राजपथ - जनपथ
रॉ के टॉप पर छत्तीसगढ़ से
छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस रवि सिन्हा देश की शीर्ष खुफिया एजेंसी रॉ के चीफ बन गए। वो छत्तीसगढ़ कैडर के पहले आईपीएस हैं जो इस प्रतिष्ठित एजेंसी के शीर्ष पद पर काबिज हुए।
आईपीएस के 88 बैच के अफसर रवि सिन्हा रायपुर, और दुर्ग में सीएसपी रहे। वो दुर्ग में अनिल धस्माना के मातहत काम कर चुके हैं। उस वक्त धस्माना दुर्ग एसपी थे। बाद में धस्माना रॉ के मुखिया बने। रॉ से रिटायरमेंट के बाद धस्माना वर्तमान में एनटीआरओ के डायरेक्टर हैं।
सुनते हैं कि धस्माना की प्रेरणा से ही रवि सिन्हा छत्तीसगढ़ से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर गए। उस समय सिन्हा राज्य गठन के बाद पीएचक्यू में डीआईजी के पद पर पहली पोस्टिंग हुई थी। इसके बाद केंद्र में जाने के बाद रवि सिन्हा की पोस्टिंग रॉ में हुई, और रॉ में भी सिन्हा को धस्माना साथ काम करने का अवसर मिला।
यह भी संयोग है कि धस्माना,और रवि सिन्हा की तरह काफी पहले दुर्ग में सीएसपी रह चुके 61 बैच के आईपीएस बी रमण भी लंबे समय तक रॉ में रहे। उनकी गिनती गुजरे जमाने के बेहतरीन खुफिया अफसरों में होती है। मगर रमण रॉ के शीर्ष पद तक नहीं पहुंच पाए। वो रॉ में स्पेशल सेक्रेटरी के पद से रिटायर हो गए।
उन्होंने रिटायरमेंट के बाद द कॉव बॉयज ऑफ रॉ नामक किताब भी लिखी, जो काफी चर्चित हुई। मगर रवि सिन्हा पोस्टिंग के मामले में भाग्यशाली रहे। उन्हें अपने रिटायरमेंट से पहले 6 महीने रॉ के शीर्ष पद पर नियुक्त किया गया, जहां वो दो साल इस पद पर रह सकेंगे।
अब कोई और ईडी के निशाने पर
चर्चा है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बाद प्रदेश में ईडी फिर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर सकती है। कहा जा रहा है कि ईडी, कोल और लिकर से पर किसी नए सेक्टर में दबिश दे सकती है।
चर्चा है कि एक आईएएस अफसर ने तो एक बैठक में अपने मातहतों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के लिए कहा है। उन्होंने मोबाइल पर गैर जरूरी रिकॉर्ड नहीं रखने की नसीहत भी दी है।
पिछली बार भी अमित शाह के दौरे के बाद लिकर कारोबार से जुड़े लोगों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई हुई थी। ऐसे में जितनी मुंह, उतनी बातें हो रही है। देखना है आगे क्या होता है।
संग्राम के अंदर एक और संग्राम
कल युवा मोर्चा के पीएससी संग्राम के अंदर एक और संग्राम होने की खबर है । रायपुर से भूतपूर्व विधायक और 3 बार के भूतपूर्व मंत्री को पार्टी के एक युवा कार्यकर्ता से कड़वा जवाब सुनना पड़ा ।
देश के नामी कॉरपोरेट में पद छोडक़र आये और विश्व के ख्यातिनाम यूनिवर्सिटी से पढ़े, ठेठ छत्तीसगढिय़ा परिवार में जन्मे और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार से आये युवा कार्यकर्ता को उन्होंने प्रदर्शन स्थल से जाने के लिए कह दिया । उनकी इस बात का उन्हें करारा जवाब मिला । अपनी हाजिऱ जवाबी के लिए जाने जाने वाले कार्यकर्ता ने उनको कह दिया कि ये तो उनके पिता की भूमि है, जो जनसंघ के छत्तीसगढ़ में संस्थापकों में रहे हैं, परदेसिया तो वो हैं और उनको इस राज्य से ही चला जाना चाहिये । ये सुनकर उनके कार्यकर्ता मारपीट को उतारू हो गये थे पर वहाँ मौजूद पुलिस के आला अफ़सरों ने मामले को निपटाया।
पीएससी का मुद्दा इस युवा कार्यकर्ता ने ही उछाला है और नेता जी उसी कार्यक्रम में अपने समर्थकों के साथ आये थे । इस नेता के लिये कल का दिन बहुत ही बेइज़्ज़ती वाला रहा। दिलचस्प यह भी है कि दोनों ही रमन सिंह कैम्प के हैं !
