राजपथ - जनपथ
अमित शाह के साथ अचानक मौका
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह का बालाघाट दौरा रद्द हुआ, तो यहां के प्रमुख भाजपा नेताओं के पास उनसे एयरपोर्ट पर बतियाने का अच्छा अवसर था, लेकिन वो चूक गए।
दुर्ग की सभा के बाद अमित शाह को बालाघाट जाना था, वो रवाना भी हुए, लेकिन मौसम की खराबी की वजह से हेलीकॉप्टर लैंड नहीं कर पाया, और वो माना एयरपोर्ट वापस आ गए।
बताते हैं कि पार्टी के कुछ छोटे नेताओं को अमित शाह के माना पहुंचने की जानकारी हो गई थी, लेकिन उन्होंने प्रमुख नेताओं को नहीं बताया। किसी तरह अमर अग्रवाल ही वहां पहुंच पाए। उनकी अमित शाह ने 15 मिनट अकेले में चर्चा हुई।
चर्चा है कि अमर अग्रवाल पहले भी पार्टी नेतृत्व को कई तरह से सुझाव देते रहे हैं, लेकिन उनकी बात पर ज्यादा गौर नहीं किया गया। कहा जा रहा है कि अमित शाह ने इस बार उनकी बातों को गंभीरता से लिया है।
दूसरी तरफ, बाकी प्रमुख नेताओं को मीडिया से शाह के एयरपोर्ट पर होने की जानकारी मिली। इसके बाद पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल, और प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव सहित कई नेता हड़बड़ाकर वहां पहुंचे। तब तक शाह के जाने का समय हो गया था। उनसे ज्यादा कुछ बात नहीं हो पाई।
बड़े नेताओं की गैर मौजूदगी का छोटे नेताओं ने फायदा उठाया, और अमित शाह के साथ टाइम स्पेंड करने का अच्छा अवसर मिला। छोटे तो काफी खुश थे, लेकिन बड़े नेता नाराज हो गए। क्योंकि अमित शाह से मेल मुलाकात का समय आसानी से नहीं मिल पाता है।
शाह के कार्यक्रम से खुश, और दुखी
अमित शाह की सभा भीड़ के मामले में सफल रही, और इससे पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय, विजय बघेल, और राज्यसभा सदस्य सरोज पांडेय काफी खुश थे। क्योंकि सभा की जिम्मेदारी इन तीनों पर ही थी। इससे परे रायपुर एयरपोर्ट पर अमित शाह के स्वागत-सत्कार को लेकर काफी किचकिच भी हुई।
बताते हैं कि अमित शाह के स्वागत के लिए प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व सीएम रमन सिंह, और कई प्रमुख नेता थे। कई जिला स्तर के नेताओं का तो पास बन गया था, और उन्होंने शाह का स्वागत किया। लेकिन शहर जिलाध्यक्ष जयंति पटेल, और ग्रामीण अध्यक्ष टंकराम वर्मा का पास ही नहीं बना। उन्हें सुरक्षाकर्मियों ने बाहर ही रोक दिया।
आम तौर पर राजधानी के जिला अध्यक्षों को एयरपोर्ट पर बड़े नेताओं की अगुवानी करने की जिम्मेदारी रहती है, मगर इस बार प्रदेश दफ्तर से ही उनका नाम नहीं भेजा गया था। इसको लेकर दोनों जिलाध्यक्ष काफी खिन्न नजर आए।
ऑफेन्स इज द बेस्ट डिफेंस
चीनी कहावत है-हमला रक्षा का सबसे अच्छा रूप है। राजनीति में भी कई बार ये कहावत प्रासंगिक नजर आती है। अमित शाह आए, तो स्वाभाविक तौर पर उनसे कांग्रेस सरकार पर तीखे हमले की उम्मीद थी। उन्होंने कुछ हद तक सरकार पर वार भी किए, लेकिन वैसा हमला नहीं बोल पाए, जिसकी उम्मीद प्रदेश के कुछ भाजपा नेताओं को थी।
शाह से पीएससी की गड़बडिय़ों को लेकर, और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर सीबीआई जांच कराने का ऐलान करने की उम्मीद थी। शाह ने पीएससी पर हमला भी बोला, लेकिन जांच की बात रह गई। कहा जा रहा है कि कांग्रेस की रणनीति भी कुछ हद तक शाह को हमलावर न होने के लिए कारगर रही।
शाह के दौरे के एक दिन पहले इंदिरा प्रियदर्शिनी महिला नागरिक सहकारी बैंक घोटाले का जिन्न बाहर निकल आया। कांग्रेस के रणनीतिकार चुपचाप बैंक घोटाले पर काम कर रहे थे। और जब जिला अदालत ने जांच के आदेश दिए, तो सीएम ने एक के बाद एक ट्वीट कर पूरी भाजपा को कटघरे पर खड़ा कर दिया। यही नहीं, आदिपुरुष फिल्म पर बैन की मांग कर शाह के लिए असहजता की स्थिति पैदा कर दी थी। ऐसे में शाह हमलावर तो रहे, लेकिन वैसा कुछ नहीं बोल पाए जिससे कांग्रेस नेताओं को जवाब देने में मुश्किल आ रही है। सीएम ने आरोपों का जवाब भी दे दिया।