संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : कुछ उन्मादी शब्द दिला सकते हैं कई बरस कैद
25-Jan-2024 3:51 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय :  कुछ उन्मादी शब्द दिला सकते हैं कई बरस कैद

सोशल मीडिया पर धर्म से जुड़ी हुई कुछ आपत्तिजनक, भडक़ाऊ, या किसी धर्म के प्रति अपमानजनक पोस्ट का एक नया सैलाब सामने आया है। इसमें कई धर्मों के लोग शामिल दिख रहे हैं, और बहुत सी जगहों पर बड़ा सार्वजनिक तनाव भी इनको लेकर हुआ है, कुछ लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई हैं, और कम से कम एक मामले में एक नाबालिग को भी पकड़ा गया है। दरअसल हिन्दुस्तान में जब कभी धार्मिक भावनाओं का सैलाब आता है, या कोई धार्मिक उन्माद आता है, तो उसकी लहरें लोगों को बहाकर किसी दूसरे धर्म के खिलाफ भी ले जाती हैं, और फिर क्रिया की प्रतिक्रिया होने लगती है, और कई समुदायों के सबसे हिंसक और साम्प्रदायिक लोग अधिक सक्रिय हो जाते हैं, जाहिर तौर पर उनको यह अहसास रहता है कि ऐसे मौके उनके अपने अस्तित्व के लिए जरूरी रहते हैं, अस्तित्व को बनाने के लिए, और फिर उसकी मौजूदगी को साबित करने के लिए। ऐसे माहौल में किसी संदेश वाले ग्रुप में कुछ डाल देना, या किसी सोशल मीडिया पेज पर कुछ पोस्ट कर देना बड़ा तनाव खड़ा कर रहा है।

लेकिन हम इससे जुड़ी हुई कुछ दूसरी चीजों को मिलाकर ही आज इस पर चर्चा करना चाहते हैं। आज दुनिया में कोई भी बड़ी कंपनी, या सरकार के किसी संवेदनशील ओहदे पर अगर किसी की नियुक्ति होनी है, तो बड़ी कंपनियां, या कि सरकारी एजेंसियां सबसे पहले ऐसे उम्मीदवारों के सोशल मीडिया अकाऊंट खंगालती हैं कि इस व्यक्ति की सोच क्या है, वह साम्प्रदायिकता, अश्लीलता, और नैतिकता के पैमानों पर कहां खड़ा होता है, या कहां खड़ी होती हैं। अब मिसाल के तौर पर दो दिन पहले की ही एक खबर है कि ब्रिटेन के नागरिक एक भारतवंशी नौजवान, आदित्य वर्मा को स्पेन की पुलिस ने गिरफ्तार करके एक अदालत में पेश किया है। यह नौजवान 2022 में अपने दोस्तों के साथ लंदन से छुट्टियां मनाने निकला था, और उसने दोस्तों के समूह में यह संदेश पोस्ट किया था कि वह तालिबान का एक सदस्य है, और वह इस उड़ान के दौरान विमान को विस्फोट से उड़ा देगा। लंदन एयरपोर्ट पर वाई-फाई नेटवर्क ने इस संदेश को पकड़ा, और इस विमान के उड़ते हुए इसके साथ स्पेन की वायुसेना के दो लड़ाकू जेट विमान भी पहुंच गए जो कि इसके सुरक्षित उतरने तक साथ रहे। यह नौजवान उस वक्त 18 बरस का था, और गिरफ्तारी के बाद उसने इसे एक मजाक बताया, और अदालत ने उसे जमानत पर रिहा किया। बाद में ब्रिटेन लौटने पर वहां की खुफिया एजेंसियों ने उससे पूछताछ की, और अब वह विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते हुए भी स्पेन के मुकदमे और ब्रिटेन की जांच का सामना कर रहा है। ब्रिटिश एजेंसियों ने जब उसके फोन की जांच की, तो पाया कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ाईयों के बारे में सर्च करते रहता है, और इस इलाके में इस्लामिक स्टेट के हमले की संभावनाओं के बारे में भी सर्च और रिसर्च करता है। दोस्तों को भेजे गए एक संदेश से अब हालत यह है कि स्पेन इस नौजवान से करीब एक करोड़ हर्जाना मांग रहा है, जो कि उसके विमानों पर खर्च हुआ था। इस मामले में अभी फैसला आने वाला है। अब यह सोचें कि ऐसे मामले में फंसा हुआ यह नौजवान ब्रिटेन से डिग्री लेकर भी निकलेगा, तो यह बात किसी भी कंपनी या सरकार में नौकरी पाते हुए आड़े आएगी।