कोरबा आगजनी के सबक
कोरबा के सबसे व्यस्त ट्रांसपोर्ट नगर इलाके में एक कमर्शियल कॉम्पलेक्स में आग लगने से लाखों का नुकसान तो हुआ ही, इलाहाबाद बैंक के 2 ग्राहकों सहित तीन लोगों की मौत भी हो गई। यह भीषण दुर्घटना बताती है कि बड़ी-बड़ी इमारतों में अग्नि सुरक्षा को कैसे नजरअंदाज किया जा रहा है। नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारियों ने 7 माह पहले इस परिसर का निरीक्षण किया था और कई खामियां पाई थीं। इन्हें दूर करने की हिदायत कोई नोटिस देकर नहीं बल्कि मौखिक दी गई थी। उसके बाद दोबारा जमा कर उन्होंने देखा नहीं इन कमियों को दूर किया गया या नहीं। बिल्डिंग की सीढिय़ां बंद थी, जो ऐसी आपात स्थिति में बाहर निकलने का आसान तरीका हो सकता था। ऊपर के किसी भी फ्लोर में कोई इमरजेंसी खिडक़ी या एग्जिट प्वाइंट नहीं। कांपलेक्स के भीतर आग बुझाने के पर्याप्त इंतजाम भी नहीं थे।
दूसरा सवाल तमाशबीनों का भी है। आग पहले बिल्डिंग के बाहर बिजली ट्रांसफार्मर पर लगी। उसके बाद एक बड़े फ्लैक्स तक पहुंच गई। बिल्डिंग तक आग पहुंचने में वक्त था लेकिन समय रहते किसी ने ध्यान नहीं दिया। जिन्होंने देखा वे मोबाइल पर वीडियो बनाने लगे। बिल्डिंग में आग लगने के बाद धीरे-धीरे सैकड़ों लोग जमा हो गए, मगर वे आग बुझाने में मदद नहीं कर रहे थे बल्कि वीडियो, फोटो ले रहे थे। बिल्डिंग के भीतर फंसे लोग अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे और इन्हें रोमांच और सनसनी का मजा आ रहा था।
कोरबा आगजनी प्रदेशभर के नगरीय निकायों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अफसरों की लापरवाही का उदाहरण है।
प्रतिबंधित इलाके में बाइकर्स
देश भर के 75 बाइकर्स इन दिनों बस्तर भ्रमण पर हैं। जिला प्रशासन इन्हें प्रोत्साहित कर रहा है ताकि वे बस्तर के पर्यटन को बढ़ावा मिले। मगर उसका एक फैसला विवादों से घिर गया है। बाइकर्स को कांगेर घाटी नेशनल पार्क के कोर एरिया में बाइक पर घूमने की इजाजत दे दी गई। यह सुविधा दूसरे पर्यटकों को नहीं दी जाती। बाइक यहां पर प्रतिबंधित है। वहीं इस राष्ट्रीय उद्यान से एक साथ 75 गाडिय़ां धड़ाधड़ाते हुए गुजरी। मालूम यह भी हुआ है कि यह सुविधा देने का सुझाव उन वन अफसरों की ओर से ही आया, जिन्हें यह मालूम है जैव विविधता संरक्षण का नियम यहां प्रभावी है, जहां से एक पत्ती तोडऩा भी मना है और इस जंगल में किसी तरह का व्यवधान नहीं डाला जा सकता।
दो एथेनॉल प्लांट शुरू होने के आसार
छत्तीसगढ़ में दो एथेनॉल प्लांट लगभग बनकर तैयार हैं। एक कबीरधाम जिले के भोरमदेव में शक्कर कारखाने के पास, जिसकी टेस्टिंग भी शुरू हो गई है, दूसरा कोंडागांव के कोकोड़ी में। कबीरधाम के प्लांट में गन्ने से तो कोंडागांव में मक्के से एथेनॉल का उत्पादन होगा। कोंडागांव का एथेनॉल प्लांट 140 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा है, जिससे करीब 25 हजार किसानों को फायदा पहुंचने का दावा किया जा रहा है। किसानों ने भी प्लांट में करीब 7 करोड़ रुपये का अंशदान दिया है। यानि फैक्ट्री के लाभ में उनकी भी हिस्सेदारी होगी। सरकार चाहती है कि केंद्र सरकार धान से एथेनॉल के उत्पादन की अनुमति केंद्र दे, ताकि छत्तीसगढ़ जैसे धान उत्पादक राज्य में धान की कीमत किसानों को और अच्छी मिल सके। राज्य में 20 कंपनियां या तो एथेनॉल प्लांट लगाना शुरू कर चुकी हैं, या फिर यह काम शुरू होने वाला है।