राजपथ - जनपथ
शाह का हॉल खाली!!
भूपेश सरकार के खिलाफ आरोप पत्र की लांचिंग का कार्यक्रम भीड़ के लिहाज से भाजपा के लिए शर्मिंदगी भरा रहा। विधानसभा चुनाव मैदान में उतरने से पहले पार्टी ने आरोप पत्र तो तैयार किया, और देश के दूसरे नंबर के नेता केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सरकार के खिलाफ अपने तेवर दिखाकर कार्यक्रम में रंग भरने की कोशिश की।
यह कार्यक्रम साइंस कॉलेज से सटे दीनदयाल उपाध्याय सभागार में शनिवार को हुआ। लांचिंग कार्यक्रम कवरेज के लिए दिल्ली से पत्रकारों का एक दल भी आया था। आरोप पत्र की लांचिंग के लिए सुबह साढ़े 10 बजे का कार्यक्रम निर्धारित किया गया। मगर उस समय तक हाल की कुर्सियां तक नहीं भरी थी। इस वजह से कार्यक्रम घंटेभर विलंब से शुरू हुआ।
बताते हैं कि हाल को खाली देखकर हड़बड़ाए प्रदेश के सहप्रभारी नितिन नबीन ने प्रभारी ओम माथुर को इसकी सूचना दी, और फिर माथुर ने प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव व महामंत्री पवन साय से बात कर नाराजगी जताई। इसके बाद लोगों की आवाजाही शुरू हुई, और फिर एक घंटे विलंब कर अमित शाह, और अन्य प्रमुख नेता कार्यक्रम स्थल पहुंचे, और फिर कार्यक्रम शुरू हो पाया।
दिलचस्प बात यह है कि कार्यक्रम स्थल पूर्व मंत्री राजेश मूूणत का विधानसभा क्षेत्र रहा है, और आसपास दसियों हजार युवा मतदाता, कॉलेज-यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राएं रहते हैं। खुद मूणत का निवास स्थान कार्यक्रम स्थल से महज डेढ़ किमी की दूरी पर है। ऐसे में लोगों की कम उपस्थिति को देखकर उनकी चुनाव तैयारियों, और जीतने की क्षमता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं, या फिर माना जा रहा है कि उन्होंने खुद को आरोप पत्र के लांचिंग कार्यक्रम की व्यवस्था से अलग-थलग रखा है।
न सिर्फ मूणत बल्कि पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल पर भी उंगलियां उठ रही है। जो कि अपनी नुक्कड़ सभा में इससे ज्यादा भीड़ जुटाने की क्षमता रखते हैं। उनका भी कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर उपेक्षित भाव किसी की समझ में नहीं आया। जबकि इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम के लिए सभागार को भरने की क्षमता तो पार्टी के एक-एक मंडल की है।
पार्टी के जानकार लोग बताते हैं कि ओपी चौधरी को आरोप पत्र लांचिग कार्यक्रम का प्रभारी बनाया गया था। वो सभी को साथ लेकर नहीं चल पाए। उनकी कार्यशैली की वजह से स्थानीय प्रमुख नेता खुद कार्यक्रम से दूर हो गए। आमंत्रण कार्ड भी कई विशिष्ट व्यक्तियों तक नहीं पहुंच पाया, जबकि व्यापारियों, वकीलों, और अन्य बुद्धिजीवियों को भी कार्यक्रम में आमंत्रित कर तामझाम से आरोप पत्र की लांचिंग की योजना बनी थी। कुल मिलाकर आरोप पत्र का लांचिंग कार्यक्रम को लेकर पार्टी नेताओं की काफी किरकिरी हो रही है।
बात यहीं खत्म नहीं हुई। ओपी चौधरी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पहले पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह को भाषण देने के लिए आमंत्रित किया और उन्हें संक्षिप्त उद्बोधन देने के लिए कह दिया। रमन सिंह तो मुस्कुराकर रह गए, लेकिन उनके समर्थकों को चौधरी की बात पसंद नहीं आई।
यह मासूम चूक है, या रिश्ते?
भूपेश सरकार के खिलाफ आरोप पत्र तैयार करने में पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने अहम भूमिका निभाई थी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने उद्बोधन में कई बार उनका नाम भी लिया। मगर आरोप पत्र को लेकर पार्टी के भीतर उनकी आलोचना भी हो रही है।
आरोप पत्र में सीएम से लेकर तमाम अफसरों का जिक्र तो किया है और उनके कार्टून भी कवर पेज पर हैं। लेकिन कोल केस के मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी का नाम तक नहीं था। यही नहीं, कोल घोटाला केस के एक अन्य आरोपी रानू साहू का भी नाम नहीं है। यह कहा जा रहा है कि दोनों के अजय से अच्छे संबंध हैं, इसलिए उनके कार्टून और नाम गायब हैं। अब चूक हुई है या फिर जानबूझकर छोड़ा गया है। या फिर इसमें अजय की कोई भूमिका है, यह स्पष्ट नहीं है लेकिन पार्टी के अंदरखाने में इसकी चर्चा खूब हो रही है।
चिट्ठी में क्या था?
