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‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : अमर सिंह के लंबे जीवन से बहुत से सबक लेने चाहिए
02-Aug-2020 3:18 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : अमर सिंह के लंबे जीवन से बहुत से सबक लेने चाहिए

फोटो : पीटीआई

लंबे समय तक समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव से व्यक्तिगत रूप से जुड़े रहे, और पार्टी में आने-जाने, पार्टी की तरफ से संसद में आने-जाने वाले मौजूदा सांसद अमर सिंह कल गुजर गए। उनके जाने पर कुछ लोगों ने अफसोस भी जाहिर किया है। उनके एक वक्त के सबसे करीबी दोस्तों में से एक रहे अमिताभ बच्चन के ट्विटर पोस्ट को देखें तो उनसे कुछ कहते ही नहीं बना, और उन्होंने बस अपने झुके हुए चेहरे की तस्वीर पोस्ट कर दी थी, और आज सुबह अपने ब्लॉग पर दो लाईनें किसी फलसफे जैसी लिखी हैं। 

हमारा विश्वास एक अखबार के रूप में न श्रद्धांजलि में है, न अभिनंदन में। औपचारिकता के लिए न तो हम किसी के गुजरने पर इस अखबार के पन्नों पर उसकी स्तुति में कुछ लिखते, न ही किसी के 60 या 75 बरस के हो जाने पर उसके अभिनंदन में। लोगों का आना-जाना कुदरत का एक सिलसिला है, और उसे उससे अधिक गंभीरता से नहीं देखा जाना चाहिए। जिन लोगों को अमर सिंह की जिंदगी और उनके व्यक्तित्व के बहुत से सकारात्मक पहलू सूझ रहे हों, उन्हें भी अमर सिंह का एक सम्पूर्ण और समग्र मूल्यांकन करना चाहिए। जाने वाले लोग भी कई ऐसी बातों की मिसाल छोड़ जाते हैं कि क्या-क्या करना चाहिए, और उससे भी अधिक अहमियत इस बात की रहती है कि वे कौन सी बातों की मिसाल छोड़ जाते हैं कि क्या-क्या नहीं करना चाहिए। 

कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर अमर सिंह के बारे में लिखा है कि फिल्मी ग्लैमर, राजनीति की ताकत, और कार्पोरेट-दुनिया की दौलत, इन तीनों पर अमर सिंह की बराबरी की पकड़ थी। यह बात सही है कि उनकी पकड़ इन तीनों दायरों में थी, हिन्दुस्तान के बहुत से बड़े-बड़े कारोबारियों से उनके निजी रिश्ते थे, और राजनीति में वे जिस पार्टी में रहे, उससे परे के नेताओं तक भी उनकी पहुंच रही। कुछ ऐसे नाजुक मौके भी रहे जब संसद में कोई सरकार गिरने को थी, और अमर सिंह ने एक बहुत काबिल बिचौलिए की तरह कोई रास्ता निकाला, और सरकार को गिरने से बचाया। जब लोग अमर सिंह के बारे में अपमानजनक जुबान में बात करते थे, तो वे अपने आपको खुद होकर पॉवरब्रोकर या दलाल भी कह लेते थे। उन्हें हकीकत में इस बात का अहसास था कि वे क्या हैं। 

फिल्मी दुनिया का ग्लैमर उनके साथ ऐसा जुड़ा हुआ था कि आज उनके न रहने पर लोगों को यह याद रखना चाहिए कि अपने करीबी लोगों के बारे में कैसी बातें न सोचना चाहिए, न कहना चाहिए। अमर सिंह की टेलीफोन पर कही गईं फूहड़ और अश्लील बातों की रिकॉर्डिंग जब सामने आईं, तो उन्हें उनका प्रकाशन रोकने के लिए शायद सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा था। अमर सिंह इस बात की ठोस मिसाल हैं कि लोगों को लापरवाही से बातचीत करते हुए कैसी घटिया और गंदी बातें नहीं करना चाहिए। कैसे अपने करीबी लोगों की बेइज्जती करने वाली बातें नहीं करनी चाहिए। 

