राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दोनों के हाथों में लड्डू
12-Mar-2022 5:46 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : दोनों के हाथों में लड्डू

दोनों के हाथों में लड्डू

2004-05 और उसके बाद भर्ती किये गये सरकारी कर्मचारी होली के पहले ही गुलाल उड़ा रहे हैं, दिल बाग-बाग है। राज्य के बजट में पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की यह खुशी है। दरअसल, इन अधिकारी-कर्मचारियों की नई स्कीम पेंशन जैसी थी भी नहीं। उनके वेतन से 14 फीसदी की कटौती का प्रावधान है। इतना ही अंशदान सरकार भी दे रही है। इसे जीपीएफ से भी नहीं जोड़ा गया। शेयर बाजार में इसका पैसा एक संस्था एनएसडीएल के जरिये लगाया जा रहा है। शेयर बाजार की उथल-पुथल के आधार पर जमा राशि घट-बढ़ सकती है। सेवानिवृत्ति पर राशि का एकमुश्त भुगतान किया जाएगा। यदि चाहे तो यही राशि मासिक किश्तों में पेंशन के रूप में ली जा सकती है। जाहिर है कि शेयर बाजार में लगाये गये पैसे निकालने पर टैक्स भी कटेगा।

जो सरकारी कर्मचारी 2004 से पहले से सेवा में हैं, उन्हें पुरानी स्कीम के तहत लाभ मिलता है। वेतन से सीधे कोई कटौती नहीं हो रही है। जीपीएफ का प्रावधान है। सेवानिवृत्ति के दिन जो तनख्वाह है, उसका 50 प्रतिशत मासिक मिलना शुरू हो जायेगा। मृत्यु होने पर भी नामिनी को आधी पेंशन मिलती रहेगी। जीपीएफ के ब्याज पर कोई टैक्स भी नहीं लगेगा।

इसी पुरानी योजना को लागू करने के लिये कर्मचारी संगठन लगातार आंदोलन कर रहे थे। सरकार को इस मांग को पूरा करने में इसलिये भी दिक्कत नहीं हुई, क्योंकि योजना के तहत लाभ पाने वाले कर्मचारियों का रिटायरमेंट 2034 से पहले नहीं होगा। तब की तब देखेंगे। फिलहाल 14 प्रतिशत अंशदान तो सरकार नई स्कीम में दे ही रही है, उसे जीपीएफ फंड में डाल दिया जायेगा। यानि सरकार की वाहवाही भी हो गई और जेब से कुछ गया भी नहीं। 

2024 से पहले 2023

मोदी तब भी असरदार थे, जब सन् 2018 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में भाजपा की करारी हार हुई। पर मोदी के होने का असर दिखा लोकसभा चुनावों में, जो कुछ महीने बाद ही हुए। कांग्रेस को अनपेक्षित नतीजे का सामना करना पड़ा। यूपी और दूसरे राज्यों में अभी मिली सफलता से प्रधानमंत्री खम ठोंक रहे हैं कि सन् 2024 में, यानि अगले लोकसभा चुनाव में परिणाम क्या होंगे, यह फैसला जनता ने कर दिया है।

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव इसी साल हैं। दोनों जगह भाजपा की सरकारें हैं। भाजपा सोचकर चल रही है कि वह दोनों में मजबूत पार्टी बनकर उभरेगी। गुजरात के बारे में तो वहां के भाजपा नेता उत्साह से इतने सराबोर हैं कि सभी सीटें जीत लेने का दावा कर रहे हैं। इधर आम आदमी पार्टी के नेताओं ने साफ किया है कि वे गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव लड़ेंगे। छत्तीसगढ़ में भी यह संगठन अपने विस्तार में लगा हुआ है। पिछली बार वह कई सीटों पर थी, मुकाबले में नहीं थी, पर प्रभाव छोडऩे में सफल रही। इस बार उनके सामने पंजाब का नतीजा है।

इन संदर्भों में, माना जा सकता है कि छत्तीसगढ़ में भाजपा की स्थिति चाहे जितनी नाजुक हो पर सन् 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव का नतीजा सन् 2018 की तरह होने वाला नहीं है। मौजूदा कांग्रेस का प्रचंड बहुमत बरकरार रहेगा, यह भी दावा करना मुश्किल है। नई परिस्थितियों में सरकार रिपीट करने के लिये ज्यादा मेहनत की जरूरत पड़ेगी।

जब कांग्रेस चुनाव हार गई...

वे तो दिवंगत दिलीप सिंह जूदेव थे, जिन्होंने जोगी सरकार के दुबारा लौटने पर मूंछें मुंडवा लेने का ऐलान कर दिया था। उनका आकलन तब सही निकला। पर मतदाताओं के मिजाज को तौल पाना हर किसी के वश में नहीं है। कांग्रेस को कम से कम उत्तराखंड और गोवा में तो सरकार बनने की उम्मीद थी। बड़े नेता भी सही अंदाजा नहीं लगा पाये कि नतीजा क्या आने वाला है। मध्यप्रदेश में चुनाव नहीं था, पर यहां के नरसिंहगढ़ के एक ब्लॉक अध्यक्ष बाबू मीणा ने दावा कर दिया। कहा कि पांच में चार राज्यों में कांग्रेस सरकार नहीं बनी तो सिर मुंडवा लेंगे। परिणाम आने के बाद पहले तो वे दायें-बायें करने लगे। पर लोगों ने दबाव बनाया, जब चैलेंज किया था तो उसे निभाओ। शर्त के मुताबिक चौराहे पर बैठकर उन्हें अपना सिर साफ कराना पड़ा।

डरा देने वाला विज्ञापन

फर्ज करें आप अपनी मोबाइल फोन का स्क्रीन अनलॉक करते हैं और दिखाई देता है कि मम्मी के आठ मिस्ड कॉल हैं। यदि किसी की मां हॉस्पिटल में भर्ती हो तो उसे तो अटैक भी आ सकता है। किसी की मां हाल में गुजर गई हो तो दुखी और परेशान हो सकता है। पर यह है एक विज्ञापन। जैसे ही मिस्ड कॉल पर आप प्रेस करेंगे, ओला कैब का विज्ञापन दिखेगा...। मॉम आपको बताना चाह रही है कि आप अगली सवारी में 40 प्रतिशत तक डिस्काउंट ले सकते हैं। मम्मी नहीं चाहती कि आप बाहर खाना खाएं, इसलिये ओला कैब की सवारी कर इस छूट का फायदा लें और जल्दी घर पहुंचें। सोशल मीडिया पर इस विज्ञापन की जमकर आलोचना हो रही है। लोग वैसे ही दिन-रात अनचाहे मेसैजेस और कॉल से परेशान होते रहते हैं, उस पर मार्केटिंग का यह फंडा उन्हें बेहूदा लगा है। लिंक्डइन के सीईओ कार्तिक भट्ट ने लिखा है कि यह कैम्पेन बहुत खराब है। ऐसे प्रमोशन को देखने से वे लोग बुरी तरह घबरा जाएँगे जो अपनी मां से दूर रहते हैं।

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