राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जनता कैसा सहयोग करे?
11-Mar-2022 5:46 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : जनता कैसा सहयोग करे?

जनता कैसा सहयोग करे?

छत्तीसगढ़ में सरकार किसी भी पार्टी की रही हो, वन विभाग सबसे भ्रष्ट विभाग हमेशा ही बने रहा। यहां एक-एक ट्रांसफर-पोस्टिंग का सबसे ऊंचा रेट चलते रहा, सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में क्षतिपूर्ति-वृक्षारोपण का जो कैम्पा मद इक_ा किया गया था उसमें भ्रष्टाचार भयानक पैमाने पर जारी रहा, लेकिन यह विभाग सत्ता के साथ-साथ विपक्ष को भी पालते आया, और साधते आया। इसीलिए इसके सबसे भ्रष्ट लोग हमेशा ही सबसे ताकतवर रहते आए, और उनके खिलाफ तमाम शिकायतें सत्ता और विपक्ष मिलकर दबाते रहे।

अब ऐसा विभाग जब राजधानी में दीवारों पर ऐसी तस्वीरें बनवाता है कि लोग राज्य के राजकीय पशु वनभैंसे के संरक्षण और संवर्धन में सहयोग करें, तो लोग हैरान होते हैं कि इस काम में जनता क्या कर सकती है? इस काम में तो नर और मादा वनभैंसों के अलावा किसी का अधिक किरदार है नहीं। और इन वनभैंसों के नामों पर भी लंबा-चौड़ा भ्रष्टाचार करने वाला वन विभाग जब सार्वजनिक जगहों पर दीवारों पर लोगों से सहयोग की ऐसी अपील करता है, तो वह हैरान करने वाली रहती है। लोगों को लगता है कि विभाग के डीएफओ की कुर्सी पर रेंजर को देखते हुए अगर लोग चुप हैं, तो इससे अधिक योगदान वे और क्या कर सकते हैं? जिस तरह पूरे देश में किसी भी राज्य में डीएफओ की कुर्सी पर गैरआईएफएस बैठाने का रिकॉर्ड छत्तीसगढ़ के नाम जाता है, उससे भी लगता है कि वनभैंसे का आत्मविश्वास खत्म हुआ होगा, और प्रजनन शक्ति भी। अब इसमें आम जनता कैसा सहयोग कर सकती है, यह बात वन विभाग को बतानी चाहिए।

कभी ऐसा कुछ खाया है?

सोशल मीडिया पर कई तरह के लतीफे चलते हैं, जिनमें से यह भी है कि चाइनीज व्यंजनों के नाम पर भारत में जिस तरह की चीजें बनाई और खिलाई जाती हैं, उनसे खफा होकर चीनियों ने हिन्दुस्तान पर कोरोना छोड़ा था। लेकिन खुद हिन्दुस्तान के भीतर एक-दूसरे इलाके के व्यंजन अपने स्थानीय तरीकों में ढालकर बनाए जाते हैं, वह भी देखने लायक रहता है। अभी राजस्थान में हुई एक कांफ्रेंस में छत्तीसगढ़ के लोगों को पहली बार रागी के बने हुए गुपचुप खाने मिले जिसमें आम खट्टे पानी की जगह अनार का रस भरकर पिलाया जा रहा था। इसी के साथ-साथ शिमला मिर्च का हलुवा भी था। अब भारत के विविधता वाले प्रदेशों में खान-पान की ऐसी विविधता देखने लायक रहती है। अब दूसरे देश के व्यंजनों से अगर हिन्दुस्तान नूडल-गुपचुप बनाता है, तो उसका मतलब कोरोना को न्यौता देना नहीं है।

ताकत देखिये, नतीजा नहीं

सन् 2018 के चुनाव में ऐतिहासिक जीत दिलाने में अहम् भूमिका निभाने वाले छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी व राष्ट्रीय महासचिव पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया को तीसरी बार हार का सामना करना पड़ा। आईआईटी रूडक़ी से इंजीनियर तनुज ने विदेश में लाखों की नौकरी का पैकेज छोडक़र उन्होंने अपने पिता के पुराने कर्मक्षेत्र बाराबांकी जिले से पहला संसदीय चुनाव लड़ा। यहां से पुनिया सांसद रह चुके हैं। इसके बाद सन् 2019 के इसी इलाके के जैदपुर विधानसभा से उप-चुनाव लड़ा। इस बार फिर वे हार गये। टक्कर में भी नहीं थे। वहां सपा के प्रत्याशी ने मामूली अंतर से भाजपा को हराया।

वैसे, जो लोग छत्तीसगढ़ में पिछली बार प्रदेश कांग्रेस को ओवरटेक कर पुनिया के रास्ते टिकट लेकर आये थे, उन्हें यूपी का चुनाव परिणाम देखकर निष्ठा डिगाने की जरूरत नहीं। यदि वे पुनिया के विश्वासपात्र हैं तो बने रहना ही ठीक रहेगा। हाईकमान में उनकी पकड़ का पता चलता है। बहुत कम कांग्रेस नेता हैं जो बार-बार हारने के बाद भी पसंद की टिकट पक्की करा पाते हैं। 

होली भी तो छत्तीसगढिय़ा हो..

होली को अब पारंपरिक तरीके से मनाने वाले कम होते जा रहे हैं। जिन गांवों में कई दिन पहले से फाग शुरू हो जाता है वहां भी डीजे बजने लगे हैं। पर बहुत से लोग हैं जो अब भी नगाड़े के बिना होलिका दहन और रंगोत्सव को फीका समझते हैं। राजनांदगांव के डोंगरगढ़ अंचल में बहुत से लोग नगाड़ा बनाने के व्यवसाय से जुड़े हैं। कोरोना संक्रमण के चलते दो साल तक ठीक तरह से होली मनाई नहीं जा सकी। फाग टोलियों के एकत्र होने पर भी रोक लगी हुई थी। इस बार माहौल तो अनुकूल है, पर डीजल-पेट्रोल के कारण हर चीज महंगी हुई है। नगाड़े में इस्तेमाल किये जाने वाले चमड़े भी। नगाड़े के साथ पर्व मनाने वाली पीढ़ी भी अब बदल रही है। फिर भी पुश्तैनी काम है, छोड़ नहीं पा रहे हैं। कुछ कमाई होने की उम्मीद बनी रहती है। रायपुर, बिलासपुर और दूसरे शहरों के पुराने बाजारों में इनकी मौजूदगी आपको इन दिनों दिखाई दे सकती है। अब छत्तीसगढ़ सरकार तो राज्य के कई तीज-त्यौहारों और कला को संरक्षण देने में लगी हुई है, क्या ऐसा नहीं होना चाहिये कि इन छत्तीसगढ़ की होली को भी जगह-जगह डीजे की जगह नगाड़े के साथ मनाने की कोशिश की जाये। 

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