राजपथ - जनपथ

भाजपा में नाम बदलने की आशंका
भाजपा के सारे 21 विधानसभा प्रत्याशी दो दिन पहले पार्टी दफ्तर पहुंचे, तो कई प्रमुख नेताओं ने उन्हें प्रत्याशी बनने पर बधाई दी। बावजूद इसके प्रत्याशी सशंकित थे।
एक-दो प्रत्याशियों ने प्रदेश चुनाव प्रभारी ओम माथुर से पूछ लिया कि बाद में प्रत्याशी तो नहीं बदल दिए जाएंगे? इसकी वजह भी थी कि कई जगहों पर प्रत्याशी बदलने की मांग उठ रही है। प्रत्याशियों की घोषणा के बाद सरायपाली जैसे एक-दो जगहों पर तो कई लोगों ने इस्तीफे भी दे दिए हैं। मगर माथुर ने उन्हें भरोसा दिलाया कि घोषित प्रत्याशियों को किसी भी दशा में नहीं बदले जाएंगे। माथुर और नेताओं ने उन्हें प्रचार को लेकर टिप्स दिए।
आम लोगों से व्यक्तिगत मुलाकात पर जोर दिया। प्रत्याशियों ने खर्च को लेकर भी रोना रोया। उन्हें आश्वस्त किया गया कि पार्टी पूरी मदद करेगी, साथ ही बैनर-पोस्टर भी उपलब्ध कराएगी। पार्टी नेताओं ने चुनाव आचार संहिता तक सादगी से प्रचार करने की हिदायत दी है।
टेकाम के आने से अधिक सक्रिय नेताम
आखिरकार विशेष सचिव स्तर के अफसर नीलकंठ टेकाम भाजपा में शामिल हो गए। उनका केशकाल सीट से प्रत्याशी बनना भी तकरीबन तय है। टेकाम की उम्मीदवारी को भांपते हुए केशकाल के मौजूदा कांगे्रस विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष संतराम नेताम ने इस बार पहले के चुनाव के मुकाबले ज्यादा मेहनत कर रहे हैं। नेताम तीसरी बार विधायकी के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखे हैं। वो हर गांव में रात गुजार रहे हैं।
बताते हैं कि कोण्डागांव कलेक्टर रहते टेकाम ने केशकाल में खूब मेहनत की थी। उन्होंने लोगों से व्यक्तिगत संपर्क बना लिया था। कुछ इलाकों में जहां टेकाम की पकड़ दिखती है, वहां संतराम नेताम ज्यादा समय गुजार रहे हैं। कुल मिलाकर संतराम नेताम अपना कब्जा बरकरार रखने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखे हैं। ऐसे में यहां मुकाबला पिछले चुनावों से ज्यादा रोचक होने की उम्मीद है।
छत्तीसगढ़ मीडिया पर ख़ास ध्यान
भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के अनुभवी राष्ट्रीय नेताओं को छत्तीसगढ़ में मीडिया प्रबंधन में लगाया है। यूपी सरकार के पूर्व मंत्री और दिवंगत प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के नाती सिद्धार्थनाथ सिंह तो मीडिया का कामकाज देखेंगे, साथ ही मीडिया विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष केके शर्मा भी चुनाव तक यहां रहेंगे।
शर्मा को बिलासपुर संभाग की जिम्मेदारी दी जा रही है। सिद्धार्थनाथ सिंह वर्ष-2003 के चुनाव में छत्तीसगढ़ में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। दिल्ली से एक टीम पहले से यहां काम कर रही है। कुल मिलाकर पिछले चुनावों के मुकाबले भाजपा इस बार मीडिया पर ज्यादा ध्यान दे रही है।
प्रबोध मिंज फांस तो नहीं बन जाएंगे?
