बेमेतरा

जो किसी के महत्व को समझता है वही आगे बढ़ता है - अविमुक्तेश्वरानंद
15-Apr-2023 2:40 PM
जो किसी के महत्व को समझता है वही आगे बढ़ता है - अविमुक्तेश्वरानंद

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 15 अप्रैल।  बहुत दिनों से यह विचार किया जा रहा था कि सपाद लखेश्वर धाम सलधा में भगवान श्री शिव के महापुराण का वाचन किया जाए, लेकिन जब हम लोग यह सोचा करते थे तब तक कोई ना कोई भी विघ्न आ जाता था। एक बार तो मंडप भी लगा दिया गया, लेकिन चक्रवात आया और उड़ा कर के ले चला गया था। एक बार और मन बनाया तो देश में कोरोना आ गया।

लोगों ने कहा कि अब आप यात्रा नहीं कर सकते आगे नहीं जा सकते तो ऐसी परिस्थितियां बनती रही, जिसके कारण चाह करके भी इस पुराण का वाचन यहां पर नहीं हो सका प्रभु की इच्छा नहीं रही होंगी और अब प्रभु की इच्छा हैं। उक्त बातें जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने शिव महापुराण कथा के प्रथम दिवस कही।

इस दौरान बेमेतरा विधायक आशीष छाबड़ा, ब्रह्मचारी ज्योतिर्मयानंद, ब्रह्मचारी परमात्मानंद, ब्रह्मचारी केशवानंद, राकेश पांडेय, राम दीक्षित, दीपक, मनोज शर्मा, ललित विश्वकर्मा, लुकेश वर्मा, प्रवीण शर्मा, जेडी, टी आर साहू, लेखमणि पांडेय, जितेंद्र शर्मा, राज कुमार शर्मा, कृष्णा परासर, सनोज समेत हजारों भक्तों ने कथा श्रवण किया।

पूजा-अर्चना पश्चात जगतगुरु ने भक्तों को दिव्य दर्शन दिए

जगतगुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज के मीडिया प्रभारी अशोक साहू ने बताया पूज्यपाद शंकराचार्य मंगलवार सुबह भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजार्चन पश्चात भक्तो को दिव्य दर्शन दिए एवं भक्तो को चरणोदक प्रसाद दिए। तत्पश्चात दूर-दूर से आए भक्तों के धर्म संबंधित जिज्ञासाओं को दूर किए। दोपहर 3 बजे शिवगंगा आश्रम से लक्षेश्वर धाम कथा स्थल पहुंचे, जहा पंच कुण्डीय रुद्रमहायज्ञ स्थल का परिक्रमा कर कथा स्थल पहुंचे। जहां कृपापात्र शिष्य आशीष छाबड़ा विधायक बेमेतरा व यजमानों द्वारा चरणपादुका का पूजन किया गया। वहीं कवर्धा से आए घनश्याम आदिवासी ने अपने द्वारा रचित शिव वंदना का संगीत के धुन में गायन कर आशीर्वाद लिया। तत्पश्चात पंडित निखिल द्वारा कथा पूर्व बिरुदावली का बखान किया ततपश्चात शंकराचार्य ने राम संकीर्तन कर कथा प्रारंभ किए।

सपाद लखेश्वर धाम में सवा लाख शिवलिंग की होगी स्थापना

जगतगुरु ने कहा कि सपाद लखेश्वर धाम में भगवान शिव अपना रूप धारण करके अलग-अलग रूप, अलग-अलग नाम एक साथ हम सबकी आंखों में वे दृष्टिगत होंगे। कैसा उनका भव्य स्वरूप होगा। कल्पना करने पर ही आनंद आ जाता हैं, जब साक्षात भगवान हमारे सामने होंगे। किसी भी वस्तु का जब तक हमें महत्व पता नहीं होता तब तक हमारे लिए कोई भी चीज बड़ी नहीं होती। सवा लाख शिवलिंग यहां स्थापित होंगे, यह स्थापित होने से क्या होगा ? इसका महत्व जो समझ रहा है, वह तो आज बदल रहा है। इसे जो नहीं समझ रहा वह इसलिए बढ़ नहीं बढ़ा पा रहा।

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