नवा रायपुर में राहुल गांधी के कार्यक्रम में भीड़भाड़ तो अच्छी खासी थी। राहुल काफी खुश भी दिख रहे थे। तभी मौका पाकर मंच पर एक महिला विधायक ने उन्हें नमस्कार कर पत्र थमा दिया।
राहुल ने पत्र को आगे-पीछे देखा और फिर उसे सीएम भूपेश बघेल को दे दिया। महिला विधायक इससे असहज दिखीं। कुछ लोगों का अंदाजा है कि पत्र में सत्ता-संगठन की तारीफ होगी तो ठीक है लेकिन शिकायतें होंगी तो महिला विधायक को समस्या हो सकती है। वजह यह है कि प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया चल रही है, और इसमें सीएम और प्रदेश अध्यक्ष की राय अहम होगी। देखना है कि महिला विधायक की टिकट का क्या कुछ होता है।
पोस्टिंग रद्द होने से बढ़ी मुसीबत
पदोन्नति के बाद पोस्टिंग में भारी भ्रष्टाचार सामने आने पर स्कूल शिक्षा विभाग ने 4000 संशोधित तबादलों को रद्द करने का आदेश दे दिया है। यह आदेश इसलिए भी निकाला गया क्योंकि रिश्वत नहीं दे पाने वाले शिक्षकों को दूर के स्कूलों में जाना पड़ा। इसके खिलाफ वे सडक़ पर उतर आए थे। इधर, संशोधन रद्द होने से प्रभावित होने वाले शिक्षकों का भारी नुकसान हो गया। उन्होंने मनचाही पोस्टिंग पाने के लिए एक लाख रुपये से दो लाख रुपये तक खर्च किए। रकम डूब गई, क्योंकि इस घोटाले में शामिल ज्यादातर लोग सस्पेंड कर दिए गए हैं। रकम लौटाने को लेकर उनका कहना है कि अकेले थोड़े ही खाई है, राजधानी तक रकम पहुंचानी पड़ी है। मीडिया के भी कुछ लोग मोटी रकम लेकर निकलते बने। जिस दलाल के जरिये रकम दी गई, पैसे उसने भी दबा लिए। कुल मिलाकर बंदरबांट हुई। किसी एक के हाथ में पूरी रकम आई ही नहीं। अब रिश्वत के जरिये संशोधित आदेश हासिल करने वाले शिक्षक अपना घर-बाहर जाकर दूर के किसी स्कूल में ज्वाइनिंग दे रहे हैं। रकम तो डूब ही गई, बाहर जाकर नौकरी करने से खर्च अलग से बढ़ जाएगा।
अरुण साव को उतारने की तैयारी
जिस तरह से प्रत्याशियों की पहली सूची में विजय बघेल का नाम सीधे मुख्यमंत्री के खिलाफ आ गया है, यह स्पष्ट है कि कांग्रेस को कड़ी टक्कर देने के इरादे से अपने कई सांसदों को मैदान में उतार सकती है। इनमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और बिलासपुर के सांसद अरुण साव का नाम भी सामने आ रहा है। चर्चा है कि उन्हें बिलासपुर से ही विधानसभा चुनाव लड़ाने की योजना बनाई जा रही है। दलील यह दी जा रही है कि साव के लडऩे से बिलासपुर, मुंगेली और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के उन ओबीसी मतदाताओं को जोड़ा जा सकेगा, जो इस धान उत्पादक क्षेत्र में कांग्रेस सरकार की नीतियों से लाभ उठा रहे हैं। पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल पिछले चुनाव में 11 हजार मतों से परास्त हुए थे। पिछले महीने भाजपा ने 162 नेताओं की 16 विभिन्न समितियां बनाई थी। इनमें से वित्त समिति के संयोजक अमर अग्रवाल बनाए गए हैं। तभी से माना जा रहा है कि उन्हें दोबारा बिलासपुर से टिकट देने की संभावना क्षीण हो चुकी है। बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र में अमर अग्रवाल कुछ महीने पहले से सक्रिय हो चुके थे। उन्होंने हर एक वार्ड का भ्रमण किया और आंदोलन भी किए। वित्त समिति का प्रभार मिलने के बाद यहां उनकी व्यस्तता कम हो गई है। हालांकि कोटा विधानसभा में संभावना बनी हुई है, जहां से भाजपा कभी नहीं जीत पाई है।
दूसरी तरफ यह संकेत है कि बिलासपुर के कांग्रेस विधायक शैलेष पांडेय की टिकट नहीं काटी जाएगी। पहली बार बिलासपुर शहर से टिकट के लिए कम आवेदन संगठन को दिए गए हैं। बिलासपुर से लगी सामान्य सीट कोटा, बेलतरा और बिल्हा सीटों से दावेदारी अधिक है। अरुण साव और शैलेष पांडेय आमने-सामने होंगे तो मुकाबला दिलचस्प और कड़ा हो सकता है।
कार को कुचलती साइकिल
संदेश देने का यह एक रचनात्मक ढंग है। तस्वीर सीधी है तो एक शख्स साइकिल चलाते दिखता है, जो बिगड़ते पर्यावरण का समाधान है। उल्टी करेंगे तो यह कार बन जाती है जिसका धुआं प्रदूषण फैलाता है। और व्यक्ति उसके नीचे आ जाता है। (सोशल मीडिया पर मिली एक तस्वीर)