राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : धरम का काम भी थमा
11-Aug-2023 4:16 PM
	 राजपथ-जनपथ : धरम का काम भी थमा

धरम का काम भी थमा 

प्रदेश में ईडी सक्रिय है, और कई प्रकरणों की पड़ताल भी कर रही है। ईडी, लिकर व कोल के बाद धान-चावल और डीएमएफ की भी जांच कर रही है। धान-चावल केस में कई मिलर्स के यहां भी दबिश दे चुकी है। ईडी की जांच के चलते नेता, अफसर, और कारोबारियों में हडक़ंप मचा है। चर्चा है कि ईडी के खौफ की वजह से एक नेताजी के निवास पर धर्म-कर्म से जुड़ा निर्माण कार्य रुक गया है। 

कहा जा रहा है कि नेताजी अपने निवास पर धर्म-कर्म का काम करवा रहे थे। काफी कुछ निर्माण काम हो भी चुका है। इसमें कुछ कारोबारी-अफसर भी मुक्त हस्त से सहयोग कर रहे थे। इसी बीच ईडी ने कारोबारियों के यहां दस्तक दे दी। कुछ लोगों से तो दो दिन तक पूछताछ चलती रही। इसका असर यह हुआ कि नेताजी के निवास पर निर्माण कार्य रुक गया है। हल्ला है कि देर सवेर जांच की आंच नेताजी तक पहुंच सकती है। और जब निर्माण पर बात होगी, तो समस्याएं भी पैदा हो जाएंगी। बस, इसी वजह से धर्म-कर्म के काम पर रोक लग गई है। 

नाराजों को मनाना शुरू 

खबर है कि भाजपा संगठन के नेता अजय जामवाल, और पवन साय  खुद होकर नाराज नेताओं को मनाने में जुटे हैं। वो इसके लिए नाराज नेताओं के घर तक जाने में परहेज नहीं कर रहे हैं। कुछ दिन पहले जामवाल, रायपुर ग्रामीण जिला के पूर्व अध्यक्ष अनिमेश कश्यप (बॉबी) के घर भी गए। 

बताते हैं कि अनिमेश पद से हटाए जाने के बाद से काफी नाराज थे, और एक तरह से पार्टी दफ्तर आना-जाना छोड़ दिया था। उनकी वजह से मंदिरहसौद, और कई अन्य जगहों में भी कई पदाधिकारियों ने पार्टी की गतिविधियों से खुद को अलग कर दिया था। 

जामवाल ने अनिमेष को समझाया, और परिवार के सदस्यों के साथ घंटे भर रहे। उन्हें कई कार्यक्रम करने के लिए तैयार भी किए। न सिर्फ अनिमेश बल्कि प्रदेश के अन्य जगहों पर भी जामवाल, और पवन साय की जोड़ी नाराज पदाधिकारियों को मनाने के लिए उनके घर तक  जा रहे हैं। अब नाराज नेता कितना सक्रिय होते हैं, यह देखना है। 

सिर्फ छात्रों की क्या गलती?

प्रदेश के विश्वविद्यालयों के परीक्षा परिणाम चिंताजनक आए। छात्र आंदोलन पर हैं। पं. रविशंकर विश्वविद्यालय में यूजी के 80 फीसदी छात्र पास नहीं हो पाए। 1700 विद्यार्थियों को तो शून्य अंक मिले। इनमें वे छात्र हैं, जिन्हें जवाब पता नहीं और कुछ भी मन की लिख आए। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर में स्नातक स्तर के सिर्फ 30 फीसदी छात्र पास हो पाए। पूरे प्रदेश में यही हाल है। कांग्रेस की ही छात्र इकाई एनएसयूआई पूरे प्रदेश में इस मांग पर आंदोलन कर रही है कि दो विषयों में फेल छात्रों को पूरक की पात्रता मिले।

