संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : हत्यारी इजराईली तकनीकके खतरों को समझे दुनिया
02-Dec-2020 5:53 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : हत्यारी इजराईली तकनीकके खतरों को समझे दुनिया

ईरान में एक परमाणु वैज्ञानिक की सडक़ पर हत्या के तरीके से दुनिया की हिफाजत पर एक बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है। टेक्नालॉजी ने लोगों की जिंदगी पर एक अभूतपूर्व खतरा खड़ा कर दिया है। एक तरफ तो फौजों में हत्यारे मशीन मानव इस्तेमाल करने के खिलाफ दुनिया भर एक जागरूकता अभियान चल रहा है कि फौजी इंसानों को मारने के लिए मशीनों की तैनाती न की जाए। दूसरी तरफ ईरान की राजधानी तेहरान में इस वैज्ञानिक को जिस तकनीक से मारा गया है, वह बहुत भयानक है। 

खबरों में मिली जानकारी के मुताबिक यह हत्या इजराईल की बनाई हुई एक ऐसी ऑटोमेटिक गन से हुई है जिसे एक ट्रक पर तैनात करके रखा गया था, और इसे चलाने वाले कोई भी नहीं थे। यह गन अंतरिक्ष के एक उपग्रह से नियंत्रित थी, और उस उपग्रह को धरती से ही काबू किया गया था। इस तरह दुनिया के किसी भी हिस्से में बैठकर हत्यारे ने इस गन के साथ लगी दूरबीन से निशाने को देखा, और गोलियां चला दीं। इसके तुरंत बाद उस ट्रक को विस्फोटक से उड़ा दिया जिस पर यह गन लगाई गई थी। ऐसा माना जा रहा है कि कत्ल के बहुत ही पेशेवर अंदाज से, सारे सुबूत खत्म करने के हिसाब से यह काम किया गया। हालांकि ईरान ने इस कत्ल को इजराईल का काम बताया है, और इसका बदला लेने की घोषणा की है। सुबूतों से परे जनधारणा यह है कि ईरान की खुफिया एजेंसी मोसाद दुनिया में सबसे पेशेवर अंदाज से कत्ल करती है, और अमरीका की सीआईए भी इससे पीछे है। 

अभी दो दिन पहले बस्तर में नक्सलियों के बिछाए गए एक विस्फोटक की वजह से सीआरपीएफ का एक अफसर मारा गया, और कई लोग जख्मी हो गए। उस पर भी यह बात उठी कि दुनिया में जमीन के नीचे विस्फोटकों को लगाना बंद होना चाहिए। दुनिया के कई ऐसे देश हैं जहां पर जमीनी सुरंग लगाकर दुश्मन को नुकसान पहुंचाने का जाल बिछाया जाता है, लेकिन फौजों और आतंकियों से परे नागरिक उनके शिकार हो जाते हैं। जमीनी सुरंग, या लैंडमाईन, का इस्तेमाल पूरी दुनिया में बंद करने के लिए एक अलग अभियान चल रहा है, क्योंकि कुछ देशों में हजारों बेकसूर लोग अपने पैर खो बैठे हैं, और हजारों लोग जान खो बैठे हैं। 

जो टेक्नालॉजी परमाणु बमों जितनी खतरनाक नहीं है, उनसे भी नुकसान इतना हो रहा है कि वह इंसानी ताकत से रोकना मुमकिन नहीं है। टेक्नालॉजी और मशीनें जानलेवा होते चल रहे हैं, और ये हथियार व्यापक जनसंहार के हथियार भी नहीं है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि अगर तेहरान के इस ताजा कत्ल की तरह रिमोट कंट्रोल से मशीनगन चलाकर लोगों को ऐसे मारा जा सकता है, तो फिर मौके पर किसी कातिल का जाना भी जरूरी नहीं है, और उपग्रह के रास्ते किए गए ऐसे हमले के सुबूत भी ढूंढना आसान नहीं है। कत्ल करने और बर्बाद करने, तबाही लाने के औजार और हथियार बनाए तो इंसान ने हैं, लेकिन उनसे बचाव इंसान की क्षमता से बाहर हो चला है। अमरीकी राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी के कत्ल के बाद कातिल की शिनाख्त का सिलसिला चला, और फिर संदिग्ध कातिल को भी मार डाला गया था। उस वक्त तो केनेडी की राह पर किनारे की एक इमारत से गोली चलाई गई थी, और कातिल उस बंदूक के पीछे था ही। अब अगर दूर बैठे ऐसी बंदूकें चलने लगेंगी, तो किसकी हिफाजत हो सकेगी? 

दुनिया को इजराईल के बारे में फिलीस्तीन के साथ उसके किए जा रहे युद्ध-अपराधों के अलावा भी कई बातों के लिए सोचना चाहिए। लोगों के टेलीफोन और कम्प्यूटर पर घुसपैठ करने की जो टेक्नालॉजी इजराईल ने विकसित की है, और जिसकी वह पूरी दुनिया में बिक्री भी कर रहा है, उससे भी इंसानी जिंदगी में भारी तबाही आ रही है। जो सरकारें अपने विरोधियों और आलोचकों पर नजर रखना चाहती हैं, वे इजराईल की ऐसी तकनीक खरीदकर अपने नागरिकों के बुनियादी अधिकारों को कुचल रही हैं, और उनकी जासूसी कर रही हैं। अब इजराईल ऐसे-ऐसे हथियार बना रहा है जिससे गैरफौजी नागरिकों को भी युद्धकाल से परे भी इतनी आसानी से मारा जा रहा है। इजराईल एक परले दर्जे का घटिया कारोबारी देश है, और पूरी दुनिया में वहां के कारोबारी बदनाम हैं। ऐसे में उसकी कौन सी तकनीक, उसके कौन से हथियार सरकारों के अलावा मुजरिमों के हाथों में जा रहे होंगे इसका अंदाज लगाना मुश्किल है। 

हिन्दुस्तान जैसे देश के सुरक्षा अधिकारियों को अपने इंतजाम को इस कसौटी पर कस लेना चाहिए कि अगर तेहरान के ताजा कत्ल की तरह का कत्ल हिन्दुस्तान में किसी का किया जाएगा, तो सुरक्षा एजेंसियां उसे किस तरह रोक लेंगी? आज दुनिया में उपग्रह सिर्फ सरकारों के नहीं हैं, उपग्रह कारोबारियों के भी हैं। इनमें से कौन सा उपग्रह आतंकियों के काबू में आ जाए, और वे बंदूकों से परे भी कौन से दूसरे विस्फोटकों और हथियारों को रिमोट कंट्रोल से चला सकें, यह अंदाज लगाना अभी नामुमकिन है। लेकिन दुनिया की सरकारों को इजराईल के ऐसे विध्वंसकारी तकनीकी विकास के खतरों को समझना चाहिए। यह बेकाबू और मुजरिम देश अमरीकी शह पर संयुक्त राष्ट्र के खिलाफ जाकर भी फिलीस्तीन में ज्यादती जारी रखे हुए है, और अब ऐसी कातिल टेक्नालॉजी का इस्तेमाल भी करते दिख रहा है। इन खतरों को सभी को समझना चाहिए। क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

 

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