राजपथ - जनपथ

भाजपा टिकटों की कहानी
भाजपा की चुनाव समिति अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन पार्टी के रणनीतिकार विधानसभा वार बेहतर प्रत्याशी की खोज में लगे हैं। चर्चा तो यह भी है कि कुछ दिग्गज नेताओं को 8-8 विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी दी जा सकती है। एक चर्चा यह है कि कुछ सीटिंग एमएलए की टिकट भी काटी जा सकती है, अथवा उनकी सीट बदली जा सकती है।
इन चर्चाओं को उस वक्त बल मिला, जब पड़ोस के जिले की एक विधानसभा सीट से निकाय के पूर्व पदाधिकारी से चुनाव लडऩे की पेशकश की गई। पूर्व पदाधिकारी की साख अच्छी रही है। मगर उन्होंने चुनाव लडऩे से मना कर दिया। दिलचस्प बात यह है कि यह सीट भाजपा के पास ही है। संकेत साफ है कि विधायक की टिकट कट सकती है। चर्चा है कि टिकट वितरण में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। देखना है आगे क्या होता है।
ईडी डीएमएफ और स्कूल
ईडी डीएमएफ की पड़ताल कर रही है। सभी जिलों से चाही गई जानकारी ईडी दफ्तर तक पहुंच गई है। चर्चा है कि डीएमएफ से सबसे ज्यादा काम स्कूल शिक्षा विभाग में हुआ है। आत्मानंद स्कूलों पर काफी खर्च किए गए हैं। सप्लाई का भी काफी काम हुआ है। ऐसे में चर्चा है कि कुछ फर्नीचर सप्लायरों से पूछताछ हो सकती है।
बताते हैं कि कई जिलों में तो अच्छा काम हुआ है, लेकिन कुछ जगहों पर घटिया फर्नीचरों की सप्लाई हुई है। ऐसे में स्कूल शिक्षा, और आदिम जाति कल्याण विभाग के अफसरों पर भी आंच आ सकती है। देखना है आगे क्या होता है।
उम्मीदवारों पर चर्चा, पार्टी लिस्ट बाकी
प्रदेश कांग्रेस की चुनाव समिति की एक बैठक तो हो चुकी है, लेकिन प्रदेश पदाधिकारियों की सूची अटकी पड़ी है। प्रदेश सचिव, संयुक्त महासचिव, और कोषाध्यक्ष व महासचिव के रिक्त पदों पर नाम प्रस्तावित किए जा चुके हैं।
चर्चा है कि प्रदेश प्रभारी सैलजा से इस पर बात भी की गई। सैलजा ने प्रमुख नेताओं को कहा बताते हैं कि नाम हाईकमान को भेज दिए गए हैं, और हाईकमान ही सूची जारी करेगा। कहा जा रहा है कि कुछ प्रमुख नेताओं ने अलग-अलग पदों के लिए अपनी तरफ से नाम भी भेज दिए हैं। इन सब वजहों से सूची जारी होने में विलंब हो रहा है।
आजादी की जगमगाहट
सुकमा जिले के एल्मागुंडा गांव के लोगों के लिए इस बार आजादी का जश्न यादगार बन गया। बरसों के इंतजार के बाद यहां के घर बिजली से रोशन हो गए हैं। स्वतंत्रता के 76 साल पूरे हो जाने के बाद भी यहां बिजली नहीं थी। पहले कई बार बिजली बोर्ड ने पोल लगाने की कोशिश की लेकिन नक्सली हर बार नुकसान पहुंचा कर काम रुकवा देते थे। 6 महीने पहले ही यहां सीआरपीएफ का कैंप खोला गया। पुलिस और प्रशासन ने मिलकर तय किया कि यहां हर हाल में बिजली पहुंचाई जाएगी। बिजली विभाग ने फिर से फोन लगाना शुरू किया और उन्हें सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ पुलिस के जवानों ने दिन रात सुरक्षा दी। अब तक इस गांव में सोलर पैनल भी नहीं लगा था लेकिन स्वतंत्रता दिवस के ठीक पहले 14 अगस्त की शाम यह गांव बिजली की रोशनी से जगमगा उठा।
गरीब राज्य की आर्थिक हालत
