बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 29 जून। हाल में सूबे के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गौ अभयारण बनाने की मंशा व्यक्त की है। अब तक छत्तीसगढ़ में व्यापम, पीएससी सहित अन्य स्थानीय प्रतियोगी परीक्षाओं में राज्य के प्रथम गौ अभयारण, प्रथम पविहार एवं प्रथम खुला जेल पर प्रतिभागी यही अध्ययन करते हैं कि तीनों बेमेतरा जिले में हैं। किताबों तक सीमित इस पढ़ाई का यदि कोई साक्षात्कार करना चाहे तो उसे किताबों से भरोसा उठ जाएगा।
मंगलवार 25 जून को सुबह जब बेमेतरा जिले के गौ अभयारण्य का दीदार किया गया तो लगा की अभयारण की परिभाषा ही बदल गई है। मौके पर दो कर्मचारी गौ सेवा में लगे थे। स्वतंत्र विचरण करते गौ वंश को देखकर यही लगा की ये जीवित है यही उपलब्धि है। प्रभारी ने बताया कि 139 मवेशी फिलहाल गौ शाला आयोग की निगरानी में है।
पार्क से अभयारण्य तक का सफर
ग्राम झालम में भाजपा शासन काल में लगभग एक दर्जन ग्राम के किसान आवारा पशुओं की फसल चट करने से परेशान थे। इन किसानों को राहत देने वन विभाग ने बनैली पार्क बनाया। मंत्री दयालदास बघेल के प्रयास से यह कार्य पूर्ण हुआ। वन विभाग के पास जब फंड खतम हुआ तब इसे पशु चिकित्सा विभाग को सौंप दिया। इसके बाद कोई पांच साल पहले इसे अभयारण घोषित कर गौ सेवा आयोग के हवाले कर दिया गया। कोई डेढ़ दशक पूर्व जब पार्क बना तब जिन बनैली पशुओं को बेड़ा गया था उसमें से अब केवल तीन चार ही बचे हैं। बाकी यहां वे पशु है जिन्हे कत्ल खाने ले जाने से गौ सेवको ने बचाया है।
गौ अभयारण की राह आसान नहीं
ग्राम झालम में करोड़ों की लागत से मंडी बोर्ड ने, कार्यालय, आवास, पशु शेड सहित तमाम भवनों का निर्माण किया है। फिलहाल इन भवनों को गौ शाला आयोग ने अपने कब्जे में नहीं लिया है। गौ अभयारण तक बारिश में पहुंचना सभी के लिए संभव नहीं है। एक नाला जिस पर कोई रपटा ही नहीं बनाया गया, लगभग 500 मीटर तक पक्की सडक़ की दरकार है। कितने की लागत से क्या बना है कोई सूचना बोर्ड नहीं है।
मंडी बोर्ड के कार्य को अपूर्ण बताते हुए रजिस्टार डॉ. एन के चावला ने कहा कि झालम में अभी कार्य अधूरे हैं। सूचना बोर्ड पर गोल मोल जवाब देते नजर आए। गौ वंश की स्थिति पर वे आयोग के डॉक्टरों द्वारा जानकारी देने की बात कही। मंडी बोर्ड द्वारा किए गए सभी कार्यों को लेकर तालमेल नहीं है। यही स्थिति मौके पर है। गौ सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष राम सुंदर दास महाराज लगातार झालम का दौरा कर समय पर निर्माण कराने जुटे थे, फिर भी एक सुगम सडक़ मौके तक नहीं बनवा सके।