देश या दुनिया में जहां कहीं भी लोग नफरत या मजाक में इस तरह की बातें लिखते हैं, भेजते हैं, या पोस्ट करते हैं, वे आत्मघाती काम करने के अलावा कुछ नहीं करते। इससे उनकी जिंदगी का एक स्थाई नुकसान हो जाता है, और जब यह मामला सार्वजनिक साम्प्रदायिक तनाव का सामान बनता है, तो ऐसे लोगों का अपने खुद के इलाके में रहना भी मुश्किल हो जाता है, न उन्हें लोग काम पर रखना चाहते, और न ही उनके साथ कारोबार करना चाहते। दुनिया के बहुत से देशों में इन बरसों में कट्टरपंथी ताकतों की सत्ता पर वापिसी हो रही है, और वे अपनी विचारधारा के मुताबिक कानूनों और उन पर अमल को अधिक कड़ा बनाते चल रहे हैं। पश्चिम के कई देश मतदाताओं का इस तरह का रूझान देख रहे हैं, और आज की तारीख में फिलीस्तीन पर इजराइल का जो हमला चल रहा है, उसके पीछे इजराइली सरकार की नई सोच भी कुछ हद तक जिम्मेदार है, और इजराइल के इतिहास की यह अब तक की सबसे कट्टरपंथी सरकार है। ऐसे में दुनिया के किसी एक देश में एक भडक़ाऊ सोच को आगे बढ़ाने वाले लोग दुनिया के दूसरे देशों में भी अछूत हो सकते हैं। किसी देश के वीजा के लिए, कहीं पर पढ़ाई में दाखिले के लिए, या नौकरी और कारोबार के लिए अर्जी देने पर तमाम चौकन्ने देश लोगों को सोशल मीडिया पर खंगाल डालते हैं, और इंटरनेट पर यह ढूंढ लेते हैं कि उनके बारे में कौन-कौन सी नकारात्मक खबरें मौजूद हैं। 

इसलिए हिंसक, भडक़ाऊ, साम्प्रदायिक, सोशल मीडिया पोस्ट या संदेश देश के कानून के शिकंजे में भी आ सकते हैं, और बाकी दुनिया भी ऐसे लोगों को हमेशा के लिए अछूत मान सकती है। जो पढ़े-लिखे, या समझदार, या शातिर लोग खुद अपने हाथों को साफ रखते हुए अपने समर्थकों, या भाड़े की भीड़ को नफरत और धर्मान्धता, या हिंसक धमकियां फैलाने के काम में झोंककर रखते हैं, वे अपने खुद के बच्चों को इस काम से दूर सुरक्षित रखते हैं। इसलिए आम लोगों को यह समझना चाहिए कि सार्वजनिक जीवन और सोशल मीडिया पर किसी भी तरह की गैरजिम्मेदारी दिखाते ही वे अपने भविष्य को भी बर्बाद करते हैं, उनका वर्तमान तो किसी पुलिस या जांच एजेंसी के हाथों अदालत तक पहुंचकर बर्बाद हो ही जाता है। अब यह सोचें कि साम्प्रदायिकता फैलाने वाले लोग अगर विदेशों में बसे हुए अपने बच्चों के पास जाना चाहें, और उन्हें वहां की सरकारें साम्प्रदायिकता की वजह से वीजा देने से मना कर दें, तो क्या वे ऐसे भविष्य की कीमत पर भी हिंसा और साम्प्रदायिकता फैलाना चाहते हैं? फिर लोगों को यह भी याद रखना चाहिए कि किसी देश-प्रदेश की सरकारें अगर उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं भी कर रही हैं, तो भी हो सकता है कि देश-प्रदेश की कोई अदालत किसी दिन अपनी जिम्मेदारी का अहसास करे, और सरकारी अनदेखी से परे जाकर सीधे इनके खिलाफ जुर्म दर्ज करवाए। इसलिए लोगों को तात्कालिक धार्मिक उन्माद पर सवार होकर हिंसक और नफरती बातें नहीं करना चाहिए। कुछ नेता तो ऐसा करके बच भी निकलते हैं क्योंकि उनके पास अदालत को गुमराह करने के लिए देश के सबसे महंगे वकील रहते हैं, लेकिन आम लोग कुछ लापरवाह शब्दों को पोस्ट करके, या किसी वीडियो पर कहकर अपनी जिंदगी के कई बरस जेल में गुजारने का खतरा मोल ले लेते हैं। लोगों को अपने बच्चों को भी ऐसे खतरों से आगाह करना चाहिए। 
(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)  

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