आजकल
ब्रिटिश राजघराने के राजकुमार प्रिंस हैरी और उनकी गैर गोरी पत्नी मेगन मार्कल ने जब राजघराने से अलग होने की घोषणा की, जब ब्रिटेन से बाहर जाकर अमरीका में बसने की घोषणा की, अपनी राजकीय उपाधियां लौटा दीं, तो वे लोगों को कुछ अलग लगे थे। किसी ने ऐसा सोचा नहीं था कि शाही शान-शौकत को छोडक़र कोई महज संपन्न और आम इंसान की तरह दूसरे देश में जाकर रहना पसंद करेंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा कर दिखाया। वैसे भी यह शादी अपने आपमें अटपटी थी क्योंकि मेगन मार्कल पहले एक बार शादीशुदा रह चुकी थीं, और अश्वेत भी थीं, ये दोनों बातें ब्रिटेन की शाही परंपराओं के साथ माकूल नहीं बैठती थीं। लेकिन इस शाही जोड़े ने और भी कई बातों में आम लोगों की तरह रहना तय किया था, और अपनी संपन्न जिंदगी के बावजूद वे राजघराने की सामंती जिंदगी से परे अमरीका के कैलिफोर्निया में रह रहे हैं। लेकिन अभी एक ऐसी बात हुई जिससे इनके गैरसामंती मिजाज पर एक सवाल उठ खड़ा हुआ है।
मेगन मार्कल ने अभी अमरीकी सरकार में एक अर्जी दी है कि वे अपने पॉडकास्ट के लिए आर्कटाइप (Archetypes) नाम छांट रही हैं, और इस शब्द का इस्तेमाल और लोगों के लिए प्रतिबंधित किया जाए। इस शब्द का मतलब दुनिया भर में समझा जाने वाला एक ऐसा प्रतीक या शब्द, या ऐसा बर्ताव होता है जिसकी कि और लोग नकल करते हैं। यह शब्द आमतौर पर पौराणिक कथाओं से निकली मिसालों में इस्तेमाल होता है। अब मेगन मार्कल ने अपने ऑडियो प्रसारण के पॉडकास्ट के लिए यह नाम छांटा है जो कि प्राचीन ग्रीक भाषा से आया हुआ है, और अंग्रेजी में सन् 1540 से जिसके इस्तेमाल का रिकॉर्ड मिलता है। अब मेगन की अर्जी के मुताबिक बाकी तमाम लोगों को इस शब्द का इस्तेमाल करने से रोका जाए, और इसका ट्रेड मार्क अधिकार उसे दिया जाए।
अमरीका की कारोबारी दुनिया में इस किस्म के कानूनी दावे और उनको मिलने वाली चुनौतियां बहुत आम बात है। लेकिन आर्कटाइप शब्द तो कई दूसरी अमरीकी कंपनियों के नाम में है, उनके सामानों के नाम में है। कुछ कंपनियों के ट्रेडमार्क में यह शब्द पहले से चले आ रहा है, और उनका यह हक बनता है कि वे मेगन मार्कल की इस अर्जी को चुनौती दें। इस बात की जिक्र करने का आज का मकसद महज यह है कि जो नौजवान जोड़ा एक तरफ तो सामंती जिंदगी से बाहर आ चुका है, और दूसरी ओर सैकड़ों बरस से प्रचलन में चले आ रहे एक आम शब्द पर इस तरह का दावा करना कुछ ऐसा ही है कि मानो हिन्दुस्तान में कोई खट्टा-मीठा नमकीन नाम का एक ब्रांड उतार दे, और फिर ऐसे पेटेंट का दावा करे कि कोई और प्रोडक्ट खट्टा-मीठा या नमकीन शब्द का इस्तेमाल न कर सकें।
राजघराने की शान-शौकत से अपने आपको अलग कर लेना भी कोई छोटी बात नहीं थी। दुनिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा राजघराना, उसके परंपरागत ओहदों के साथ इतनी अहमियत जुड़ी हुई है कि उन्हें छोडऩा शायद ही किसी के बस का रहता हो। फिर भी प्रिंस हैरी और मेगन मार्कल ने ऐसा कर दिखाया। लेकिन उनका यह नया दुराग्रह उनके कारोबारी हितों के हिसाब से तो ठीक है क्योंकि अपनी ऑडियो रिकॉर्डिंग को इंटरनेट पर पॉडकास्ट की शक्ल में देने के एवज में इस भूतपूर्व शाही जोड़े को सैकड़ों करोड़ रूपए मिलने जा रहे हैं। इसके लिए जो कारोबारी अनुबंध हुआ है, किसी आवाज के लिए उतना बड़ा अनुबंध कभी हुआ नहीं था। ऐसे में इनका मैनेजमेंट देखने वाले एजेंट तो ऐसा जरूर चाहेंगे कि इनके कार्यक्रम का जो नाम है, उस नाम का इस्तेमाल कोई और न करे, लेकिन जब उसमें हैरी-मेगन की सहमति हो जाती है, तो फिर यह सवाल भी उठता है कि एकाधिकार की ऐसी सामंती चाह क्या जायज है? सैकड़ों बरस से अंग्रेजी भाषा में जो शब्द बना हुआ है, उस शब्द के इस्तेमाल पर इस किस्म के एकाधिकार की सोच भी नाजायज है। हर देश में नामों के इस्तेमाल को लेकर तरह-तरह के रजिस्ट्रेशन होते हैं, अखबारों और पत्रिकाओं के नाम, टीवी चैनलों और वेबसाइटों के नाम अलग-अलग रजिस्टर होते हैं। लेकिन ऐसा कहीं नहीं होता कि किसी एक प्रचलित आम शब्द को लेकर हर किस्म का रजिस्ट्रेशन किसी एक के नाम कर दिया जाए। खासकर तब जबकि उस नाम से पहले ही कुछ कंपनियां चल रही हैं, और कुछ प्रोडक्ट उस नाम से बाजार में हैं।
आज दुनिया का कारोबार इस किस्म की बहुत सी तिकड़मों का रहता है। अमरीका में जहां पर कानून का पालन बड़ा कड़ा है, वहां पर बड़ी-बड़ी कंपनियों को भी अपनी छोटी-छोटी टेक्नालॉजी, डिजाइन, और सामान को लेकर पेटेंट दफ्तर जाना पड़ता है, और जरा-जरा सी चीज का पेटेंट करवाना पड़ता है। चूंकि वहां पर इस कानून को तोडऩे पर बड़े लंबे जुर्माने का नियम है, इसलिए लोग इसे तोडऩे से बचते हैं, और इसीलिए लोग तरह-तरह के पेटेंट करवाने में भी लगे रहते हैं ताकि उससे होने वाला हर किस्म का कारोबारी फायदा उन्हें अकेले ही मिले। लेकिन सैकड़ों बरस पुराने आम प्रचलन के एक शब्द पर कारोबारी एकाधिकार कुछ अधिक ही सामंती मांग है, और इससे यह भी तय होगा कि अमरीका का कानून ऐसे दूसरे मामलों में भी क्या रूख रखेगा।