राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : विश्व आदिवासी दिवस पर उथल-पुथल
10-Aug-2023 4:02 PM
राजपथ-जनपथ : विश्व आदिवासी दिवस पर उथल-पुथल

विश्व आदिवासी दिवस पर उथल-पुथल 

विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर प्रदेश में बड़े राजनीतिक फैसले हुए हंै। गत वर्ष इसी दिन 9 अगस्त को भाजपा ने अपने प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय को हटाकर बिलासपुर सांसद अरुण साव को पार्टी संगठन की कमान सौंपी थी। इस बार पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया। नेताम तो पिछले कई समय से पार्टी के खिलाफ मुखर थे, लेकिन वो पार्टी में बने रहे। उन्होंने अपने इस्तीफे के लिए विश्व आदिवासी दिवस का दिन चुना।  

नेताम ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भेजे अपने इस्तीफे में भूपेश सरकार को आदिवासी विरोधी करार दिया। इससे परे  सीएम भूपेश बघेल ने बुधवार को ही बस्तर, और सरगुजा के आदिवासी दिवस पर कार्यक्रम में कई घोषणाएं भी की। इनमें बीएड-डीएड कॉलेज खोलना भी शामिल है। भाजपा के आदिवासी नेताओं ने विश्व आदिवासी दिवस पर एकमात्र कार्यक्रम प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर भूपेश सरकार को कोसने का ही काम किया। कुल मिलाकर विधानसभा चुनाव की वजह से आदिवासी दिवस काफी चर्चा में रहा। 

गड्ढों की अच्छी तस्वीर खींचें

पूरे प्रदेश में खराब सडक़ों को लेकर आम नागरिक परेशान हैं। बारिश के बाद इनकी हालत और बुरी हो गई है। अफसर बारिश के बाद मरम्मत का नाम ले रहे हैं, पर लोग पूछ रहे हैं कि इतनी बेकार सडक़ बनाई ही क्यों जाती है जो बारिश होते ही उखड़ जाए। जांजगीर के युवा अपना गुस्सा जाहिर करने और सरकार, प्रशासन का ध्यान खींचने के लिए- लबरा मुक्ति अभियान चला रहे हैं। उन्होंने गड्ढे भरी सडक़ के लिए सेल्फी और रील्स की प्रतियोगिता रखी है। एक वाट्सएप नंबर जारी किया गया है, जिसमें उन्होंने लोगों से अपने शहर, जिले की सडक़ों के साथ सेल्फी या रील्स भेजने कहा है। 17 अगस्त तक इसमें एंट्री ली जाएगी। 20 सबसे असरदार तस्वीर या रील्स को पुरस्कार भी दिए जाएंगे। अभियान का नाम रखा गया है सेल्फी विथ खंचवा ( गड्ढे के साथ सेल्फी)। 

इधर शिकायत उधर ट्रेनें रद्द

देशभर के रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण की बड़ी योजना बनाई गई है। छत्तीसगढ़ के भी नौ स्टेशन इसमें शामिल किए गए हैं, जिनमें 1200 करोड़ रुपये से अधिक खर्च की योजना है। इस योजना के शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया, मगर छत्तीसगढ़ के सभी प्रमुख स्टेशनों पर जनप्रतिनिधि बुलाए गए। वंदेभारत ट्रेनों का उद्घाटन भी ऐसे ही ताम-झाम से किया गया था। पर, छत्तीसगढ़ से गुजरने वाली ट्रेनों को समय पर चलाने और लगातार रद्द करने की समस्या पर रेलवे की ओर से कुछ नहीं कहा गया, जिसे लेकर हजारों यात्री रोजाना परेशान होते हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जब दो दिन पहले ट्रेनों को रद्द करने से आम लोगों को हो रही दिक्कत का मुद्दा उठाया तो रेलवे अफसरों ने कोई जवाब नहीं दिया। जवाब उनकी घोषणा से आया। पहले दिन 20 ट्रेनों को रद्द करने की घोषणा की, दूसरे दिन 14 और ट्रेनों को रद्द कर दिया। इन ट्रेनों को पटरियों के रख-रखाव, नई बनी चौथी लाइन से बाकी ट्रैक को जोडऩे आदि के नाम पर निरस्त किया गया है। जब भी रेलवे ट्रेनों को रद्द करने की घोषणा करती है, साथ में यह भी उल्लेख करती है कि इससे ट्रेनों की रफ्तार बढ़ेगी, समय से ट्रेनों को चलाने में मदद मिलेगी, यात्रियों की सुविधा बढ़ेगी। पर वह दिन कभी आ ही नहीं रहा। कभी हावड़ा रूट तो कभी कटनी रूट पर मरम्मत या अधोसंरचना विकास के नाम पर लगातार ट्रैन कैंसिल किए जा रहे हैं।

  फ्लाइंग किस  

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