संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : धोखा खाने के लिए तैयार बैठे हिन्दुस्तानी
19-Apr-2024 3:56 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय : धोखा खाने के लिए  तैयार बैठे हिन्दुस्तानी

हिन्दी फिल्मों की एक लोकप्रिय अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति, राज कुन्द्रा की करीब सौ करोड़ रूपए की संपत्ति ईडी ने जब्त कर ली है। उन पर एक कंपनी के नाम पर लोगों को एक क्रिप्टोकरेंसी, बिटक्वॉइन, का धोखा देने, और हजारों करोड़ की धोखाधड़ी में शामिल होने का आरोप है। इसके पहले भी इस आदमी का नाम पोर्नोग्राफी के मामले में आ चुका है, और उसे जेल जाना पड़ा था। इस बिटक्वॉइन जुर्म में पूंजीनिवेशकों को अंधाधुंध कमाई का झांसा दिया गया था। अब हम हिन्दुस्तान में कई किस्म के ऑनलाईन जुए, सट्टे जैसे धंधों को देखें, तो देश के कुछ सबसे मशहूर फिल्मी सितारे, और क्रिकेट खिलाड़ी उनका इश्तहार करते दिखते हैं। फेसबुक जैसे सोशल मीडिया को देखें तो उस पर देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों, बड़े-बड़े पत्रकारों के झूठे इंटरव्यू बड़े-बड़े अखबारों के झूठे वेबसाइट बनाकर डाले जाते हैं, और फेसबुक ऐसे धोखाधड़ी के इश्तहारों को रोकने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाता। यह संपादकीय लिख रहे संपादक ने ही फेसबुक पर ऐसे दर्जनों झूठे इश्तहारों के खिलाफ टिप्पणी की, लेकिन जिनसे कमाई हो रही है उन जालसाजों को भी बढ़ावा देने में फेसबुक की पूरी दिलचस्पी दिखती है। आधी सदी पहले इस देश में बहुत घटिया किस्म की कई पत्रिकाओं में तांत्रिक अंगूठी जैसे इश्तहार आते थे, जो कि जो मांगोगे वही मिलेगा का दावा करते थे, लेकिन सब जानते-समझते भी इन पत्रिकाओं ने कभी ऐसे इश्तहार नहीं रोके। अभी भारत सरकार ने ऑनलाईन सट्टेबाजी के इश्तहारों पर कानूनी रोक लगाई, उसके बाद भी देश के सबसे बड़े अखबार उस इश्तहार को छापते रहे, उनका कुछ बिगड़ा भी नहीं। आज लोगों के वॉट्सऐप नंबर अचानक क्रिप्टोकरेंसी बाजार में पूंजीनिवेश के नाम पर बनाए गए जालसाज समूहों में जोड़ दिए जाते हैं, और वहां पर दस-बीस नंबरों से यह वाहवाही पोस्ट होते रहती है कि इस समूह में उन्होंने किस रफ्तार से कमाई की है, और वे इस समूह के सलाहकार के कितने अहसानमंद हैं।