अमर सिंह की जिंदगी से सीखने का बहुत कुछ है। बहुत से लोग उन्हें देखकर और उनकी कही हुई बातों को याद करके यह भी सबक ले सकते हैं कि जिंदगी में इस किस्म के इंसान को लोगों को दोस्त क्यों नहीं बनाना चाहिए। खुद अमर सिंह के शब्दों में जिस अमिताभ बच्चन के परिवार की शादी में, शादी के कार्ड पर अमर सिंह के पूरे कुनबे का नाम घरवालों की तरह छपा था, उसी बच्चन परिवार की महिला के बारे में, बहू के बारे में, अमिताभ के बारे में अमर सिंह ने कैसी-कैसी घटिया बातें बार-बार कैमरों के सामने, सार्वजनिक रूप से नहीं कहीं? अपने दूसरे करीबी दोस्त मुलायम सिंह यादव के परिवार में फूट डालने की शोहरत अमर सिंह के नाम रही। यह तो उस परिवार का अपना सोचना होना चाहिए कि किसी के कहे वह फूटे कि न फूटे, लेकिन इस आदमी ने सार्वजनिक रूप से मुलायम-कुनबे के बारे में क्या-क्या अपमानजनक बातें नहीं कहीं, और बेटे को बाप से लड़वाने वाली बातें क्या-क्या नहीं कहीं, यह भी सोचने की जरूरत है। और हम किसी गॉसिप कॉलम में पढ़ी हुई बातें नहीं कह रहे हैं, हम खुद अमर सिंह के अनगिनत टीवी इंटरव्यू में देखी-सुनी बातों को कह रहे हैं। 

जो अमर सिंह अपनी बहुत ही करीबी फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा को लेकर टेलीफोन पर गंदी बातें करते रिकॉर्ड हुआ हो, जिसने बीबीसी के एक रेडियो इंटरव्यू में अमिताभ की बहू के बारे में लापरवाही से नाजायज अंदाज में बातें कही हों, वैसा दोस्त बनाने से लोगों को कैसे और क्यों बचना चाहिए, यह भी अमर सिंह की मौत के मौके पर लोगों को समझना चाहिए। 

किसी का गुजरना उसके परिवार के, करीबी लोगों के लिए तकलीफ की बात तो होती ही है लेकिन बाकी तमाम लोगों को ऐसे जाने वाले के बारे में तमाम बातों को याद करना चाहिए। भारतीय संसद और सरकार में, उत्तरप्रदेश की सरकार में, केन्द्र और राज्य दोनों जगह बहुत ही ताकतवर ओहदों पर रहने वाले मुलायम सिंह के परिवार में अमर सिंह ने जितनी ताकत भोगी है, और उसका जैसा-जैसा बेजा इस्तेमाल किया है, उसे अनदेखा करना अमर सिंह के साथ भी ज्यादती होगी। जो हिन्दुस्तान के सबसे मुंहफट लोगों में से एक रहा हो, उसे इस पर मलाल ही होगा कि उसे याद करते हुए लोग लिहाज करें। हमारा यह मानना रहता है कि जाने वाले किसी अतिरिक्त सम्मान के हकदार नहीं रहते, और अगर वे सार्वजनिक जीवन के प्रमुख व्यक्ति रहते हैं, तो वे एक खुले मूल्यांकन के हकदार जरूर रहते हैं। इसलिए अमर सिंह हमारी नजरों में एक ऐसी मिसाल बनकर गुजर गए हैं कि लोगों को कैसा-कैसा नहीं होना चाहिए, लोगों को कैसे-कैसे दोस्त नहीं बनाने चाहिए, और लोगों को अपने करीबी लोगों और परिवारों की निजी बातों को कैसे-कैसे सार्वजनिक नहीं करना चाहिए। आज के मौके पर अमर सिंह के परिवार के साथ हमदर्दी जताते हुए लोगों को उनके लंबे जीवन से ये तमाम सबक लेना चाहिए। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

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