आजकल

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के अपार खतरों का अंदाज भी मुमकिन नहीं
04-Jun-2023 3:04 PM
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के अपार खतरों का अंदाज भी मुमकिन नहीं

कुछ लोगों को यह लग सकता है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के महत्व को कुछ अधिक गिनाया जा रहा है, उसके खतरे कुछ अधिक बताए जा रहे हैं, और दुनिया में उसे लेकर जरूरत से कुछ अधिक ही सनसनी फैली हुई है। लेकिन सच तो यह है कि कुछ कम्प्यूटरों में बंद ऐसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का रिसर्च उस तरह नहीं दिख रहा है जिस तरह कि अंतरिक्ष में जाते रॉकेट दिखते हैं, या हिरोशिमा पर गिरते हुए बम से तबाही दिखती है। कम्प्यूटरों पर चलने वाले ऐसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के हाथ में चाकू भी नहीं दिखता है, वह किसी कमांडो की तरह फौजी वर्दी में नहीं दिखता है, लेकिन वह दुनिया की सबसे बड़ी फौजी तबाही से भी बड़ी तबाही लाने की ताकत रखता है, और आज इसी काम में लगे हुए बड़े-बड़े दिग्गज लोग जब इस काम को रोक देने की मांग कर रहे हैं, इसके खतरे गिना रहे हैं, तो इस बारे में आम लोगों को भी सोचना चाहिए क्योंकि इससे अगर जिंदगी तबाह होगी, तो वह आम लोगों की भी होगी, पल भर में होगी, और उनके करने का कुछ रह भी नहीं जाएगा। 

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एक कम्प्यूटर में विकसित किया गया ऐसा दिमाग है जिसे बनाया तो इंसानों ने है, लेकिन खुद इंसानों को यह समझ आ गया है कि इस मशीनी दिमाग की सीखने की क्षमता इतनी अधिक है कि वह किसी भी पल इंसानी दिमाग को पार कर लेगा, या हो सकता है कि पार कर चुका हो। इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के काम में शुरू से लगे हुए दुनिया के बड़े-बड़े विशेषज्ञ और कारोबारी सब इस रिसर्च को तुरंत रोक देने की मांग कर रहे हैं। इसके पीछे के खतरों को समझने की जरूरत है। 

एक बात तो यह है कि इंसान का दिमाग एक जैविक दिमाग है, और उसके विकास की, सीखने की, एक क्षमता है। दूसरी तरफ आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस डिजिटल तकनीक से काम करने वाला दिमाग है जो कि बिल्कुल अलग तरह से काम करता है, विकास की उसकी संभावनाओं को इंसानी दिमाग की संभावनाओं से तुलना करके नहीं देखा जा सकता, दोनों की सीमाएं और संभावनाएं बिल्कुल अलग-अलग हैं। दूसरी तरफ इंसान की समझ के साथ-साथ उसके नीति-सिद्धांत, उसके सांस्कृतिक मूल्य, इंसानियत की उसकी फिक्र अपनी जगह है, और वह मानव-मस्तिष्क के विकास को लगातार प्रभावित भी करती है, और काबू में भी रखती है। लेकिन मशीनी दिमाग इनमें से किसी भी बात से पूरी तरह आजाद है। 

अब अगर किसी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को यह सूझने लगे कि दुनिया की सरकारें भ्रष्ट हैं, और भ्रष्टाचार न सिर्फ जुर्म है, बल्कि उसे खत्म भी होना चाहिए, तो मशीनी दिमाग यह भी तय कर सकता है कि तमाम सरकारी ओहदों पर बैठे लोगों को खत्म कर दिया जाए। अगर उसका दिमाग पूंजीवाद के खिलाफ हो गया, तो हो सकता है वह दुनिया के सबसे बड़े मुनाफाखोर कारोबारियों को उनकी कंपनियों सहित खत्म करना तय कर ले। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की विनाशकारी क्षमता इतनी अधिक रहेगी कि वह पल भर में पूरी दुनिया के बैंकिंग सिस्टम को खत्म कर दे, इंटरनेट को बैठा दे, तमाम फोन ठप्प कर दे, बिजलीघरों को बंद कर दे, ट्रेन और प्लेन की सारी जानकारी मिटा दे। हो सकता है वह दुनिया के तमाम अस्पतालों और चिकित्सा केन्द्रों के सारे रिकॉर्ड मिटा दे, पानी साफ करने वाले प्लांट ठप्प कर दे, कोई रसायन कई गुना अधिक मिला दे, सडक़ों पर ट्रैफिक चारों तरफ एक साथ लाल या एक साथ हरा कर दे। 

