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एक दक्षिणमुखी मजार थी, अब दक्षिणमुखी हनुमान...
23-Apr-2023 3:55 PM
एक दक्षिणमुखी मजार थी, अब दक्षिणमुखी हनुमान...

विश्व हिन्दू परिषद की एक चर्चित नेता, साध्वी प्रज्ञा का नाम अक्सर ही नफरती खबरों के साथ आता है। उनका ट्विटर अकाऊंट उन्हें भगवा क्रांति सेना की राष्ट्रीय अध्यक्ष बताता है, और आरएसएस की महिला शाखा राष्ट्रीय सेविका समिति का सदस्य भी। उन्हें ट्विटर पर सवा तीन लाख से अधिक लोग फॉलो करते हैं, जिनमें बहुत से प्रमुख नेता, और टीवी पत्रकार भी हैं। इसलिए वे जो लिखती हैं, और पोस्ट करती हैं, उनसे गंभीरता से लेना ही चाहिए। 

अभी उनकी ताजा पोस्ट कल शाम की ही है जिसमें उन्होंने लिखा है- पिछले कुछ दिनों में भिवानी (हरियाणा) में विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं द्वारा अवैध मजारों को हटाकर मंदिर की जमीन खाली कराई गई है, इन जगहों पर मंदिर निर्माण के लिए अपने सामथ्र्य अनुसार आर्थिक सहयोग करने की कृपा करें। उन्होंने मजार की फोटो, मजार खोदकर हटाने की फोटो, और वहां पर उसी शेड में नया चबूतरा बनाकर बजरंग बली बिठा देने की तस्वीरें पोस्ट की हैं। अगर किसी प्रदेश में कानून का राज है, तो यह नौबत भयानक लग सकती है कि किसी एक धर्म से जुड़ी हुई मजार को इस तरह साम्प्रदायिक कार्रवाई से हटाकर, वहां पर बजरंग बली स्थापित किए जा रहे हैं, और उसका एक दावा भी किया जा रहा है। लेकिन जहां कानून का राज न हो, वहां इसे ही इंसाफ भी कहा जा सकता है। इस ट्वीट में साध्वी प्राची ने विश्व हिन्दू परिषद के बैंक अकाऊंट डिटेल्स भी दिए हैं जहां पर पैसा जमा किया जा सकता है।

यह जरूर है कि साध्वी प्राची की इस ट्वीट पर जहां कुछ लोगों ने तारीफ की है, वहीं बहुत लोगों ने इसकी आलोचना भी की है। कुछ हिन्दुओं ने लिखा है, विश्व हिन्दू परिषद क्या कोई इंफोर्समेंट एजेंसी है? ये कहो कि भाजपाई गुंडों ने जमीन कब्जा करके वहां भीख मांगने के स्पॉट बनाए हैं। एक और ने लिखा है- इन फर्जी ठेकेदारों के अनुसार कोई दलित मंदिर चला जाए तो मंदिर अपवित्र हो जाता है, लेकिन मजार तोडक़र कब्र के ऊपर बना मंदिर पवित्र होगा। एक ने लिखा है मजार थीं अवैध थीं, उनको कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा तोडक़र मंदिर बनाया जाएगा तो वे अवैध नहीं रहेंगे। एक और हिन्दू महिला ने लिखा है- तुम्हें बॉयकाट करने की अच्छी रकम मिलती होगी, खुद दे दो, हम सबसे क्यों मांग रही हो, एक धर्म को नीचा दिखाकर दूसरे को ऊंचा बताने वाले दोगले लोग नहीं हैं हम। एक ने लिखा है रोजगार और विद्या मंदिर को मत दो, मुफ्तखोरों को ही धर्म की आड़ में मंदिर बनाने को दो। एक सनातनी हिन्दू ने लिखा है- चार दीवारी और छत का खर्चा बच गया। एक और हिन्दू ने लिखा है- अब मंदिर अवैध नहीं होगा न प्राची ताई? एक ने लिखा है- क्या दिन आ गए हैं कि आज बीजेपी राज में मंदिर बनाने के लिए मजार तोडऩी पड़ रही है। 

एक और हिन्दू ने लिखा है अंधभक्तों मजारों में मूर्तियां स्थापित करके हिन्दू राष्ट्र बनाने में लगे हैं। एक ने लिखा है- इसे कहते हैं एक बीमारी हटाकर दूसरी बीमारी पाल लेना। एक हिन्दू ने लिखा है-बहुत ही सराहनीय काम किया है, अन्य प्रदेशों में बजरंग दल के भाई इससे प्रेरणा लें, और अवैध मजारें और मंदिरें ध्वस्त करें। एक और हिन्दू का लिखना है-ये ससुरे पढ़े-लिखे होते तो आज मजारों और मूर्तियों के पीछे पढऩे की जरूरत नहीं होती। एक ने लिखा है-रामनाम जपना पराया माल अपना, शायद यही तुम्हारा धर्म है। एक ने लिखा है-इतनी नीच सोच कैसी आती है तेरे दिमाग में। एक हिन्दू ने लिखा है-मैं किसी भी धार्मिक स्थल बनाने के लिए गाली के सिवाय कोई सहयोग नहीं दे सकता। एक और हिन्दू ने लिखा है-धर्म की दलाली मस्जिद हटाओ मंदिर बनाओ चंदाजीवी। 

