संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : भारत के आतंक-आरोपियों के दूसरे देशों में कत्ल का असर घर और बाहर अलग-अलग
09-Apr-2024 4:30 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय :  भारत के आतंक-आरोपियों के  दूसरे देशों में कत्ल का असर घर और बाहर अलग-अलग

एक प्रमुख और प्रतिष्ठित ब्रिटिश अखबार द गार्डियन ने चार दिन पहले एक खोजी रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें उसका कहना था कि पाकिस्तान में भारत सरकार के हुक्म से आतंक के आरोपियों का कत्ल किया गया है। इस अखबार ने भारत और पाकिस्तान के खुफिया सूत्रों के हवाले से यह कहा था कि पाकिस्तान में चुनिंदा लोगों को खत्म करने के पीछे भारत की एक व्यापक रणनीति है जो कि विदेशी जमीन पर भारत के खिलाफ आतंक करने वाले लोगों को निपटा रही है। पिछले कुछ अरसे में कनाडा और अमरीका में भी कुछ ऐसे खालिस्तानी आंदोलनकारियों को अज्ञात हमलावरों ने संदिग्ध तरीके से मारा था, और इसके बाद पाकिस्तान में भी एक-एक करके कई ऐसे लोग मारे गए जो कि भारत में हुई आतंकी घटनाओं से जुड़े बताए जाते हैं। कनाडा की संसद में सरकार की तरफ से यह आरोप लगाया गया था कि उसकी जमीन पर भारत की खुफिया एजेंसियों से जुड़े ऐसा कत्ल हुआ है जिसके विश्वसनीय सूत्र कनाडा की सरकार को मिले हैं। इसे लेकर दोनों देशों के बीच भारी तनातनी भी हो गई थी, और दोनों ने दूसरे देश के दूतावास के लोगों में कमी करवाई, और भारत के छात्रों का कनाडा पढऩे जाना, और भारत के कामगारों का वहां काम करने जाना भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है। अमरीका के साथ भी भारत की ऐसे ही एक हमले को लेकर तनातनी सामने आ चुकी है। गार्डियन की इस ताजा रिपोर्ट को लेकर जब अमरीकी विदेश विभाग के प्रवक्ता से पूछा गया तो उसका कहना था कि वे इन रिपोर्ट को देख रहे हैं, और दोनों पक्षों से बस यही अनुरोध करते हैं कि वे तनाव से बचें, और बातचीत से समाधान ढूंढें। पाकिस्तान इसके पहले पिछले बरस वहां दो अलग-अलग हत्याओं की तोहमत भारत के खुफिया एजेंट्स पर लगा चुका है, और उनके नाम के भी आरोप उसने लगाए थे। पाकिस्तान में ऐसे कई दूसरे लोग छुप गए हैं जिनके बारे में भारत सरकार पाकिस्तान से यह शिकायत करती रही है कि वे भारत में हुई आतंकी घटनाओं के जिम्मेदार हैं। 

भारत के ये तेवर हाल के बरसों के ही हैं, इसके पहले भारत का नाम दुनिया के दूसरे देशों में अपने दुश्मन करार दिए गए लोगों को खत्म करवाने जैसे काम के लिए जुड़ा नहीं रहता था। अब तक किसी देश से पुख्ता सुबूत नहीं आए हैं, लेकिन कनाडा और अमरीका ने बड़ी नाराजगी जरूर जाहिर की है। दुनिया में भारत की एक अलग किस्म की छवि इससे बन रही है कि अमरीका या इजराइल अकेले ऐसे देश नहीं है जो कि अपने देश के दुश्मन लोगों को दूसरे देशों में जाकर भी निपटाते हों। भारत सरकार भी ऐसा करने में सक्षम है, और कर रही है, ऐसा एक संदेश बिना शब्दों में कुछ कहे हुए चारों तरफ जा रहा है। सरकार ऐसी किसी बात का खंडन नहीं कर रही है, और देश के भीतर सरकार समर्थक जितने किस्म की ताकतें हैं, वे उन्हें भारत के नए बाहुबलि का शक्ति प्रदर्शन साबित करने में लगी हैं। दूसरे देशों में ऐसी हर हत्या के साथ ही भारत में सत्ता-समर्थक तबके की प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर देखने लायक रहती है, और सरकार इस पर कुछ नहीं कहती, जो कि एक किस्म से मौन सहमति का लक्षण है वाली बात दिखती है। 

