राजपथ - जनपथ
माशिमं परीक्षा तारीख कब ?
10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षाओं के लिये माध्यमिक शिक्षा मंडल ने आवेदन तो जमा करा लिये हैं पर परीक्षाओं की तारीख अब तक तय नहीं हुई है। लिखित परीक्षा तो दूर, आम तौर पर दिसम्बर जनवरी में हो जाने वाली प्रायोगिक परीक्षाओं की तारीख घोषित नहीं की गई। अभिभावकों के अलावा बच्चों की चिंता बढ़ती जा रही है। इस बार कोरोना संकट देखते हुए परीक्षा केन्द्रों में व्यापक स्तर पर तैयारी करनी है। सभी स्कूलों को सेंटर बनाने की घोषणा पहले से की जा चुकी है ताकि डिस्टेंस के साथ बच्चों को बिठाया जा सके। शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि 8-10 माह से स्कूलों के बंद रहने के कारण विभाग के लोगों में खुमारी सी आ गई है। उन्हें रिचार्ज करने में समय लग रहा है। अनेक शिक्षकों ने जहां वैकल्पिक पढ़ाई के लिये जोर-शोर से भागीदारी निभाई तो कई अभी भी स्कूल और ऑफिस आने से बच रहे हैं।
मुन्ना भाईयों को रोकने की कवायद...
एक तरफ छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल की परीक्षा की तैयारी धीमी है तो दूसरी तरफ सीबीएसई ने न केवल तारीख घोषित कर दी बल्कि कुछ नये प्रयोग करने जा रही है। 10वीं-12वीं बोर्ड परीक्षा 4 मई से शुरू होकर 10 जून तक चलेगी। नतीजे भी 10 जुलाई के पहले घोषित करने का निर्णय लिया जा चुका है। मार्च में प्रैक्टिकल परीक्षायें हो जायेंगीं। यह फिजिकल उपस्थिति के साथ होगी। इन सबसे आगे बढक़र तय किया गया कि परीक्षा हाल में बायोमैट्रिक उपस्थिति दर्ज की जायेगी। हर साल ऐसे बहुत मामले सामने आते थे जिनमें वास्तविक परीक्षार्थी की जगह दूसरे लोग परीक्षा देने चले आते थे। एडमिशन कार्ड की फोटो ही पहचान का जरिया रहा है। इसकी जरूरत तो छत्तीसगढ़ की बोर्ड परीक्षाओं में भी है, क्योंकि यहां तो शिक्षक अपने चहेते विद्यार्थियों की पूरी उत्तर पुस्तिका तैयार कर टॉपर तक बना चुके हैं।
शराब दुकान में महाराष्ट्र की बीयर!
छत्तीसगढ़ में शराबबंदी का वादा पूरा करना राज्य सरकार के लिये गले की फांस बन गया है। दूसरे राज्यों का अध्ययन करके टीम आ गई, पर उसने क्या रिपोर्ट दी, कैसे अमल करना है कुछ तय नहीं हो सका। सरकार को आये दिन इस मुद्दे पर विपक्ष घेरता है। आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने एक बार इशारा किया था कि चुनाव के चार-छह महीने पहले रोक लगा देंगे। बिहार में सुशासन लाने के लिये नीतिश कुमार सरकार ने वादा निभाया, पर चुनावों में उन्हें लाभ तो हुआ नहीं। इस बार तो वोट देते समय लोगों ने भुला ही दिया कि कभी उन्होंने शराब बंद करने का कड़ा फैसला लिया था। अपने छत्तीसगढ़ में महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पंजाब से कहीं अधिक महंगी शराब मिलती है और मनपसंद ब्रांड भी नहीं मिलते। इसके चलते तस्करी बढ़ गई। दूसरे राज्यों में शराब बिक्री ठेकेदारों के हवाले है, जिन पर ज्यादा शराब खपाने का दबाव है। इसके चलते छत्तीसगढ़ लाकर माल खपाया जा रहा है। बीते दिनों सीआरपीएफ के एक जवान को स्विट्जरलैंड और पंजाब की शराब के साथ पकड़ा गया। पर राजधानी में तो हद ही हो गई। रेलवे स्टेशन की शराब दुकान में ‘सेल फॉर महाराष्ट्रा स्टेट’ बीयर बेची जा रही थी। आबकारी अधिकारियों को जवाब नहीं सूझ रहा है, कह रहे हैं गलती से आ गई होगी। जब राजधानी में यह हाल है तो दूसरे जिलों और दूर दराज की शराब दुकानों का क्या हाल होगा?