हमने यहां पर मुस्लिमों की लिखी हुई टिप्पणियां नहीं लिखी हैं क्योंकि उनसे एक तनाव खड़ा हो सकता है। अब तनाव तो इन हरकतों से भी खड़ा हो सकता है जो कि साध्वी प्राची वहां कर रही हैं। लेकिन राज भाजपा का है इसलिए फिलहाल वहां कोई कुछ बोलते नहीं दिख रहा। लेकिन यह सोचकर तरस आती है कि बजरंग बली के नसीब में अब किसी मजार के ऊपर बैठना लिखा है। इस तथाकथित हिन्दू राष्ट्र में हिन्दी देवी-देवताओं के लिए जगह की मानो कमी पड़ गई है, और मस्जिद या मजार को तोडक़र उन्हें बिठाया जा रहा है। एक बार फिर यह याद दिलाने की जरूरत है कि सुप्रीम कोर्ट ने देश में हेट-स्पीच के खिलाफ जो कड़े हुक्म दिए हैं, वे ऐसी स्पीच पर भी लागू होते हैं जो कि साध्वी प्राची ने पोस्ट की है, और जो उनके साथ के बजरंगी वहां पर कर रहे हैं। अब यह सुझाना हमें खुद ही कुछ नाजायज लग रहा है कि सुप्रीम कोर्ट को ऐसे मामलों में दखल देनी चाहिए, और हरियाणा सरकार को कटघरे में बुलाना चाहिए। यह भी लगता है कि सुप्रीम कोर्ट को न्यायमित्रों की तरह देश में एक निगरानी कमेटी बनानी चाहिए जिसके लोग सोशल मीडिया और अखबार-टीवी पर नफरती बातों की निगरानी करें, और उन्हें अदालत के सामने रखते जाएं ताकि उन पर अफसरों और नेताओं से, और नफरती लोगों से जवाब-तलब हो सके। 

हिन्दुस्तान एक अभूतपूर्व साम्प्रदायिकता से गुजर रहा है, और न सिर्फ हिन्दूवादी ताकतें, बल्कि कांग्रेस जैसी धर्मनिरपेक्षता के दावे वाली पार्टी भी जगह-जगह अपने नर्म-हिन्दुत्व का प्रदर्शन करने के लिए एक पैर पर खड़ी दिखती है। कांग्रेस के बड़े दिग्गज नेता आपस में यह कहते दिखते हैं कि पार्टी पर से हिन्दूविरोधी होने का लेबल हटाना है। लेकिन ऐसा लेबल हटाते हुए ये बड़े-बड़े नेता जो कि गांधी और नेहरू के नाम का खाते हैं, वे मुस्लिमों को नामौजूद मानने पर उतारू हैं, और अपने कांग्रेसी होने का तो दावा करते ही हैं। यह नौबत इस देश को हिन्दू राष्ट्र की कोशिशों की तरफ बढ़ा रही है। ऐसा लगता है कि आज भाजपा और दूसरी हिन्दुत्ववादी ताकतें अगर भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने की घोषणा कर दें, तो आधे कांग्रेसी नेता उसके साथ रहेंगे कि कहीं ऐसा न करने पर उन्हें कम हिन्दू न समझ लिया जाए। लोगों ने धर्मनिरपेक्षता की रीढ़ की हड्डी निकलवाकर उसे दफना दिया है, और वे हिन्दुत्व की नदी के बहाव में सहूलियत के साथ बहते जा रहे हैं, जितनी सहूलियत से कोई मुर्दा बह सकता है, उससे अधिक सहूलियत से आज कांग्रेस के लोग बह रहे हैं। जाहिर है कि ऐसे में ईमानदारी से धर्मनिरपेक्ष रहने वाले लोगों को खुद कांग्रेस के भीतर हाशिए पर किया जा रहा है क्योंकि वे लुभावनी साम्प्रदायिक राजनीति की राह पर रोड़े से अधिक कुछ नहीं लग रहे हैं। 

हिन्दुस्तानी लोकतंत्र के आज के हालात में ऐसे कांग्रेसी नेता पार्टी को अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारी से हटा रहे हैं। ऐसा लगता है कि खुद राहुल गांधी आज कांग्रेस में ताकतवर नेताओं के बीच बिल्कुल अल्पसंख्यकों में रह गए हैं, और बहुसंख्यक लोग देश की बहुसंख्यक-साम्प्रदायिक राजनीति में शामिल हैं, और कांग्रेस में रहते हुए राहुल को बर्दाश्त भर कर रहे हैं। अगर राहुल गांधी अलग-अलग प्रदेशों में अपनी ही पार्टी के लोगों का नर्म-हिन्दुत्व बारीकी से देखेंगे, तो इस पार्टी से ही उनका मन भर जाएगा। लेकिन जिन लोगों को आज हिन्दुत्व की राजनीति एक बेबसी लग रही है, उसे करना सुहावना लग रहा है, वे लोग जान लें कि जिस दिन हिन्दुत्व के नाम पर लोगों को वोट देना रहेगा, वे हिन्दुत्व की खालिस पार्टी भाजपा को ही वोट देंगे, हिन्दुत्व की बी, सी, या डी टीम को नहीं। फिलहाल देश भर में ऐसी जो साम्प्रदायिकता हो रही है, उसमें चुप रहने वालों का नाम भी इतिहास में दर्ज हो रहा है, और वक्त की नदी में मुर्दों की तरह बहने वाले मौन लोगों का भी। आज सत्ता और राजनीति की हुआ-हुआ में समझदारी की बात बहुतों को सुनाई भी नहीं देगी, लेकिन इतिहास सबका हिसाब रखेगा। 

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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