लुंड्रा विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी प्रबोध मिंज ने सरपंच से लेकर महापौर तक की सीढ़ी तय की है। जनपद अध्यक्ष रहते तक करीब दो दशक उन्होंने कांग्रेस में बिताया। विधानसभा टिकट की मांग की, नहीं मिली तो एनसीपी में, फिर भाजपा में आ गए। भाजपा से ही वे अंबिकापुर नगर-निगम में दो बार महापौर चुने गए, तब जबकि यहां से कांग्रेस हमेशा विधानसभा जीतती आई और सिंहदेव परिवार का असर भी है। इस समय भी अंबिकापुर नगर निगम में वे नेता प्रतिपक्ष हैं। उनकी अब तक की राजनीतिक यात्रा बताती है कि वे ठीक-ठाक जनाधार रखते हैं। उन्हें जिस लुंड्रा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है वह भाजपा के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। 2003 में जब कांग्रेस की सत्ता छीनी थी तो भाजपा के विजय नाथ सिंह केवल 43 वोट से जीतकर विधायक बने थे। उसके बाद लगातार तीन चुनावों में यह सीट कांग्रेस के पास रही। इस समय डॉ. प्रीतम राम विधायक हैं। पहले पिता चमरू राम विधायक थे, फिर एक बेटे रामदेव राम, अब दूसरे बेटे डॉ. प्रीतम। वे उरांव समाज से आते हैं। गोंड समाज के बाद सर्वाधिक वोट इसी समाज के हैं। इसके बाद कंवर वोट हैं। भाजपा ने पहले के चुनावों में गोंड प्रत्याशियों को खड़ा किया लेकिन वह उन्हें एकजुट नहीं कर पाई। पिछले चुनावों में विजय प्रताप सिंह सर्वाधिक वोट वाले गोंड समाज से होने के बावजूद नहीं जीत पाए। अब इस बार भाजपा की रणनीति कांग्रेस में एकजुट होते रहे उरांव वोटों को विभाजित करने की है। सोच यह है कि गोंड और कंवर समाज के पारंपरिक भाजपा वोटों को तो हासिल कर लिया जाए और कांग्रेस के उरांव वोट टूटे और जीत का मुकाम हासिल कर लिया जाए। पर, इस दांव पर अब ग्रहण लगता दिखाई दे रहा है। गोंड और कंवर समाज से जुड़े भाजपा कार्यकर्ता विरोध पर उतर आए हैं। वे अंबिकापुर में पत्रकार वार्ता करना चाहते थे, पर वरिष्ठ नेताओं के समझाने पर मान गए। भाजपा जिला अध्यक्ष को ज्ञापन देकर उन्होंने प्रत्याशी बदलने की मांग की है। उनका कहना है कि 90 प्रतिशत ‘हिंदू आदिवासी’ क्षेत्र में मत परिवर्तन करने वाले यानि ईसाई धर्म अपनाने वाले उरांव को टिकट दी गई है। भाजपा से पूर्व सांसद कमलभान सिंह और पूर्व जिला पंचायत सदस्य फुलेश्वरी देवी, उपेंद्र गोंड सहित कई दावेदार यहां से हैं।
यह दिलचस्प है कि उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा, बलरामपुर, जशपुर में भाजपा से जुड़े लोग घर वापसी अभियान चलाते हैं। दक्षिण में बस्तर के लगभग हर जिले में भाजपा ने धर्मांतरण, मतांतरण को मुद्दा बना रखा है। इतना बड़ा मुद्दा कि कुछ भाजपा नेताओं को जेल भी जाना पड़ा। उनसे जुड़े लोगों ने ईसाईयों के बहिष्कार की शपथ दिलाई। राजधानी रायपुर में धर्म परिवर्तन करने वाले आदिवासियों को आरक्षण के लाभ से वंचित करने की मांग पर बड़ा प्रदर्शन किया गया।
यह गौर करना चाहिए कि सरगुजा, जशपुर, बलरामपुर में एक बड़ी आबादी ईसाई धर्म अपनाने वाले आदिवासियों की है। इसलिए प्रबोध मिंज को टिकट देने से परंपरागत रूप से खिलाफ जाने वाले इन मतदाताओं का दूसरे इलाकों से भी समर्थन मिलने की उम्मीद भाजपा को है। हो सकता है कि लुंड्रा के कार्यकर्ताओं को समझा-बुझाकर शांत कर लिया जाए, पर घर वापसी और धर्मांतरण के मुद्दे पर उसके रुख का क्या होगा? टिकट वितरण के बाद कांग्रेस की राजधानी में पत्रकार वार्ता हुई थी, जिसमें यही सवाल उठाया गया था। जाहिर है चुनाव आते तक कांग्रेस इसे और जोर-शोर से उठाएगी।
जिन्होंने चांद पर जमीन खरीदी
चांद पर जमीन खरीदने को लेकर कानून रोक-टोक नहीं लगाता, क्योंकि यह कोई भी देश उसका मालिक नहीं है। दुनिया में कई कंपनियां चांद पर जमीन बेचती हैं। लोग चर्चा में आने के लिए खरीदते हैं। वहीं इनमें से कुछ लोगों को यकीन है कि एक न एक दिन चांद में इंसानों की बस्ती बसा ली जाएगी। जमीन खरीदने वालों में कई नामी-गिरामी लोग शामिल हैं। दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने एक प्लाट चांद में खरीदा था। शाहरूख खान के आस्ट्रेलिया के फैन ने चांद पर जमीन खरीदकर उन्हें गिफ्ट किया था। बहुत से आम लोगों ने भी जमीन खरीद रखी है, भले ही आज तक न वे अपनी जमीन देख पाए हैं, और न ही नाप-जोख करा पाए हैं। इन लोगों में छत्तीसगढ़ के तखतपुर के दो युवा व्यवसायी परवेज भारमल और वितेंद्र पाठक भी हैं। 17 साल पहले उन्होंने अखबारों में विज्ञापन देखा जो इंटरनेशनल लूनर लैंड रजिस्ट्री कंपनी की ओर से था। इंटरनेट के जरिये कंपनी से उन्होंने संपर्क किया और शौक के चलते 10-10 हजार रुपये में एक-एक एकड़ जमीन खरीद ली। उनके एकाउंट पर रुपये ट्रांसफर किए। सरकारी रजिस्ट्री तो हो नहीं सकती थी, इसलिये कंपनी ने बकायदा अक्षांश देशांश और प्लाट नंबर सहित एक सेल डीड भेजी। इस पर 17 दिसंबर 2006 की तारीख लगी है। चंद्रयान-3 के चांद पर उतरने की खबर पर इन दोनों प्लाट मालिकों ने भी जश्न मनाया और मिठाईयां बांटी, कहा-हमारी जमीन का सही इस्तेमाल हुआ।