राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : समाज सर्वोपरि
18-Aug-2023 3:25 PM
राजपथ-जनपथ : समाज सर्वोपरि

समाज सर्वोपरि 

भाजपा के एक युवा नेता ने अपने समाज को  दल से उपर ही रखा। 21 प्रत्याशियों की सूची में उनका नाम न होने के बाद समाज यही कह रहा है। दरअसल नेताजी अपने समाज बहुल विधानसभा क्षेत्र से ही चुनाव लडऩा चाहते थे। उन्होंने जून तक इलाके में खूब मेहनत की। उनका दावा भी था कि वे, इस सीट से प्रदेश में कांग्रेस के परिवारवाद को खत्म करना चाहते हैं । यहां से पहले पिता और अब पुत्र विधायक हैं। एक ही समाज के दो युवकों के द्वंद्व में समाज प्रमुख भी उलझ गए। जैसे तैसे भाजपा नेता को सीट बदलने मना लिया गया । कहा कि समाज से दो विधायक हो जाएं तो राजनीति में समाज की पैठ बढ़ेगी। उसके बाद ही नेताजी ने सुरक्षित सीट की तलाश शुरू की। पहले रायपुर ग्रामीण पर उंगली रखा। यहां दो दिग्गजों की टेढ़ी भौंहे देखी और फिर इसके बाद गृह जिला मुख्यालय के साथ ही चंद्रपुर में अपनी संभावना देख रहे हैं। लेकिन पार्टी क्या सोचती है यह देखना है।

पीएससी का एक और रिजल्ट जल्द

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने मुख्य परीक्षा के नतीजे 16 अगस्त को जारी किए और अगले ही दिन यानि 17 अगस्त को साक्षात्कार की तारीख भी घोषित कर दी। इसमें अधिक अंतराल नहीं रखा गया है। 24 अगस्त से साक्षात्कार शुरू हो जाएगा जो 6 सितंबर तक चलेगा। परीक्षार्थियों का कहना है कि मेंस में 22 हजार से अधिक विद्यार्थी होने के बावजूद उत्तर पुस्तिका भी बहुत जल्दी जांच ली गई। बावजूद इसके कि सभी कॉपियों का एक-एक पन्ना स्कैन किया गया, उसके बाद जांच हुई।

इसमें किसी को क्या दिक्कत हो सकती है कि कोई काम बिना समय गंवाये जल्दी-जल्दी पूरा कर दिया जाए। बस इस यह गौर करना जरूरी है कि चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी का कार्यकाल साक्षात्कार प्रक्रिया पूरी होने के ठीक दो दिन बाद यानि 8 सितंबर को खत्म होने वाला है।

पीएससी 2021 के नतीजों में ज्यादातर टॉपर परीक्षार्थी अफसरों, कारोबारियों और कांग्रेस नेताओं के बेटी-बेटे थे। इसके चलते चयन प्रक्रिया पर सवाल उठा था। इन टॉपर्स से प्रतियोगी परीक्षा में बैठने वाले युवा उनसे तैयारी के लिए मार्गदर्शन लेना चाहते हैं, पर वे सामने ही नहीं आ रहे हैं। चयन पर सीजीपीएससी की ओर से कोई जवाब नहीं आया पर सरकार ने क्लीन चिट दे दी। भाजपा ने इसे भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद बताते हुए आपत्ति जताई थी। विरोध प्रदर्शन भी हुए थे। हुआ कुछ नहीं, अब 2022 के रिजल्ट का इंतजार करिये।

भाजपाइयों का खुश होना वाजिब

भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। उत्साही भाजपा नेता दावा कर रहे है  कि पार्टी कम से कम दस सीटें जीत सकती है। एक पूर्व मंत्री का अंदाजा है कि पार्टी 14 सीटें जीत सकती है। मगर कांग्रेस के रणनीतिकार बेफिक्र हैं । 

एक-दो प्रमुख नेताओं का अंदाजा है कि मौजूदा स्थिति में भाजपा अधिकतम 3-4 सीटें ही जीत सकती है, वह भी तब जब विधायकों को रिपीट किया जाए। मगर ऐसा होने की उम्मीद कम है क्योंकि दो दर्जन से अधिक विधायकों के खिलाफ एंटी इनकम बंसी हावी है। ऐसे में कई की टिकट  कटने के आसार हैं। चेहरे बदलेंगे, तो संभव है कि सभी 21 सीट फिर से कांग्रेस की झोली में चली जाए। 

वैसे एक बात तय है कि भाजपा के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। ऐसे में जो भी सीटें आएंगी वो पहले की तुलना में बेहतर ही होगा। ऐसे में भाजपाइयों का खुश होना वाजिब भी है। 

यहां छात्र नहीं शिक्षक गैरहाजिर

स्कूलों में शिक्षकों की मांग पर तो अनेक आंदोलन होते रहते हैं लेकिन कोंडागांव जिले के संबलपुर स्थित सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्र-छात्राओं ने शिक्षकों को हटाने की मांग करते हुए स्कूल की गेट पर ताला जड़ दिया। छात्रों का कहना है कि खेल शिक्षक सहित दो तीन शिक्षक स्कूल से गैरहाजिर रहते हैं, जिससे उनकी पढ़ाई और खेल गतिविधियों का नुकसान हो रहा है। उन्हें स्कूल के एक लिपिक से भी शिकायत है जो छात्रों को अनावश्यक परेशान करते रहते हैं। गेट पर ताला लगाकर स्कूल को बंद करने की सूचना मिलने पर शिक्षा विभाग के अधिकारी पहुंचे। उन्होंने छात्रों को समझाया-बुझाया, कार्रवाई की बात कही, तब जाकर छात्र अपनी क्लास में जाकर बैठे।

प्रकृति के सफाई कर्मी

प्रकृति के यह सफाई कर्मी कम हो चले हैं, लेकिन कुछ वर्षो से अगस्त मध्य में मोहन भाटा से कोटा (बिलासपुर) के बीच जोड़े में मिल जाते हैं।
सफेद गिद्ध याने इजिप्शियन वल्चर, प्रकृति के महत्वपूर्ण सफाई कर्मी हैं। जिस एरिया में इनको देखने की बात लिखी है वहां काफी मवेशी बरसात में मरते हैं जिनके शव पड़त भूमि में फेंक दिया जाता है।

अब यहां से प्रकृति के सफाई कर्मियों का काम शुरू होता है, जिसमें सफेद आवारा कुतों और चील के बाद इन सफेद गिद्ध के काम शुरू होता है। इनको पहुंचने के बाद भी इंतज़ार करना होता है।

इनकी पीली चोंच चील या बाज के समान मजबूत नहीं होती, लेकिन कुदरत ने सबके लिए इंतजाम किया है। यह हड्डियों से लगा मांस चोंच से निकालकर पेट भरते हैं। याने प्रकृति में कुछ भी व्यर्थ नहीं जाता।

नर और मादा एक जैसे रंग के दिखते हैं जबकि युवा यदि साथ है तो उनका रंग हल्का काला होता है। यह बाद में सफेद हो जाता है। छतीसगढ़ में इनके घोसले की बात सुनी जाती है, जिस पर शोध जरूरी है। यह तस्वीर प्राण चड्ढा ने ली है।

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