राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : ताकि जनता के बीच के लगें
17-Jun-2023 5:20 PM
 राजपथ-जनपथ :  ताकि जनता के बीच के लगें

ताकि जनता के बीच के लगें
विधायकों, मंत्रियों का उत्सव, मेलों में नाचने-झूमने की बात अब नई नहीं रह गई है। कल विधायक रामकुमार यादव और केशव प्रसाद चंद्रा डभरा में आयोजित एक विवाह समारोह में शामिल हुए। समारोह में सपना चौधरी का हरियाणवी गाना बजने लगा तो कार्यकर्ताओं ने उन्हें अपनी ओर खींच लिया और डांस करने पर मजबूर कर दिया। दोनों विधायकों ने जमकर ठुमके लगाए। वैसे तो दोनों अलग-अलग दलों से हैं लेकिन डांस के दौरान दोनों में अच्छा तालमेल दिखा। कई बार इस तरह से डांस करने के लिए उतरना अजीब लग सकता है लेकिन मतदाता यह पसंद करते हैं। जनप्रतिनिधि को भी बताने का मौका मिलता है कि वह उनके बीच के ही हैं, हम पर पद का गुरुर सवार नहीं हुआ है। चुनाव करीब आ रहे हों तो ऐसा करना और जरूरी हो जाता है।

अब पार्टी में भी नए विभाग!!
भाजपा में टिकट के दावेदार बड़े नेताओं के आगे-पीछे होने लगे हैं। प्रदेश प्रभारी ओम माथुर तो भीड़-भाड़ से बचने के लिए प्रतिनिधि मंडलों को प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव से मिलने भेज दे रहे हैं।

माथुर अपने को पॉलिसी, और सभा-सम्मेलनों के आयोजन की रूपरेखा तैयार करने तक सीमित रखे हुए हैं। अरूण साव ने भी एक अलग विभाग बना दिया है, जो प्रतिनिधि मंडलों से मुलाकात करेगी। इसके संयोजक यशवंत जैन हैं, और हेमेन्द्र साहू, नवीन शर्मा, महेश नायक व मनु शुक्ल को सदस्य बनाया गया है।    

 हालांकि नए विभाग के गठन पर सवाल खड़े हो रहे हैं।  कहा जा रहा है कि इससे पहले किसी अध्यक्ष ने अपनी कार्यालयीन व्यवस्था के लिए नए विभाग का गठन नहीं किया था। खैर, चुनाव नजदीक आ गए हैं, तो कार्यालयों मेें भीड़ तो बढ़ेगी ही।

अब बड़े पुलिस अफसरों की बदली 
पुलिस में एसपी के तबादले तो हो चुके हैं। अब पीएचक्यू में सर्जरी की तैयारी चल रही है। इसमें आईजी स्तर के अफसरों को इधर से उधर किया जा सकता है। चर्चा है कि चुनाव को देखते हुए रायपुर आईजी अजय यादव को किसी एक प्रभार से मुक्त किया जा सकता है। उनके पास इंटेलीजेंस का भी प्रभार भी है।

डीआईजी रामगोपाल गर्ग सरगुजा आईजी के प्रभार पर हैं। कहा जा रहा है कि यहां पूर्णकालिक पोस्टिंग हो सकती है। इसी तरह बस्तर आईजी सुंदरराज पी को साढ़े तीन साल हो चुके हैं। ऐसे में उन्हें बदला जा सकता है, लेकिन चुनाव आयोग बस्तर की परिस्थितियों  को ध्यान में रखते हुए उन्हें यथावत बनाए  रखने की छूट दे सकता है।

अगले महीने डीजी (जेल) संजय पिल्ले रिटायर हो रहे हैं। उनकी जगह स्पेशल डीजी राजेश मिश्रा या फिर एडीजी स्तर के अफसर की पोस्ंिटग हो सकती है। चर्चा है कि चुनाव आयोग 2 अगस्त के बाद तबादलों पर पूरी तरह बैन लग सकता है। ऐसे में जल्द से जल्द फेरबदल की हड़बड़ी भी है।

कर्क रेखा संकेतक धराशायी
राजस्थान सहित कई दूसरे राज्यों में जहां से कर्क रेखा गुजरती है, वहां बकायदा पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त निर्माण और जानकारी दी गई है। लोग आते जाते कुछ देर रुककर इसे कौतूहल के साथ देखते हैं। अपने राज्य के सूरजपुर जिले में एक जगह महान नदी के पुल के आगे अंबिकापुर की तरफ भैंसामुड़ा गांव है, जहां से भी कर्क रेखा गुजरती है। पर्यटन विभाग ने कभी यहां पर एक संकेतक लगाया था ताकि लोग जब यहां से गुजरते हुए थोड़ी देर रुकें और दिलचस्पी के साथ इस जगह को देखें और खगोल विज्ञान को समझें। मगर यहां संकेतक किस हालत में पड़ा हुआ है, तस्वीर ही बता रही है।

लाभ की बातों का असर कितना?
मिशन 2023 के अंतर्गत अपनी खोई हुई जमीन दोबारा हासिल करने के लिए भारतीय जनता पार्टी बहुआयामी अभियान चला रही है। कोयला, चावल, शराब, नरवा गरवा घोटालों को लेकर कांग्रेस सरकार को घेर रही है। धर्मांतरण मुद्दा उठा रही है। साथ ही अब लाभार्थी सम्मेलन हो रहे हैं। गरीब कल्याण योजना, किसान सम्मान निधि योजना, आयुष्मान भारत इलाज, उज्जवला कनेक्शन, कोविड-19 फ्री वैक्सीनेशन, स्टार्ट अप और स्टैंड अप रोजगार, जन-धन खाता आदि मोदी सरकार की कामयाबी के तौर पर गिनाये जा रहे हैं। सम्मेलनों के अलावा लाभार्थियों के घर में चाय-पानी भोजन के लिए भी दस्तक दी जा रही है। सम्मेलनों में केंद्रीय मंत्रियों का भी आना-जाना शुरू हो गया है।

दूसरी तरफ इन सम्मेलनों में रोजमर्रा की जरूरतों का इंतजाम केंद्र सरकार के फैसलों से क्या फर्क पड़ा है इस बारे में बीजेपी नेता बात करने से बच रहे हैं। डीजल पेट्रोल, खाने पीने की चीजों के दाम, रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी, रिकॉर्ड बेरोजगारी, 2016 की नोटबंदी से ठप हुए काम धंधे, जीएसटी से छोटे व्यापारियों की बढ़ी मुसीबत जैसे मुद्दों पर बात ही नहीं हो रही है। सरकार के ये फैसले यदि असरदार थे तो उन पर बीजेपी नेताओं को बात करनी चाहिए, मगर हो नहीं रही है। शायद कोविड वैक्सीन, गरीब कल्याण, जन-धन खाता से लाभ लेने वालों से इन फैसलों पर पूछा जाए तो वे भी बिफर पड़ें। समय-समय पर मिले लाभ का अर्थ तो उन्हें तब समझ में आएगा जब रोजमर्रा की जिंदगी इससे आसान हो गई हो। ([email protected])

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