बेमेतरा

जिले में कास्तकारी पूरी तरह बारिश पर निर्भर
30-Jun-2024 5:05 PM
जिले में कास्तकारी पूरी तरह  बारिश पर निर्भर

जिले में रूठा मानसून, खेती पिछड़ रही, बोआई का आंकड़ा 10 फीसदी तक नहीं पहुंचा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 30 जून।
जून महीने की अंतिम तारीख तक भी इस बार जिले में मानसून पूरी तरह सक्रिय नहीं हुआ है। मानसून की सक्रियता की कमी की वजह से जिले में कास्तकारी पिछड़ते जा रही है। रोपा व बोता दोनों तरह से फसल बोने वाले किसानों को मौसम ने मायूस किया है।

जिले के बेमेतरा, साजा, बेरला व नवागढ़ ब्लॉक में बोआई का आकड़ा 10 फीसदी तक भी नहीं पहुंचा है। दूसरी तरफ जिले में नहर व अन्य माध्यमों से केवल 44 फीसदी रकबे में सिंचाई हो पाती है। जिले के तीनों तहसीलों से बारिश ने मंह मोड़ लिया है। जानकारी हो कि जिले में खरीफ फसल सीजन के दौरान इस बार प्रमुख फसल धान की पैदावारी 202980 हेक्टेयर निर्धारित की गई है। बीते खरीफ सीजन में धान की खेती कुल 202980 हेक्टेयर में की गई थी। बोता पद्धति से 178740 हेक्टेयर व रोपा पद्धति से 17400 हेक्टेयर में फसल ली गई थी। इस सीजन में अब तक फसल बोआई का काम केवल 10 फीसदी तक ही हो पाया है।

जिले में आधे से कम बारिश
जिले में इस बार 1 जून से लेकर 29 जून तक बेमेतरा, दाढ़ी, बेरला, भिभौरी, साजा, देवकर, थानखहरिया, नवागढ़ व नांदघाट में कम बारिश हुई है। जिले में औसत वर्षा 79 एमएम हुई है। जिले के इन तहसीलों में 10 साल के दौरान 1 जून से लेकर 29 जून के मध्य 1369 एमएम कुल बरिश हुई, जिसमें जिले का औसत 152 एमएम का रहा। इस बार 10 के औसत की अपेक्षा 52 फीसदी बारिश हुई है, जिसमे सबसे कम 34.3 एमएम बेमेतरा तहसील, बेरला तहसील में 43.6 एमएम व थानखहरिया में 46 एमएम बारिश हुई है। इन तीन तहसीलों में 29 दिन के दौरान 50 एमएम से भी कम बारिश हुई। तीनों तहसीलों में दस साल के औसत की अपेक्षा बेमतरा में 18, बेरला में 25 और थानखहरिया में 28 फीसदी बारिश हुई है। कम बारिष होने का सीधा असर इन तहसीलों में खेती पर पड़ा है। किसान मोहन साहू ने बताया कि इसी तरह की स्थिति रही तो खेती और पिछड़ेगी।

बारिश ही है सिंचाई
के लिए माध्यम

खरीफ सीजन के दौरान जिले के चारों ब्लॉक में करीब 2 लाख 3 हजार हेक्टेयर में धान की फसल ली जाती है। धान की खेती के लिए जिले के अधिकांश किसान बारिश पर ही निर्भर होते हैं। बारिश के अलावा ट्यूबवेल व नहर से सिंचाई वाले रकबे की संया कम है। खरीफ फसल सीजन के दौरान जलसंसाधन विभाग की 175 सिंचाई योजना में शामिल 91 जलाशय, 37 व्यपवर्तन, उद्गहन योजना से 3 व 44 एनीकट से 25938 हेक्टेयर में सिंचाई हो पाती है। बेरला क्षेत्र के किसानों को दुर्ग जिले के तांदुला जलसंसाधन उप संभाग की कुल 30 योजना से बेमेतरा जिले के 36270 हेक्टेयर में सिंचाई हो पाती है।

  बारिश का आंकड़ा
बेमेतरा तहसील -   34.3 एमएम
दाढ़ी तहसील - 99 एमएम
बेरला तहसील - 43 एमएम
भिभौरी तहसील - 96 एमएम
साजा तहसील -   107 एमएम
देवकर तहसील -   118 एमएम
थानखहरिया तहसील - 46 एमएम
नवागढ़ तहसील -   104 एमएम
नांदघाट तहसील -   71 एमएम
जिले में औसत बारिश -  79 एमएम, 10 साल की औसत बारिश - 1369 एमएम, अब तक हुई बारिश का प्रतिशत - 52 है।

रोपा लगाकर रखे हैं किसान तो कोई लेने वाला नहीं
जिन किसानों के पास सिंचाई की सुविधा है, उन्होंने पहले से ही रोपा लगाकर बेचनेे की तैयारी की है पर बारिश नहीं या कम होने की वजह से खेतों में पानी नहीं भरने की वजह से रोपा का काम ठप पड़ा हुआ है, जिसकी वजह से रोपा लेने वालों ने रूचि नहीं दिखाई है। बहरहाल खेती के लिए बारिश पर निर्भर खेती को बचाने के लिए आने वाला एक सप्ताह काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस अवधि में बारिश होने पर खेती में तेजी आ सकेगी।
 

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