संपादकीय
महतारी वंदन योजना के आदेश जारी होने के बाद सोमवार से फार्म जमा करने महिलाओं की भीड़ बढऩे लगी है। तस्वीर / ‘छत्तीसगढ़’
छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने विधानसभा चुनाव में पार्टी घोषणापत्र की सबसे लोकप्रिय साबित हुई महतारी वंदन योजना का खुलासा किया है, और जल्द ही प्रदेश की महिलाओं को इसका फायदा मिलने लगेगा। विधानसभा चुनाव में जब भाजपा ने हर विवाहित महिला को एक हजार रुपये महीने देने का वायदा किया था, तो कुछ तो इसका खुद का असर हुआ, और कुछ भाजपा संगठन ने तेजी से इसके फॉर्म भरवाने शुरू कर दिए थे। वोटरों पर इसका असर देखकर कांग्रेस के तकरीबन हर उम्मीदवार ने और हर बड़े नेता ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लेकर राहुल गांधी तक यह बात पहुंचाई थी कि भाजपा की इस घोषणा का कोई काट नहीं है, और इसका मुकाबला किए बिना चुनाव जीतना नामुमकिन होगा। लेकिन कई रहस्यमय वजहों से कांगे्रस ने प्रचार का लंबा वक्त खो दिया, और जब इससे सवाए भुगतान की घोषणा कांग्रेस ने की, तो वह दीवाली और बाकी त्यौहारों के बीच खो गई, और भाजपा की जीत के पीछे छत्तीसगढ़ महतारी का सबसे बड़ा हाथ माना जा रहा है। अब पिछले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह सवाल खड़ा किया है कि हर विवाहित महिला को महतारी योजना का फायदा देने के वायदे के बाद अब राज्य सरकार इसे लागू करते हुए आयकर दाता परिवारों और शासकीय कर्मचारियों को इससे बाहर कर रही है, जो कि वायदाखिलाफी है। भूपेश बघेल ने चुनाव प्रचार के दौरान कुछ नेताओं के बयान भी गिनाए हैं जिनमें हर वर्ग की हर महिला की बात कही गई थी।
आज देश में जनता के पैसों से जनता के कुछ चुनिंदा तबकों को रियायत या फायदा देने की बात खूब चर्चा में है, और सुप्रीम कोर्ट तक यह मामला पहुंचा हुआ है कि रेवड़ी या तोहफा भी कहे जाने वाली ऐसी रियायतों पर क्या सीमा लगाई जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों, चुनाव आयोग, और सरकारों से भी राय मांगी है। देश के अपेक्षाकृत संपन्न तबके का मानना है कि उससे लिए गए टैक्स से गरीब जनता को अनुपातहीन अधिक मदद की जाती है। ऐसे में अदालत से जो भी फैसला हो, राजनीतिक दलों में कोई सहमति बने या न बने, यह सवाल तो उठता ही है कि जनता के खजाने से किस तबके को कितनी रियायत दी जाए।
देश में जब रसोई गैस पर सब्सिडी थी, उस वक्त भी हमारा यह मानना था कि आयकरदाता, और अधिक कमाई वाले दूसरे तबकों को इसका फायदा नहीं मिलना चाहिए। इसी तरह जब किसान कर्जमाफी का काम पिछली भूपेश सरकार ने किया था, तब भी हमने लिखा था कि यह कर्जमाफी सिर्फ जरूरतमंद किसानों को मिलनी चाहिए, और संपन्न बड़े किसानों को इस छूट से बाहर रखना चाहिए। आज महतारी योजना के बारे में भी हमारा यही कहना है कि गरीब महिलाओं तक तो इसका फायदा ठीक है, जो संपन्न तबका है, उसे हजार रुपये महीने पर अपनी नीयत क्यों खराब करनी चाहिए? राज्य सरकार ने जो सीमा तय की है, वह इस हिसाब से भी ठीक है कि आज अगर किसी महिला को वृद्धावस्था, या विकलांगता जैसी कोई भी सामाजिक पेंशन मिल रही है, तो उसे ऐसी पेंशन की रकम काटकर ही महतारी वंदन का एक हजार रुपया महीना दिया जाएगा। जब एकदम ही गरीब, समाज की सबसे ही कमजोर तबके की, सामाजिक पेंशन पर जिंदा महिलाओं के साथ भी ऐसी कटौती हो रही है, तो भाजपा को उसके चुनावी नारे का ताना देना ठीक नहीं है। चुनाव प्रचार में कई तरह की बातें की जाती हैं, लेकिन जब खुलासे से उसकी योजना बनती है, तो वह जनता के खजाने के साथ इंसाफ वाली होनी चाहिए। महतारी वंदन योजना के लिए तय की गई सीमा ठीक है, जिन महिलाओं के जीवन में हजार रुपये महीने से फर्क नहीं पड़ेगा, उन्हें यह मिलना भी नहीं चाहिए। और यही नहीं, इसी राज्य की नहीं, भाजपा जैसे लोकतंत्र की राशन की योजना, इलाज की योजना, इन सबके साथ ऐसी शर्त जुडऩी चाहिए कि जिन तबकों को रियायत की जरूरत नहीं है, उन्हें यह न मिले। सिर्फ एक नारे की तरह कोई रियायत ऐसी लागू न हो जिसमें करोड़पति लोगों का भी इलाज का कार्ड बन जाए।
चुनावी वायदों की बात अगर करें, तो हमने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान इस बात को बार-बार उठाया कि कांग्रेस पार्टी ने 2018 के विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में प्रदेश की महिलाओं से जो सबसे बड़ा वायदा किया था, उस शराबबंदी के वायदे को सरकार ने छुआ भी नहीं, शराबबंदी की उसकी नीयत भी नहीं थी, और अगर ईडी की बात को सही माने तो पांच बरस कांग्रेस सरकार ने अवैध शराब का इतना बड़ा कारोबार किया कि उसमें हजारों करोड़ की कमाई सत्ता से जुड़े लोगों ने खुद कर ली। ऐसा माना जाता है कि कांग्रेस के 2018 के चुनाव घोषणापत्र में शराबबंदी का वायदा ऐसा था जिसने महिला मतदाताओं को प्रभावित किया था। और लॉकडाऊन जैसा एक लंबा दौर बिना शराब के जी लेने वाली जनता को देखकर भी कांग्रेस सरकार ने शराबबंदी नहीं की थी। इसलिए चुनावी वायदों को एक सीमा से अधिक महत्व नहीं दिया जा सकता, और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार ने प्रदेश की अधिकतर विवाहित महिलाओं के लिए महतारी वंदन योजना लागू कर दी है, जो कि चुनावी वायदे पर तेज रफ्तार अमल है। हम देश की सभी सरकारों से यह सिफारिश करेंगे कि रियायतों की तमाम योजनाओं में बारीकी से ऐसे फिल्टर लगाने चाहिए कि सिर्फ जरूरतमंद तबके तक फायदा पहुंचे। सरकार को एक ऐसी कमेटी बनानी चाहिए जो कि अपात्र संपन्न लोगों को फायदे से बाहर करने के तरीके ढूंढे, इसके बिना जनता के पैसों से बना हुआ, सरकारी खजाना कहे जाने वाला पैसा बर्बाद होते रहेगा। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)