 
लोग सागौन का पेड़ लगाते हैं, और उसे बांस से अधिक रफ्तार से बढ़ते हुए देखना चाहते हैं, वे चाहते हैं कि साल पूरे होते न होते वे इस सागौन का फर्नीचर भी बना लें। लोगों को अपने पंूजीनिवेश पर अंतरिक्ष छूती कमाई की हसरत रहती है, और वे सामान्य समझबूझ को ताक पर धरकर एक सपने को पूरा होते देखने के लिए जुट जाते हैं। और वह सपना एक दु:स्वप्न साबित होता है, और लोगों का पूंजीनिवेश मिट्टी में मिल जाता है, नाली में बह जाता है। छत्तीसगढ़ इन दिनों दसियों हजार करोड़ रूपए के महादेव सट्टेबाजी ऐप की चर्चा से लदा हुआ है, और हिन्दुस्तान का डिजिटल विकास हर किस्म की साइबर-जालसाजी के लिए सबसे अधिक सहूलियत का साबित हो रहा है। हैरानी की बात यह है कि भारत सरकार के पास किसी साइबर-जुर्म को रोकने के लिए जितने किस्म के औजार हैं, वे इस्तेमाल होते नहीं दिखते, और झारखंड के एक गांव जामताड़ा में तो हर नौजवान ऑनलाईन मुजरिम बन चुके हैं। जगह की इतनी शिनाख्त होने के बावजूद सरकार वहां से रोजाना होने वाली दसियों हजार टेलीफोन कॉल पर कुछ नहीं कर पा रही जो कि सारी की सारी जालसाजी और धोखाधड़ी के लिए होती हैं। 
हम अपने आसपास भी लोगों को जालसाजी का शिकार होते देखकर हैरान होते हैं। अभी एक बैंक अफसर को किसी तांत्रिक ने यह झांसा दिया कि वह रात में श्मशान में नोटों की बारिश करवा देगा। और इसके झांसे में बैंक अफसर ने बहुत सा पैसा भी डुबा दिया। अब अगर बैंक अफसर को आसमान से नोटों की बारिश पर भरोसा हो रहा है, तो फिर कम पढ़े-लिखे लोगों को मोबाइल फोन और इंटरनेट के दूसरे औजारों और हथियारों से धोखा देना तो और अधिक आसान ही रहता होगा। यही हो भी रहा है। हैरानी की एक बात यह भी है कि सुब्रत राय सहारा सरीखे धोखेबाज देश भर के करोड़ों लोगों से  हजारों करोड़ रूपए इकट्ठे कर लेते हैं, और फिर जेल पहुंच जाने पर भी सुप्रीम कोर्ट से सीधे सौदेबाजी करते हैं कि उन्हें जेल में कारोबारी दर्जे की सहूलियत दी जाए ताकि वे अपनी कंपनी की संपत्ति बेचकर देनदारी चुका सके। देश का सबसे बड़ा धोखेबाज किस तरह देश की सबसे बड़ी अदालत के साथ सौदेबाजी कर सकता है, यह कानून के विश्वविद्यालयों में पढ़ाने के लिए एक शानदार मामला है। अगर आप बहुत ही बड़े धोखेबाज हैं, तो सुप्रीम कोर्ट आपको रियायतें देने के लिए सौदेबाजी में किसी भी हद तक नर्म पड़ सकता है। 

हिन्दुस्तान बड़ा ही अजीब देश है। यहां किसी को एक अनजाने कॉल पर यह कहकर धोखा दिया जा सकता है कि वे अगर वीडियो कॉल पर अपने कपड़े उतार दें तो सामने कोई लडक़ी भी अपने कपड़े उतार देगी। हर दिन देश भर में ऐसी कम से कम हजार रिपोर्ट दर्ज हो रही हैं, हर दिन कहीं न कहीं ऐसी खबर छप रही है, लेकिन अच्छे-खासे पढ़े-लिखे, शहरी लोग भी खुशी-खुशी इस झांसे में पड़ते दिखते हैं, और उसके बाद उनके पास के एक-एक पैसे को चूस लेने के लिए ब्लैकमेलर जुट जाते हैं। यह सिलसिला लोगों में तकनीकी और कानूनी जानकारी की कमी का हो न हो, यह लोगों में देह की भूख को आंखों से पूरा करने की अपूरित इच्छाओं का जरूर है। किसी की बदन को देख लेने की हसरत इतनी बड़ी है कि लोग उसके लिए खुद नंगे हो जाने पर आमादा रहते हैं। ऐसे लोगों को भला कौन बचा सकते हैं? और ब्लैकमेलरों के हाथों लुट जाने वाले भी ऐसे लोग आमतौर पर पुलिस के पास जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। 

भारत सरकार और प्रदेशों की सरकारों की नजरों के सामने धोखाधड़ी का यह सिलसिला लगातार जोर-शोर से जारी है, और देश की डिजिटल जागरूकता, जालसाजों के दिनदहाड़े, बीच सडक़ पर खोदे हुए गड्ढे में कूदने पर उतारू रहती है। बहुत से लोग ऐसी धोखाधड़ी में दो नंबर का पैसा भी लगाते होंगे, और इसलिए वे शिकायत करने नहीं जाते। देश की सभी सरकारों और एजेंसियों को कई किस्म की साइबर-जुर्म, और क्रिप्टोकरेंसी जैसे धोखे के खिलाफ बचाव और लोगों की जागरूकता की योजना बनानी चाहिए, वरना सौ मुजरिमों में से एक-दो पकड़ा जाएंगे, और इतना फीसदी ही पैसा भी वापिस मिल सकेगा।   (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)                       

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