राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : वापिसी की तैयारी
07-Dec-2023 6:53 PM
राजपथ-जनपथ : वापिसी की तैयारी

वापिसी की तैयारी

सीएम कौन बनेगा, ये अभी स्पष्ट नहीं है। दिल्ली में भाजपा के रणनीतिकार इस पर मंथन कर रहे हैं। मगर सीएम, और मंत्री स्टाफ में जगह पाने के लिए अफसरों-कर्मचारियों में होड़ मच गई है। रमन मंत्रिमंडल के स्टाफ में रहे अफसर-कर्मचारी ज्यादा सक्रिय हैं। पार्टी के भीतर आम धारणा रही है कि अपने स्टाफ की वजह से मंत्री ज्यादा बदनाम हुए थे। लोगों के बीच छवि भी खराब हुई। अब चर्चा है कि एक-दो रिटायर्ड अफसरों ने मंत्रिमंडल के गठन के पहले ही अपनी जगह पक्की कर ली है।

सुनते हैं कि स्कूल शिक्षा विभाग के एक कुख्यात पूर्व अफसर की मंत्री स्टाफ में वापसी हो सकती है। अफसर रिटायर होने के बाद अपना स्कूल चला रहे हैं, लेकिन मंत्री स्टाफ का मोह नहीं छूट रहा है। वो रमन सरकार में तीन मंत्रियों के स्टाफ में रहे हैं। ये पूर्व मंत्री अब चुनाव जीतकर आ गए हैं। सभी का मंत्री बनना भी तय माना जा रहा है। अफसर ने भी मंत्री बनने से पहले तीनों से मुलाकात कर ली है। हालांकि संघ के पदाधिकारी रमन सरकार में बदनाम रहे अधिकारी कर्मचारियों की वापसी न हो, यह सुनिश्चित करने में लगे हैं। देखना है कि आगे क्या कुछ होता है।

अब क्या होगा?

कोल स्कैम केस में जेल में बंद सीएम की पूर्व ओएसडी सौम्या चौरसिया की जमानत अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो चुकी है। कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रखा है। सौम्या पिछले एक साल से जेल में बंद है। उनकी जमानत अर्जी हाईकोर्ट ने पहले ही खारिज कर दी थी।

भूपेश सरकार में ताकतवर रहीं सौम्या को लेकर सोशल मीडिया पर काफी कुछ लिखा जा रहा है। भाजपा नेता उज्जवल दीपक ने एक्स पर सौम्या का नाम लिखे बिना पोस्ट किया कि सुनने में आ रहा है कि जेल के स्पेशल कमरे से साधारण वाले बैरक में शिफ्टिंग की तैयारी हो गई है? होटल का खाना, बाहर विचरण, बार-बार अस्पताल जाना सब बंद होने जा रहा है। उन्होंने आगे लिखा कि सरकार के जाने की किसी को आशंका नहीं थी। इतना ओवर कॉन्फिडेंस था। ये बड़ा सबक है। उनके लिए जो कम समय के पॉवर के नशे में चूर होकर मदमस्त हो जाते हैं।

अतिउत्साह

शासन-प्रशासन में सीएम, और मंत्रियों के नामों को लेकर काफी उत्सुकता देखी जा रही है। राजभवन के एक उत्साही अफसर ने तो एक पूर्व मंत्री से फोन कर पूछ लिया कि शपथ ग्रहण समारोह कहां होगा? पुलिस परेड ग्राउंड में अथवा साइंस कॉलेज मैदान में।

पूर्व मंत्री ने जिस अंदाज से अफसर को जवाब दिया, उसकी खूब चर्चा हो रही है। पूर्व मंत्री ने अफसर से ही पूछ लिया कि शपथ कौन ले रहा है? इससे हड़बड़ाए अफसर ने इधर-उधर की बातें बनाकर पिंड छुड़ाया।

