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स्पेन का एक मामला, जिसे देखते हिन्दुस्तान में भी चर्चा की जरूरत
16-Apr-2023 4:37 PM
स्पेन का एक मामला, जिसे देखते हिन्दुस्तान में भी चर्चा की जरूरत

हिन्दुस्तान में बिखरे लहू से परे देखने के लिए दुनिया के दूसरे देशों में चला जाए। कई जगहों पर कई बातें पहली बार हो रही हैं, और इस कॉलम के नाम के मुताबिक उन पर लिखने की एक गुंजाइश बनती है। अब एक अटपटी और अनोखी खबर स्पेन से आई है जहां पर टीवी की एक मशहूर अभिनेत्री अना ओबरेगॉन ने अभी यह घोषणा की थी कि उसने अमरीका में सरोगेसी से एक बच्ची को जन्म दिलवाया है। इसके बाद उसने उस बच्ची को गोद भी लिया है जो कि कानूनी रूप से तो उसकी बेटी है, लेकिन शारीरिक रूप से उसकी पोती है।

ऐसा सचमुच ही इसलिए मुमकिन है कि उसका 27 बरस का बेटा कुछ अरसा पहले कैंसर से गुजर गया था, मरने के पहले 2020 में उसने अपने शुक्राणु अमरीका के एक स्पर्म-बैंक में रखवा दिए थे ताकि बीमारी से उबरने के बाद उनसे उसके कोई बच्चे हो सकें, या उसके गुजर जाने के बाद भी उनसे किसी चिकित्सा-तकनीक से बच्चे हो सकें। और मरने के एक हफ्ते पहले अपनी मां से भी उसने अपनी यह आखिरी इच्छा बताई थी। इसके बाद 68 बरस की मां ने अमरीका में सरोगेसी का यह इंतजाम किया, और अपने बेटे के शुक्राणु से यह बच्ची पाई। 

मानवीय रूप से यह बड़ी दिलचस्प कहानी होनी चाहिए थी, लेकिन स्पेन के इससे जुड़े हुए कानून हैरान करने की हद तक जटिल और उलझे हुए हैं। उनके चलते यह महिला, और इसकी पोती और बेटी, दोनों ही, यह बच्ची, दोनों कानूनों में उलझ गए हैं। 

इसे समझने की कोशिश करें तो स्पेन में सरोगेसी को गैरकानूनी करार दिया गया है क्योंकि यह माना जाता है कि यह एक महिला के बदन के साथ हिंसा है। लेकिन यह सरोगेसी अमरीका में हुई है जहां पर यह कानूनी है, उस पर कोई रोक नहीं है। लेकिन स्पेन के नागरिकों पर कुछ दूसरे तरह की कानूनी रोक और भी है, जिसके मुताबिक कोई भी व्यक्ति अपनी ही अगली पीढिय़ों के किसी वारिस को गोद नहीं ले सकते। लेकिन अना का कहना है कि यह बच्ची उसकी पोती नहीं है बल्कि उसकी बेटी है, और कानूनी रूप से वह उसकी मां है। अब स्पेन के कानून के मुताबिक किसी मृत व्यक्ति के शुक्राणुओं का इस्तेमाल मेडिकल-गर्भाधान में किया तो जा सकता है, लेकिन वह मौत के कुल 12 महीनों के भीतर इस्तेमाल हो सकता है, और उसके साथ यह शर्त है कि उसे किसी विधवा महिला को ही दिया जा सकता है। 

अब अना के यह कहने पर कि उसने अमरीका में सरोगेट मां को भुगतान किया है, स्पेन में बड़ा बवाल चल रहा है। वहां यह बहस चल रही है कि इस पर मुकदमा बनता है या नहीं बनता है। और मीडिया के सामने इस घोषणा के बीच जब पूछा गया कि क्या बेटे के शुक्राणु से यही एक बच्ची होगी, या और बच्चे भी होंगे, तो अना ने आगे की संभावनाओं को खारिज करने से मना कर दिया। मतलब यह कि अगर स्पेन में इसे लेकर कोई कानूनी मुकदमा होता है, तो हो सकता है कि वह आगे जाकर एक से अधिक मामलों पर लागू हो। 

कुछ लोगों का कहना है कि स्पेन का कानून जरूरत से ज्यादा जटिल बनाया गया है, जिसमें इंसानी जरूरतों का ख्याल नहीं रखा गया है। दूसरी तरफ कुछ लोगों का यह भी कहना है कि इस अभिनेत्री ने अपने मृत बेटे की अंतिम इच्छा को पूरा करने का जो बीड़ा उठाया, वह कुछ अधिक ही जटिल था, और उस इच्छा को कानूनी दायरे में कैसे पूरा किया जा सकेगा, इस बारे में उसने नहीं सोचा। अब स्पेन का कानून अपनी इस 68 बरस की अभिनेत्री, और उसकी बेटी/पोती के साथ क्या करता है, यह आगे दिखेगा। फिलहाल तो इसने सरोगेसी को एक चर्चित खबर में लाकर एक मुद्दा बनाया है जिस पर कुछ और बात हो सकती है। 