इस स्थिति के लिए एक सामान्य धारणा यह बनी है कि कोविड काल में छात्रों की लर्गिंग और राइटिंग स्किल कमजोर पड़ गई। दो, तीन साल तक उन्होंने या तो ऑनलाइन परीक्षा दी या फिर घर में किताबों को देखकर आंसर शीट तैयार की। इसी का नतीजा वे भुगत रहे हैं। मगर कुछ कॉलेज प्रोफेसरों का कहना है कि यह एकमात्र कारण नहीं है। विश्वविद्यालय और कॉलेज के प्रशासन ने भी कॉलेज खुलने के बाद छात्रों में लिखने, पढऩे की आदत में कमी को दूर करने के लिए कोई प्रयास नहीं लिया। जिस तरह स्कूली शिक्षा में नवाचार किए गए, कॉलेजों में दूर-दूर नजर नहीं आया। न केवल केंद्रीय विश्वविद्यालयों में बल्कि राज्य के अधीन विश्वविद्यालयों में सारा जोर नई शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों को ज्यादा से ज्यादा लागू कर वाहवाही लेने की होड़ मची हुई थी। केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षा मंत्रालय को और राज्य के विश्वविद्यालय चांसलर को खुश करने की कोशिश में लगे रहे। दोनों ही तरह के विश्वविद्यालयों की कोशिश यह भी थी कि वे नैक ग्रेडिंग में न पिछड़ें ताकि यूजीसी से अधिक अनुदान हासिल कर सकें। सिर्फ ग्रेडिंग के लिए ऐसे-ऐसे एमओयू करते और शोध केंद्र खोलते रहे जिनका धरातल पर कोई रिजल्ट नहीं दिखाई देता। होना यह था कि कोविड के बाद खुले कॉलेजों में पूरा ध्यान छात्रों की फिजिकल लर्निंग को दुबारा दुरुस्त करने में लगाया जाता। नई शिक्षा नीति लाने में और नैक ग्रेडिंग में एक दो साल शिथिलता बरती जा सकती थी।

नुकसान को कांग्रेस का ही करेंगे नेताम

पूर्व केंद्रीय मंत्री और आदिवासी समाज के एक प्रमुख संगठन, सर्व आदिवासी समाज के संरक्षक अरविंद नेताम ने आखिरकार विश्व जनजातीय दिवस के दिन कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। इसके पहले वे सालभर से यह कह रहे थे कि कांग्रेस में हैं भी या नहीं यह उन्हें मालूम नहीं। स्व. इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में शामिल रह चुके नेताम 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले ही दोबारा राहुल गांधी के आह्वान पर कांग्रेस में वापस आए थे लेकिन वे लगातार उपेक्षित रहे। इसकी परिणिति यह रही कि उन्होंने सर्व आदिवासी समाज को सामने रखकर कांग्रेस के खिलाफ भानुप्रतापपुर उप-चुनाव में प्रत्याशी खड़ा किया। इसके बावजूद वे कांग्रेस से निकाले नहीं गए। पार्टी को शायद लगा होगा कार्रवाई करने से उनका कद बढ़ जाएगा।

अब इस्तीफा देने के बाद वे आजाद हैं। इस्तीफा देते वक्त उन्होंने पेसा कानून में बदलाव को प्रमुखता से उठाया है। कहा है कि कांग्रेस के विधायक आदिवासी अधिकारों को छीने जाने के इस फैसले पर चुप रहे, आवाज नहीं उठाई। अब देखते हैं वे इस बार यहां से चुनाव कैसे जीतते हैं।

नेताम के इस बयान से साफ होता है कि सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी कहीं से जीत पाएं या नहीं लेकिन कांग्रेस की हार का कारण जरूर बनेंगे। वैसे भी जब पूरी 12 सीट कांग्रेस के पास है तो भाजपा या सर्व आदिवासी समाज के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। उन्हें कुछ न कुछ मिलेगा, नुकसान कांग्रेस को ही उठाना होगा।

यूपी, झारखंड के लिए रूम नहीं?

भोजपुरी अभिनेता खेसारी लाल यादव ने एक तस्वीर के साथ एक पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर की है। इसमें वे कह रहे हैं कि- काहे हो, मजदूर हमारा चाहिए, आईएएस हमारा चाहिए, छात्र की बात आए तो?

इस नोटिस बोर्ड को एनआईटी रायपुर के समीप स्थित एक प्राइवेट हॉस्टल के गेट का बताया गया है। इसमें कहा गया है कि यूपी, बिहार, झारखंड के छात्रों को रूम नहीं दिया जाता है।
पोस्ट की प्रतिक्रिया में कुछ राजनीतिक टीका-टिप्पणियां हैं। इसके अलावा एक ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को टैग किया है कि यहां पढऩे वाले 75 प्रतिशत छात्रों को प्राइवेट हॉस्टल में रहना पड़ता है। एनआईटी को यहां जल्द से जल्द हॉस्टल का निर्माण करने का निर्देश दिया जाए। 

 

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