृह विभाग के प्रमुख बने। सुब्रत दो बार गृह विभाग के प्रमुख रहे हैं। और वर्तमान में मनोज पिंगुआ गृह विभाग के प्रमुख हैं। खास बात यह है कि गृह सचिव के पद पर अरूण देव पिछले 10 साल से बने हुए हैं। उन्हें नहीं हटाया गया है। अरुण देव गौतम एडीजी रैंक के हैं, और सचिव की जगह उन्हें गृह विभाग के ओएसडी के रूप में पदस्थ किया गया।
कृषि विभाग में भी काफी कुछ बदलाव हो चुका है। कृषि विभाग में कांग्रेस सरकार के आने के बाद सुनील कुजूर को प्रमुख बनाया गया था। वो जब सीएस बने, तो केडीपी राव कृषि विभाग के प्रमुख हुए। राव के रिटायरमेंट के बाद मनिंदर कौर द्विवेदी को कमान सौंपी गई। मनिंदर के बाद डॉ. कमलप्रीत सिंह कृषि सचिव बने। कृषि संचालक तो हर छह महीने में बदले गए हैं।
ऐसे पहुंचे थे सीएम बघेल विधानसभा
दुर्ग में हुए कांग्रेस के संभागीय सम्मेलन में छत्तीसगढ़ की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले स्वर्गीय वासुदेव चंद्राकर का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत सहित मंच पर बैठे अन्य नेताओं ने स्मरण किया। सीएम बघेल उन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं। एक समय चंद्राकर के एक फैसले से यह स्पष्ट भी हो गया था कि बघेल उनके सबसे प्रिय शिष्यों में से एक हैं।
सन् 1993, मध्यप्रदेश के जमाने में जिला कांग्रेस कमेटी दुर्ग के अध्यक्ष होने के नाते बी फॉर्म चंद्राकर के पास आया। इसमें अधिकृत प्रत्याशियों का नाम भरकर जिला निर्वाचन अधिकारी के पास जमा करना होता है। तत्कालीन पीसीसी अध्यक्ष दिग्विजय सिंह ने चंद्राकर के पास बी फॉर्म भेज दिया था। हाईकमान ने बेमेतरा से चैतराम वर्मा, पाटन से तब के कृषि उप मंत्री अनंतराम वर्मा और भिलाई से रवि आर्या का नाम तय किया था। चंद्राकर ने बी फॉर्म में ये नाम बदल दिए। भिलाई से बदरुद्दीन कुरैशी, पाटन से भूपेश बघेल और बेमेतरा से चेतन वर्मा को अधिकृत प्रत्याशी बना दिया गया। बघेल और बदरुद्दीन कुरैशी अपनी-अपनी सीटों से जीत गए लेकिन चेतन वर्मा पराजित हो गए। बी फॉर्म में नाम बदले जाने के और भी अनेक किस्से हैं, मगर उनकी चर्चा फिर कभी।
चंद्राकर ने पार्टी लाइन से बाहर जाकर बघेल को आगे नहीं किया होता तो आज छत्तीसगढ़ में राजनीति का परिदृश्य अलग ही होता। मुख्यमंत्री बघेल ने उनकी पुण्यतिथि पर उनका स्मरण करते हुए लिखा था कि मेरी राजनीतिक यात्रा का हर पड़ाव दाऊ के सिखाए ककहरे को समर्पित है।
बात कहां से कहां चली गई
बेमेतरा के एक पुलिस हवलदार संदीप साहू का तबादला किया गया तो उन्होंने राज्यपाल को चि_ी लिखकर आत्मदाह करने की चेतावनी दे दी। विधायक आशीष छाबड़ा पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाया और कहा कि सट्टा पकडऩे के कारण उनकी शिकायत पर तबादले की कार्रवाई की गई है। विधायक ने आरोप को गलत बताया और कहा कि इसमें मेरा कोई हाथ नहीं है। आरोप प्रत्यारोप हैं, जांच होनी चाहिए पर भाजपा ने इसे किस तरह से लिया? प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने वीडियो जारी कर कहा है कि साहू समाज के ही भुवनेश्वर की इसी बेमेतरा में निर्मम हत्या कर दी गई थी। कांग्रेस के विधायक जब चाहे किसी को थप्पड़ मार देते हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली देते हैं। क्या कांग्रेस ने तेली समाज को अपमानित करने का ठेका ले रखा है?
साव खुद भी इसी समाज से हैं। उनका गुस्सा इसी कारण है ऐसा नहीं लगता। इसका मकसद इस समाज के वोटों को भाजपा के लिए और पक्का करना हो सकता है।
धूप में 35 किलोमीटर सफर
हरेराम नाम का यह ग्रामीण जगदलपुर से 35 किलोमीटर दूर ग्राम पीठापुर का रहने वाला है। अपनी पत्नी के साथ चलकर कलेक्ट्रेट पहुंचा है। उसे प्रधानमंत्री आवास योजना की पहली किश्त मिली। जब उसने नींव की खुदाई शुरू की तो गांव के दबंगों ने आकर काम रुकवा दिया और कहा कि यह उसकी जमीन नहीं है। कड़ी धूप में वह कलेक्टर से यह पूछने पहुंचा है कि अब तक जो जमीन उसकी थी, उसे अब दबंग अपना बता रहे हैं तो वे ही बताएं कि अपना मकान वह कहां पर बनाए।