दरअसल, राज्यपाल का काम शपथ दिलाना होता है। शपथ ग्रहण समारोह कहां होगा, यह काम सामान्य प्रशासन विभाग, नवनिर्वाचित विधायकों के नेता से चर्चा कर तय करते हैं। मगर जिस अंदाज में राजभवन के अफसर उत्सुकता दिखा रहे थे, वह पूर्व मंत्री को नहीं भाया।

नए माथे पर परेशानी

शपथ से पहले ही नई सरकार के समक्ष किसानों की चिंता ने आ घेरा है। मिचौंग तूफान से सरकार के सिर पर ओले पड़ते नजर आ रहा है । बीते तीन दिन से अगले तीन दिन तक बादल बारिश बनी रहेगी। सरकार बनते ही 3100 रुपए में 21 क्विंटल और दो साल का बोनस झोंकने का इंतजार कर रहे किसानों के माथे पर बल पड़ गए हैं। धान मिसाई कर बेचने की तैयारी कर चुके किसानों की फसल के सडऩे की आशंका खड़ी हो गई हैं। खरीदी केंद्रों में तालपत्री की व्यवस्था न कर पाने वाला प्रशासन भला खेतों पड़ी फसल को बचाने क्या कर पाएगा ? 25 तारीख से बोनस बांटने से पहले राजस्व पुस्तिका की धारा - 4 के तहत नुकसान की भरपाई का इंतजाम करना होगा।

नगरीय निकायों में किनकी जाएगी कुर्सी?

नई सरकार के गठन के बीच शहरी सरकार में भारी उठापटक देखने को मिल रही है। कांग्रेस ने महापौर, नगर पालिका व नगर पंचायतों के अध्यक्षों के प्रत्यक्ष निर्वाचन का प्रावधान बदल दिया था। इन्हें पार्षदों के बहुमत से चुना गया था। प्रावधान भी यही है कि पार्षदों के बहुमत से इन्हें हटाया जा सकता है, रि कॉल की व्यवस्था खत्म कर दी गई थी।

प्रदेश के रायपुर, दुर्ग, धमतरी, जगदलपुर, राजनांदगांव,  चिरमिरी, रायगढ़, बिलासपुर, अम्बिकापुर और कोरबा नगर निगमों में जनवरी 2021 में तथा बिरगांव, रिसाली, भिलाई, भिलाई-चरौदा और रिसाली में जनवरी 2022 में महापौर चुने गए थे। कांग्रेस के पास अधिकांश नगर-निगमों में पार्षदों का बहुमत था, पर जहां नहीं था, निर्दलियों को साथ लिया गया। जैसे बीरगांव में। यहां भाजपा को जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के पांच पार्षदों का समर्थन मिला लेकिन निर्दलीय पार्षद कांग्रेस के साथ चले गए थे। अभी प्रदेश के इन सभी नगर निगमों में कांग्रेस महापौर हैं। भाजपा ने महापौर का प्रत्यक्ष निर्वाचन खत्म करने का विरोध किया था। उसे लगता था कि सीधे चुनाव से कुछ सीटें उसके पास आ सकती है। नई सरकार अब नियमों में फिर संशोधन करेगी या नहीं, यह तो बाद में मालूम होगा लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं ने अभी से महापौरों को हटाने की मुहिम शुरू कर दी है। रायपुर में एजाज ढेबर ने निश्चिंत होने का दावा किया है, पर भाजपा के सूत्र कहते हैं कि 10 कांग्रेस पार्षदों का उन्हें साथ मिलने वाला है। कोरबा में अगस्त महीने में भाजपा पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव का आवेदन दिया था, पर कुछ तकनीकी कारणों से वह मंजूर नहीं हुआ। अब वहां फिर से आवेदन लगाने की तैयारी हो रही है। धमतरी जैसे नगर-निगम भी हैं, जहां भाजपा के 19 और कांग्रेस के 21 पार्षद चुने गए थे। कांग्रेस ने एक को पार्टी से निष्कासित कर दिया है। भाजपा कुछ और कांग्रेस पार्षदों के टूटने का दावा कर रही है। राजनांदगांव में भी अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए आवेदन दिया गया था। भाजपा का आरोप है कि उस आवेदन पर सत्ता पक्ष के दबाव में कार्रवाई नहीं की गई। कुछ ऐसा ही माहौल दूसरे नगर-निगमों में भी है, जहां महापौर का ढाई साल पूरा हो चुका है। नगर पालिकाओं पर भी नजर है। मुंगेली में 13 लाख रुपये के नाली निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोप में भाजपा के नगरपालिका अध्यक्ष संतूलाल सोनकर को बर्खास्त कर दिया गया था। फिर नया चुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस ने भाजपा पार्षदों के वोट भी हासिल किए थे। अब वहां भी भाजपा चाहती है कि कांग्रेस को बेदखल किया जाए।