राज्य की वित्तीय स्थिति को लेकर एक चौंकाने वाली खबर चल रही है। डायचे बैंक इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक दास ने 17 राज्यों की एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें बताया गया है कि महाराष्ट्र के बाद सबसे अच्छी राजकोषीय स्थिति छत्तीसगढ़ की है। इसके बाद ओडिशा, तेलंगाना का नंबर आता है। पिछले वर्ष गुजरात पांचवें नंबर पर था, जो सरक कर सातवें स्थान पर चला गया है। सबसे खराब वित्तीय हालत वाले राज्यों में पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल हैं। यह आकलन राजकोषीय घाटा, स्वयं का कर राजस्व, सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत में राज्य का ऋ ण स्तर आदि के आधार पर किया गया है।
इस रिपोर्ट में राजस्थान का उल्लेख नहीं है अन्यथा यह तुलना करना आसान हो जाता कि फ्री बिजली, गरीबों, किसानों, महिलाओं को नगद राशि देने, कर्ज माफ करने जैसी योजनाओं का किसी राज्य पर कितना असर पड़ता है। इस अध्ययन का विषय यह नहीं था। यह भी नहीं था कि क्या इन राहत योजनाओं के चलते इंफ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट के खर्चों में कोई कटौती की गई या नहीं।
दिलचस्प यह है कि रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीब राज्यों में गिने जाने के बावजूद छत्तीसगढ़ ने आर्थिक रूप से सुदृढ़ समझे जाने वाले महाराष्ट्र के बाद सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है।
मगर यह तथ्य बार-बार सामने आ चुका है कि नैसर्गिक संसाधनों के मामले में छत्तीसगढ़ गरीब है ही नहीं। इसके बारे में अमीर धरती के गरीब लोग मुहावरा इस्तेमाल में लाया जाता है। मई 2023 में एक आंकड़ा सामने आया था जिसमें जीडीपी के आधार पर छत्तीसगढ़ को सबसे गरीब राज्य माना गया था, पर यहां रहने वाले लोगों के हिसाब से। इसके अनुसार 39.90 प्रतिशत लोग यहां गरीब हैं। झारखंड, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, बिहार जैसे राज्यों की स्थिति भी छत्तीसगढ़ से बेहतर है।
तीन विधायकों की चिंता दूर
कांग्रेस में जबसे उस आंतरिक सर्वे की चर्चा है जिसमें 30 से अधिक मौजूदा विधायकों के प्रदर्शन को खराब बताया गया है और उनके टिकट कटने की आशंका है, हर जगह लोग जानने के लिए उत्सुक है कि किसकी कटेगी, किसकी बचेगी। 15 अगस्त को ध्वजारोहण के लिए मनेंद्रगढ़ पहुंचे स्पीकर डॉ. चरण दास महंत से मीडिया ने यही सवाल कर दिया। पूछा गया कि जिले के तीन विधायकों में से किस-किस की टिकट कटेगी? डॉ. महंत ने कहा कि हमारे तीनों विधायकों का परफॉर्मेंस बढिय़ा है। बढिय़ा है, कह रहा हूं, इसका मतलब यह है कि तीनों फिर चुनाव लड़ेंगे।
डॉ. महंत जब सांसद और केंद्रीय मंत्री थे, तब से पार्टी के मामले में, कोरिया जिले में उनकी खूब चलती है। या कहें कि उनकी सहमति के बिना पुराने कोरिया जिले को लेकर हाईकमान कोई फैसला नहीं करता। ऐसे में मानकर चलना चाहिए कि जो वे कह रहे हैं, ठीक ही कह रहे होंगे।
दूसरी ओर जानकारों का कहना है कि जिले के तीन में से दो विधायकों का रिपोर्ट कार्ड गड़बड़ हैं। महंत भी जानते होंगे। पर मीडिया के सामने क्या कहना है, यह भी वे जानते हैं।