आज दुनिया में सरोगेसी को लेकर कई किस्म के कानून बन रहे हैं, अलग-अलग देश अपनी संस्कृतियों के हिसाब से कानून बना रहे हैं। हिन्दुस्तान को देखें तो यहां पर सरोगेसी से किसी के भी कमाई करने पर कड़ी कानूनी रोक है। कोई महिला किसी दूसरे के बच्चों को अपनी कोख में तभी रख सकती है, जब उसके मन में उनके लिए प्रेम हो। इसके लिए किसी तरह का भुगतान पाने की छूट नहीं है। 

भारत में 2022 में ही यह कानून बना ताकि कोख को किराए पर देने का काम न किया जा सके। अब स्वाभाविक तरीके से जिस जोड़े के बच्चे नहीं हो पाते हैं, और अगर सरोगेसी ही उनके लिए अकेली तकनीक रहती है, तो उन्हें सरकारी मेडिकल बोर्ड के पास जाना पड़ता है, और उनकी खुद की उम्र 25 से 50 बरस के बीच ही होनी चाहिए, उनके खुद के किसी भी तरह के बच्चे नहीं होने चाहिए, न खुद के पैदा किए हुए, न गोद लिए हुए, और न सरोगेसी से पाए हुए। उनकी मेडिकल रिपोर्ट उन्हें किसी भी किस्म की जेनेटिक बीमारियों से मुक्त बताने वाली होनी चाहिए। इसके अलावा सरकारी बोर्ड के सामने उन्हें सरोगेसी के लिए तैयार महिला का तीन साल का सेहत का बीमा पेश करना होगा। ऐसी महिला 25 से 35 बरस उम्र की ही होनी चाहिए, उसे शादीशुदा, तलाकशुदा या विधवा होना चाहिए, और उसके खुद के एक बेटे या बेटी का होना भी जरूरी है। यह उसका सरोगेट बनने का पहला मौका होना चाहिए, और किसी मनोचिकित्सक का सर्टिफिकेट भी होना चाहिए कि वह मानसिक रूप से इस काम के लिए स्वस्थ है। इसके बाद मेडिकल बोर्ड अगर मंजूरी देगा, तो ही कोई कृत्रिम गर्भाधान केन्द्र सरोगेसी में इनकी मदद कर सकेगा।
   
इस तरह की एक बड़ी जटिल व्यवस्था हिन्दुस्तान में है, जो कि अपनी कोख में दूसरों का बच्चा रखने वाली महिला को उससे कोई कमाई नहीं करने देती। अब सवाल यह उठता है कि अगर इस तकनीक और इस कानूनी कार्रवाई का खर्च उठाने वाला जोड़ा अगर भुगतान करने की हालत में है, तो भी सरोगेट मां कोई भुगतान नहीं ले सकती। सरकार का मानना है कि इस काम का व्यवसायीकरण नहीं होना चाहिए। लेकिन दुनिया में जो अधिक संवेदनशील, लोकतांत्रिक, और सभ्य देश हैं, वहां पर भी इसके लिए भुगतान का इंतजाम है जैसे कि अभी इस स्पेनी अभिनेत्री ने अमरीका में किया है। 

सरकार कानून तो बना चुकी है, लेकिन हिन्दुस्तान में हर बरस कुछ लाख महिलाओं को एक कानूनी कमाई हो सकती थी, उसकी संभावना सरकार ने खत्म कर दी। आज भी लगता यही है कि ऐसे एग्रीमेंट के पीछे, परदे के पीछे कोई भुगतान जरूर होता होगा, वरना कोई महिला मुफ्त में ऐसी तकलीफ और मेहनत से, और मानसिक उतार-चढ़ाव से क्यों गुजरेगी? लेकिन कानून ने भुगतान की संभावना को खत्म करके एक अटपटा काम किया है, और कानून की नजरों से परे दो नंबर के लेन-देन की एक गारंटी कर दी है। चूंकि हिन्दुस्तान की संसद पिछले बरसों में किसी कानून पर चर्चा करने की संभावना खो चुकी है, और अब महज बाहुबल से वहां काम हो जाता है, इसलिए बहुत से कानून ऐसे बनने का खतरा है, जो कि जायज नहीं होंगे, और हो सकता है कि उनमें से कुछ सुप्रीम कोर्ट तक जाकर खारिज भी हो जाएं। देश के तीन चर्चित किसान कानूनों को संसद से कानून बन जाने के बाद भी सरकार को वापिस लेना पड़ा। अब सरोगेसी की जरूरत वाले पति-पत्नी या प्रेमी जोड़े इतने एकजुट नहीं हैं, और संख्या में इतने अधिक नहीं हैं, और संभावित सरोगेट मां भी बेचेहरा हैं, इसलिए उस मुद्दे पर कोई संगठित मांग उठ भी नहीं सकती, और सांसदों के बीच इस पर कोई अधिक चर्चा भी नहीं हो सकती। लेकिन आगे चलकर भारत में सरोगेसी कानून की शर्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अगर कोई मामला जाएगा, तो हो सकता है कि वहां पर इसमें बदलाव आए। तब तक तो अपनी कोख देने वाली महिला को कोई आर्थिक मुआवजा या भुगतान पाने की गुंजाइश नहीं है। 

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

 

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