दुनिया के कई ऐसे देश हैं जो कि अपने दुश्मनों को निपटाने के लिए भाड़े के हत्यारे जुटाकर कत्ल करवाते हैं। कुछ मामलों में कुछ देशों के खुफिया जासूस या फौजी कमांडो भी ऐसा करते हैं, लेकिन आमतौर पर सरकारें दूसरी जमीन पर कत्ल का जिम्मा लेने से बचती हैं। दुनिया के इतिहास का ऐसा सबसे बड़ा कत्ल पाकिस्तान में ओसामा-बिन-लादेन का हुआ था जिसने कि अमरीका के न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की जुड़वां इमारतों को अपने विमानों के हमले से खत्म करवा दिया था। इसके जवाब में बरसों तक तलाश के बाद अमरीका का कहना है कि उसे पाकिस्तान में एक जगह ओसामा-बिन-लादेन का ठिकाना पता लगा, और उसकी फौज ने पाकिस्तान को बताए बिना वहां घुसकर लादेन को मारा, और उसे समंदर में कहीं दफन कर दिया। कहने के लिए पाकिस्तान ने इसे अपने देश की सीमाओं में अमरीकी दखल माना, लेकिन ऐसा लगता है कि वह विरोध एक जुबानी जमाखर्च ही था, और पाकिस्तान की न तो अमरीका का विरोध करने की औकात थी, और न ही उसकी कोई नैतिक ताकत थी कि बरसों से ओसामा के पाकिस्तान में छुपे रहने के बाद वह कुछ भी बोल सके। 

अभी यह मामला एक बार फिर गर्म होते इसलिए दिख रहा है कि भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने द गार्डियन की उसी खबर को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था कि अगर आतंकी भारत में हरकत करके पाकिस्तान भाग जाते हैं, तो भारत पड़ोसी देश में घुसकर उन्हें मारेगा। इसका विरोध करते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया था कि भारत की सरकार चुनावी फायदे के लिए ऐसा नफरती बयान दे रही है। पाकिस्तान ने कहा कि यह राजनाथ सिंह का यह बयान पाकिस्तान के अंदर हिन्दुस्तान द्वारा मनमाने ढंग से ‘आतंकवादी’ करार दिए गए नागरिकों की हत्या के बारे में भारत के दोषी होने की मंजूरी है। पाकिस्तान ने कहा कि भारत को उसके गैरकानूनी कामों के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय जवाबदेह ठहराए। 

इस बारे में दुनिया में सरकारों द्वारा करवाई जाने वाली हत्याओं की जानकार विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया की नजरों में इससे भारत की नैतिक ताकत कमजोर हुई है। दूसरी तरफ भारत के भीतर जनता के बीच सरकार-प्रशंसकों में इससे गर्व की एक भावना उठ खड़ी हुई है जो कि सत्तारूढ़ भाजपा के चुनावी फायदे की हो सकती है। कुछ विदेशी और कुछ भारतीय जानकारों का यह मानना है कि इससे भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक सख्त नेता की छवि बन रही है, और दूसरी तरफ दुनिया के दूसरे देशों को यह संदेश भी जा रहा है कि भारत के खिलाफ आतंकी सोच रखने वाले लोगों को किसी देश में अगर जगह दी जाती है तो भारत उसे बहुत आसानी से नहीं लेगा। अब सरकारों की किसी अधिकृत स्वीकारोक्ति के बिना उन पर तोहमत नहीं लगाई जा सकती, लेकिन भारत के खिलाफ कम से कम दो बड़े, प्रमुख, और महत्वपूर्ण देश, कनाडा, और अमरीका इस मुद्दे को उठा चुके हैं, और इन दोनों ही देशों में संसद या अदालत तक ऐसे मामले जा चुके हैं। भारत को इस बात का भरोसा हो सकता है कि अमरीका जैसे देश जो पूरी दुनिया में ऐसे हमले करवाते रहते हैं, उनका क्या नैतिक हक है कि वे भारत पर लग रही तोहमत को लेकर उसके खिलाफ कुछ करें। दूसरी तरफ पाकिस्तान आज कई मायनों में इतना कमजोर हो गया है कि वह भारत की ऐसी कार्रवाई होने पर भी उसके खिलाफ कुछ करने की हालत में नहीं है। गार्डियन की इस ताजा रिपोर्ट से अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत एक अनैतिक बाहुबलि की तरह दिख रहा है, जिसके विदेशी और घरेलू असर बिल्कुल अलग-अलग हैं।

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