बाकी चीजें प्रक्रियाओं में उलझ जाए पर जमीनी शहरी कार्यकर्ताओं को जल्दी से जल्दी पद बांटने का सिलसिला शायद एल्डरमेन की नियुक्तियों से हों। नगर निगम से लेकर नगर पंचायत तक इनकी नियुक्ति स्थानीय विधायकों और कांग्रेस संगठन की सिफारिशों पर हुई थी। यदि ये इस्तीफा नहीं देते हैं तो बिना कोई वजह बताए सरकार इनकी नियुक्ति रद्द कर सकती है और भाजपा कार्यकर्ताओं को बिठा सकती है।

नई सरकार रोकेगी चाकूबाजी...?

ग्रामीण इलाकों में स्कूल कॉलेज जाने वाली लड़कियों को आते-जाते कैसा महसूस होता होगा, यह एक साथ सामने आई दो घटनाओं से समझ सकते हैं। बिलासपुर जिले के कोटा में एमए पढ़ रही एक छात्रा पर सिरफिरे आशिक ने चापड़ से हमला किया। वह छात्रा से शादी की जिद कर रहा था, छात्रा नहीं मान रही थी। कॉलेज से घर जाते पहाड़ी रास्ते पर उस पर चापड़ से वार कर दिया। छात्रा गंभीर रूप से घायल है, अस्पताल में है। जशपुर में एक 17 साल की स्कूली छात्रा पर चाकुओं से एक युवक ने हमला कर घायल कर दिया। वह भी छात्रा से एकतरफा प्रेम करता था। लडक़ी के न कहने से उसने इस वारदात को अंजाम दिया। दोनों घटनाओं में यह बात सामने आई है कि आरोपी लडक़े लगातार उसे तंग करते थे लेकिन उनके परिवार के लोगों को तथा टीचर्स को इस बारे में मालूम नहीं था। स्कूल कॉलेजों में मुश्किल से सिर्फ ही पढ़ाई होती है। निजी संवाद खत्म सा है।

कोटा की घटना में जिस चापड़ से हमला किया गया, पता चल रहा है कि इसे ऑनलाइन मंगाया गया। राजधानी रायपुर में चाकू और दूसरे हथियार मंगाने की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। यह पूरे प्रदेश में हो रहा है। एक मोबाइल फोन रखकर आसानी से इसका ऑर्डर किया जा सकता है। रायपुर पुलिस ने ऑनलाइन शॉपिंग ऐप को कई बार लिखा है कि इसकी आपूर्ति नहीं करें, पर यह रुका नहीं है। शायद पुलिस के पास इसे रोकने के पर्याप्त कानून अधिकार न हों। भाजपा ने चाकूबाजी की घटनाओं को सरकार की नाकामी बताकर चुनावी मुद्दा बनाया था। अब उसके सामने चुनौती है कि ऐसी घटनाओं को कैसे रोकें। यह तो तय है कि सिर्फ पुलिस को अलर्ट करने से बात नहीं बनेगी।

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