राजपथ - जनपथ
लीक हुई सूची, और तैयारी
भाजपा में प्रत्याशियों की सूची लीक होने के बाद भले ही नए सिरे से नामों को लेकर मंथन चल रहा है, लेकिन कुछ जगहों पर तो प्रभावशाली नेताओं ने ताकत दिखाने का मन बना लिया है।
प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव कह चुके हैं कि पार्टी ने अधिकृत तौर पर कोई सूची जारी नहीं की है। लीक हुई सूची के नामों को भी उन्होंने खारिज किया है। बावजूद इसके पार्टी दफ्तर में प्रदर्शन के लिए रोजाना सैकड़ों की संख्या में कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं। ये कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों से प्रत्याशी बदलने की मांग कर रहे हैं। अब तक एक दर्जन से अधिक क्षेत्रों में बवाल मचा हुआ है।
दूसरी तरफ, कई प्रभावशाली नेता सूची देखकर इतने ज्यादा नाराज हैं कि उन्होंने निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का मन बना लिया है। राजनांदगांव जिले के एक पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने बकायदा अपने समर्थकों की बैठक ली, और उसमें निर्दलीय चुनाव लडऩे की रणनीति पर चर्चा की। पार्टी के कई नेता मानते हैं कि दर्जन भर क्षेत्रों में कई स्थानीय नेता पार्टी छोडकऱ निर्दलीय चुनाव मैदान में कूद सकते हैं। पार्टी बागियों को मनाने के लिए क्या कुछ करती है, यह यह देखना होगा।
पीएससी और राजनीति
चर्चा है कि पीएससी में चेयरमैन पद पर सचिव स्तर की अफसर रीता शांडिल्य को बिठाने पर विचार किया गया है। रीता पहले भी पीएससी में रह चुकी हैं, और उनकी साख अच्छी है। मगर राजनीतिक समीकरण को देखकर डॉ.प्रवीण वर्मा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है।
डॉ. वर्मा बेमेतरा के रहने वाले हैं, और उनके पिता डॉ.चेतन वर्मा तीन बार बेमेतरा के विधायक रह चुके हैं। डॉ.प्रवीण वर्मा खुद टिकट के दावेदार थे मगर पार्टी ने मौजूदा विधायक आशीष छाबड़ा को रिपीट करने का मन बनाया है। ऐसे में वर्मा से जुड़े लोगों को साधने की नीयत से उन्हें पीएससी की कमान सौंपी गई है। डॉ. वर्मा पीएससी में सदस्य के पद पर थे। इसका चुनाव में क्या कुछ असर होता है, यह देखना है।
अनुपम और हबीब की याद
पिछले साल की बात है, गांधी जयंती पर सरकार ने कई आयोजन किए थे। इसमें गांधीवादी नेताओं को भी याद किया गया। ऐसे ही गांधी शांति प्रतिष्ठान के अनुपम मिश्र, जिनकी अनमोल कृति आज भी खरे हैं तालाब है। राज्य सरकार भी नरवा मिशन के माध्यम से जल संरक्षण का अभियान चला रही है। ऐसे में सरकार ने घोषणा कर दी कि अनुपम मिश्र के नाम पर जल संरक्षण का कार्य करने वालों को पुरस्कृत किया जाएगा। इसी तरह रंगकर्मी हबीब तनवीर के नाम पर भी पुरस्कार की घोषणा कर दी गई। इसे इस साल 2 अक्टूबर को प्रदान किया जाना था लेकिन इसकी याद नहीं आई, न तो संस्कृति विभाग के अधिकारी और न नेता को। आखिर गांधी जयंती पर श्रद्धासुमन भेंट करके औपचारिकता निभा ली गई।
कॉलेज और जन्मदिन
शहर के एक नामचीन शिक्षा महाविद्यालय में बर्थ डे सेलिब्रेशन की धूम रही। सुबह कॉलेज शुरू होने से दोपहर तक हैप्पी बर्थडे मैम, हैप्पी बर्थडे मैम गूंजता रहा। और मैडम को बुके देकर मुंह मीठा कराया जाता रहा। बुके की साइज और उसमें जड़े फूलों की वेरायटियां यह जता रहीं थीं कि कौन कितना करीब है मैडम के। वैसे आयोजन ही करीबियों ने रखा था। वे तो चाहते थे कि सेलिब्रेशन सेमीनार हॉल में हो। लेकिन मैडम तैयार नहीं हुई और उनके ही कक्ष में मना। मैडम को सरप्राइज देने कक्ष को कल शाम से ही सजाया जाने लगा। और आज सुबह केक कटिंग के साथ पेपर शॉट भी फोड़ा गया। मैडम के साथ सेल्फी से लेकर ग्रुप फोटो सेशन भी चले। कॉलेज में मैडम का तीसरा हैप्पी बर्थडे है। हर साल आयोजन एक पायदान उपर ही बढ़ता रहा है। जब तक आयोजन चला, शिक्षक और कक्षा के बीच दूरी बनी रही। छात्राएं भी टीचर का इंतजार करतीं रहीं ।