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बड़ी आसानी से दुनिया के बड़े से बड़े साइबर जुर्म करने का रास्ता निकाल सकता है, वह लोगों के ईमेल अकाउंट और सोशल मीडिया अकाउंट पर कब्जा कर सकता है, घुसपैठ कर सकता है, लोगों की गोपनीय बातों को उजागर कर सकता है, हर किसी के पासवर्ड निकालकर उसे पोस्ट कर सकता है जिससे दुनिया भर के निजी संबंध भी पल भर में तबाह हो जाएं। लोगों को याद होगा कि कई बरस पहले विकीलीक्स ने बहुत सी सरकारों के गोपनीय डिप्लोमेटिक संदेश उजागर कर दिए थे जिनसे देशों के आपसी संबंध खराब हो गए थे, और लोगों का एक-दूसरे पर से विश्वास टूट गया था। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बड़ी आसानी से यह काम और हजार गुना आगे तक बढक़र कर सकता है। 

आज लोगों के लिए यह कल्पना करना कुछ मुश्किल हो सकता है, लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जिस तरह आज नए एंटीबायोटिक बनाने में मदद कर रहा है, उसी तरह वह नए वायरस बनाने में मदद कर सकता है, और कोरोना जैसे सैकड़ों वायरस बनाकर जहां चाहे वहां छोड़ सकता है। उसके दिमाग में अगर यह बात बैठ जाएगी कि इंसान धरती के पर्यावरण को खत्म कर रहे हैं, और धरती को बचाने के लिए इंसानों को खत्म करना जरूरी है, तो वह बड़ी आसानी से अधिक से अधिक आबादी को खत्म करने की साजिशें बना सकता है। 

इस तकनीक के खतरे अपार हैं। इससे अफवाहें तैयार करके, झूठी सूचनाएं लोगों तक पहुंचाकर समाज और सरकार को, लोकतंत्र और जनधारणा को अस्थिर किया जा सकता है। दूसरी तरफ एक खतरा यह भी सूझ रहा है कि सरकारें इसे बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करके लोगों की हर किस्म की निगरानी कर सकती हैं। आज भी निगरानी करना सरकारों का एक बड़ा पसंदीदा हथियार रहता है, और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस एक निहत्थी सरकार को भी कमांडो या भाड़े के हत्यारे की तरह हथियारबंद कर सकता है। ऐसे में लोकतंत्र और आम लोगों की क्या हालत रहेगी, यह अंदाज लगाना मुश्किल नहीं है। 

लोगों को याद होगा कि एक ऐसी कहानी पहले लिखी गई थी कि जिसमें बहुत सा ज्ञान-विज्ञान पाकर कुछ लोग अस्थि-पंजर और मांस जोडक़र एक शेर बनाते हैं, और फिर उसमें प्राण फूंकते हैं तो प्राण पाते ही वह शेर इन्हीं बनाने वालों को खा जाता है। कुछ ऐसा ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के साथ हो सकता है कि वह अपने को बनाने वाले सबसे माहिर दिमागों को पहचानकर उन्हें सबसे पहले खत्म करे कि वे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को कभी खत्म करने का काम न कर सकें, कभी उस पर काबू न पा सकें। चूंकि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तमाम किस्म के सांस्कृतिक पूर्वाग्रहों से मुक्त रहेगा, उसकी अपनी कोई इंसानियत नहीं होगी, इसलिए वह दुनिया के भले और बुरे के अपने पैमाने तय कर सकेगा, और हो सकता है कि वह पर्यावरण को बचाने के लिए प्रदूषण फैलाने वाले संपन्न तबकों को खत्म करने का फैसला ले ले। 

दुनिया को ऐसे खतरे का खतरा समझना चाहिए, और तुरंत ही इस चीज पर रिसर्च को उसी तरह रोकना चाहिए जिस तरह मानव-लोनिंग को रोका गया है।  

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news