राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : परिवारवाद ??
03-Oct-2023 4:36 PM
राजपथ-जनपथ : परिवारवाद ??

परिवारवाद ??

चुनाव में भाजपा परिवारवाद के आरोपों से घिर सकती है। पूर्व सीएम डॉ.रमन सिंह, और उनके भांजे विक्रांत सिंह राजनांदगांव, और बगल की सीट खैरागढ़ से चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। इस मसले पर सीएम भूपेश बघेल के आरोप पर पूर्व सीएम को यह कहकर सफाई भी देनी पड़ी कि  परिवार और रिश्तेदार में फर्क होता है। मगर दूसरी सूची में भी कुछ इसी तरह की झलक देखने को मिल सकती है। 

खबर है कि दिवंगत पूर्व केन्द्रीय मंत्री दिलीप सिंह जूदेव के बेटे प्रबल प्रताप सिंह, और बहू संयोगिता सिंह जूदेव का नाम क्रमश: कोटा और चंद्रपुर सीट से है। संयोगिता, प्रबल के बड़े भाई दिवंगत संसदीय सचिव युद्धवीर सिंह की पत्नी है। युद्धवीर दो बार चन्द्रपुर से विधायक रहे हैं। संयोगिता पिछली बार चुनाव मैदान में थी लेकिन वो तीसरे नंबर पर चली गई। अब चर्चा है कि भाजपा के खिलाफ परिवारवाद का आरोप बुलंद हो सकता है। देखना है कि आगे क्या होता है। 

उल्लू का मतलब ?

अंबिकापुर के भाजपा कार्यालय में तीन दिन पहले उल्लू बैठा मिला। पार्टी के एक प्रमुख पदाधिकारी ने उल्लू को कैमरे में कैद कर फेसबुक  पर पोस्ट किया। इसके बाद से चुनावी माहौल के बीच पार्टी के अंदरखाने में शुभ-अशुभ को लेकर बहस छिड़ी हुई है। 

उल्लू को देवी लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। और इसको लेकर  धार्मिक मान्यताएं भी हैं। उल्लू का रंग सफेद था, और सफेद उल्लू को देखना सकारात्मक समाचारों का सूचक माना जाता है। मगर उल्लू घर आ जाए तो हानिकारक माना जाता है। इससे घर की उन्नति रुक जाती है। 

पार्टी के भीतर चर्चा यह है कि अंबिकापुर सीट जब से सामान्य हुई भाजपा प्रत्याशी के हार का अंतर लगातार बढ़ता रहा है। स्थानीय स्तर पर टिकट को लेकर काफी घमासान मचा हुआ है। पार्टी की जो सूची लीक हुई है, उसमें अंबिकापुर को होल्ड पर रखा गया है। और अब तो उल्लू भी आ गया है। देखना है आगे क्या होता है।

लिस्ट आई, नाराजगी लाई 

भाजपा की सूची लीक होते ही असंतुष्ट नेताओं का गुस्सा फट पड़ा है। रायपुर की एक सीट से टिकट के दावेदार पूर्व विधायक ने तो एक प्रमुख नेता के घर जाकर धमका भी दिया है। 

पूर्व विधायक ने साफ तौर पर कह दिया है कि टिकट चेंज नहीं किया गया तो 22 सीटों पर पार्टी को नुकसान उठाना पड़ेगा। पूर्व विधायक के तेवर देखकर नेताजी भी तैश में आ गए। उन्होंने पूर्व विधायक को यह कह दिया कि जो चाहे करें, मैं इस मामले में बिल्कुल भी हस्तक्षेप नहीं करूंगा। 

पूर्व विधायक के समर्थकों ने आगे की रणनीति तैयार करने के लिए बैठक बुलाई है। उन पर निर्दलीय चुनाव लडऩे के लिए दबाव भी है। देखना है आगे क्या होता है। 

बाबा की चेतावनी का क्या होगा?

कांग्रेस में टिकट को लेकर हड़बड़ी नहीं है। संकेत है कि नवरात्र के पहले दिन सभी 90 नाम घोषित किए जा सकते हैं। जिनकी टिकट तय हो गई, उन्हें बता भी दिया गया है। कई विधायक, जिनकी टिकट खतरे में बताई जा रही थी उनमें से कुछ का नाम तकरीबन तय माना जा रहा है। 

बालोद जिले के तीनों सीट से मौजूदा विधायकों को रिपीट किया जा रहा है। उन्हें बता भी दिया गया है। इसी तरह सरगुजा के तेज तर्रार नेता को बाबा के विरोध के बावजूद आश्वस्त कर चुनाव तैयारी में जुट जाने के लिए कहा गया है। कांग्रेस में कुछ जगहों पर दिग्गज नेता एकमतेन नहीं है। देखना है कि आगे क्या होता है।

रिजेक्टेड अब एक्सेप्ट कैसे होंगे?

भाजपा के संभावित प्रत्याशियों की कल लीक हुई सूची यदि अंतिम है तो उन नामों को लेकर प्रदेश मुख्यालय से लेकर मंडल इकाई तक नाराजगी, मायूसी फैल गई है। कल सुबह तक जो हलचल थी वह तूफान के बाद की शांति जैसे खामोश हो गई है। इन संभावित नामों को लेकर छिद्रान्वेषण ज़ोरों पर है। संगठन के लिए काम कर रहे महामंत्रियों, प्रभारियों के कुछ करीबियों ने ठाकरे परिसर में एकजुट होकर चिंतन, मनन नहीं चिंता व्यक्त की। उनके बीच पहली लाइन थी- जिनके कारण 67 सीटें हारे, जो रिजेक्ट किए गए वे फिर कैसे एक्सेप्ट होंगे। 

दूसरा सूची के नजरिए से इस बार भी हासिल 2018 ही होगा। तीसरा कि यह सूची सिंह, दो-वेदी , चार-वेदी ,जैसे राजनीतिक एजेंट की है। जो कोई काम फ्री में नहीं करते। चौथा यह कि प्रभारी जहां जहां प्रभार में रहे वहां के नतीजे यहां रिपीट होंगे। पांचवा यह कि सरकार से गोपनीय समझौते की सूची है। छटवां यह कि अब काम करवा लें कार्यकर्ताओं से। सातवाँ  यह कि जब एक दिन सूची रूक गई है तो बदलाव होना ही चाहिए।

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