राजपथ - जनपथ
पांच राज्यों के बाद पहला उप-चुनाव
चुनाव आयोग ने छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल की रिक्त विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव की तारीख तय कर दी है। प्रदेश में स्व. देवव्रत सिंह के निधन के बाद खैरागढ़ विधानसभा में चुनाव होना है। 17 मार्च यानी होलिका दहन के दिन से नामांकन दाखिले की प्रक्रिया शुरू होगी। 12 अप्रैल को वोटिंग और 16 को नतीजे आएंगे।
सन् 2018 के आम चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) की टिकट पर देवव्रत सिंह ने कड़े मुकाबले में भाजपा के कोमल जंघेल को 870 वोटों से परास्त किया था। अगर देवव्रत यह चुनाव जीत पाए तो इसका कारण उनका निजी प्रभाव भी था। बाद में उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि तकनीकी रूप से वे कांग्रेस में जा नहीं सकते हैं, पर वे कांग्रेस में ही हैं।
मौजूदा परिस्थिति बताती है कि सीधी टक्कर कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होगी। 2018 के बाद अब तक के उप-चुनावों में कांग्रेस को जीत ही मिली है। भाजपा और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे की 2 सीटों पर अब कांग्रेस के विधायक प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
वैसे भी आमतौर पर उप-चुनावों में सत्तारूढ़ दल भारी पड़ता है। पर हाल ही में उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों में भाजपा की जीत ने पार्टी कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा दी है। वह मानकर चल रही है कि उनकी स्थिति बीते दो उप-चुनावों से बेहतर रहेगी। बकौल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम, कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र के 90 फ़ीसदी से अधिक वादे पूरे किए हैं और सभी वर्गों का भरोसा बढ़ा है। विधानसभा उप-चुनाव, नगरीय निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव की तरह खैरागढ़ में भी कांग्रेस को ही जितायेगी। इधर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु देव साय का कहना है कि छत्तीसगढ़ के किसान कांग्रेस की नीतियों से नाराज है। उसका हश्र वही होगा जो पांच राज्यों में हुआ। यानि हाल के नतीजों से भाजपा छत्तीसगढ़ में भी बदलाव के प्रति आशान्वित है।
बहरहाल जैसा कि प्राय: होता है कांग्रेस में टिकट के दावेदारों की संख्या ज्यादा है। स्व. देवव्रत सिंह की पूर्व पत्नी पद्मा देवी ने खुले तौर पर दावेदारी कर ही दी है। वे विभा सिंह के खिलाफ खुलकर आ चुकी हैं। जबलपुर में रहने वाली देवव्रत की बहन स्मृति भार्गव ने बीते दिनों टीएस सिंहदेव से मुलाकात की और अपनी इच्छा जाहिर की। चुनाव हारने वाले पूर्व विधायक गिरवर जंघेल, प्रोफेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष उत्तम ठाकुर, ब्लॉक अध्यक्ष यशोदा वर्मा, कांग्रेस के जिला महामंत्री रंजीत सिंह चंदेल और दशरथ जंघेल जैसे कई नाम कांग्रेस से सामने आ रहे हैं।
भाजपा में कोमल जंघेल अपनी दावेदारी इसलिए मजबूत मानते हैं क्योंकि हार जीत का अंतर बीते चुनाव में काफी कम था। हालांकि वे दो चुनाव हार चुके हैं। जिला पंचायत के उपाध्यक्ष विक्रांत सिंह जो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के भांजे भी हैं का भी टिकट के लिए दावा है। छुई खदान इलाके के लोकेश्वरी जंघेल का नाम भी उभर कर सामने आ रहा है।
जो भी हो इस चुनाव का परिणाम यदि भाजपा के पक्ष में गया तो पार्टी में नई जान फूंकी जा सकेगी। पार्टी प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी के दौरों का भी परिणाम दिखेगा। कांग्रेस की जीत पर यह तय हो जाएगा कि पांच राज्यों के नतीजों से सरकार के प्रति लोगों का मोह भंग नहीं हुआ है।
देवगुड़ी की चिंता
बस्तर के उलनार में नया एयरपोर्ट बनाने की तैयारी चल रही है। इसमें निजी भूमि का भी अधिग्रहण किया जाना है। एयरपोर्ट बनने की खबर यहां रहने वाले आदिवासियों से पहले बिचौलियों को मिल गई। उन्होंने निकट भविष्य में मुआवजे की भारी रकम पाने का जुगाड़ कर लिया। पर ग्रामीणों की चिंता दूसरी है। पटवारी ने जो नाप जोख की है, उसमें उनके गांव की देवगुड़ी भी आ रही है। अब यह काम वाले वहां लगातार पहरा दे रहे हैं कि कहीं उनकी आस्था का स्थल ध्वस्त न हो जाए। प्रशासन की तरफ से उन्हें कोई आश्वासन देने के लिए नहीं पहुंचा है, जबकि नियम तो यही है कि गांव वालों की सहमति बिना न तो नाप-जोख होनी चाहिये न ही अधिग्रहण।
नाबालिगों के हाथ पिस्टल चाकू...
सरगुजा में कॉलेज के एक छात्र ने पहले छात्रा को गोली मारी और उसके बाद अपनी कनपटी पर कारतूस दाग ली। युवक की मौत हो गई और छात्रा की हालत गंभीर है। बीते 25 फरवरी को बिलासपुर में 10 नाबालिगों ने मिलकर दो नाबालिगों को चाकू से गोद डाला जिनमें एक की मौत हो गई, दूसरा घायल है।
हाल के दिनों में पूरे छत्तीसगढ़ में जिस तरह से चाकूबाजी और पिस्टल-कट्टा, लहराने, चलाने, रखने की घटनाएं हो रही हैं- वह चिंताजनक है। रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा और सरगुजा में बड़े पैमाने तस्करी से पिस्टल और चाकू लाए जा रहे हैं। राजधानी पुलिस ने बीते साल छानबीन में यह पाया था कि फ्लिपकार्ट और दूसरी ऑनलाइन शॉपिंग ऐप के जरिए बटनदार घातक चाकू मंगाए जा रहे हैं। कट्टा रिवाल्वर ज्यादातर बिहार से मंगाए जाते हैं। वहां के मुंगेर जिले को अवैध कट्टा-कारतूस बनाने का हब माना जाता है।
बड़ी बात यह है कि इन हथियारों से जुड़े आपराधिक मामलों में ज्यादातर नाबालिग हैं। राजधानी पुलिस ने एक साल में 290 चाकू बरामद किए हैं। कट्टा, रिवाल्वर, कारतूस, एयर गन के अलावा तलवार, गुप्ती, गंडासा भी भारी मात्रा में जप्त किए गए। जाहिर है जो पकड़ में आए केस उन पर ही बना, लेकिन वास्तविक खपत इससे कई गुना ज्यादा होगी।
अपराधिक वारदातों के हो जाने के बाद अपराधियों को गिरफ्तार तो पुलिस कर रही है। पर अपराधों का ग्राफ इससे बढ़ा हुआ दिखाई दे रहा है, जिस पर भाजपा सरकार को सदन के बाहर-भीतर बार-बार घेर रही है। अपराध ही न हो इसके लिए जरूरी है कि तस्करी ही रोकी जाए, और ऑनलाइन पार्सल पर पर भी निगरानी बढ़ाई जाए।