राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : डिप्टी कहाँ बैठेंगे ?
14-Jul-2023 3:10 PM
राजपथ-जनपथ : डिप्टी कहाँ बैठेंगे ?

डिप्टी कहाँ बैठेंगे ?

विधानसभा के आखिरी सत्र में सदन की बैठक व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा है। चर्चा है कि सीएम भूपेश बघेल के बगल की सीट पूर्ववत खाली रहेगी, लेकिन डिप्टी सीएम बनने के बाद टीएस सिंहदेव अब रविन्द्र चौबे की सीट पर बैठेंगे। सत्ता पक्ष की दूसरी पंक्ति की पहली लाइन में चौबे, और सिंहदेव अगल-बगल बैठते थे। वो अब भी अगल-बगल बैठेंगे, लेकिन दोनों एक-दूसरे की जगह पर बैठेंगे। 

भूपेश कैबिनेट के नए मंत्री मोहन मरकाम अब डॉ. प्रेमसाय सिंह की जगह पर बैठेंगे। जबकि मंत्री पद से हटने के बाद डॉ.प्रेमसाय सिंह सत्तापक्ष के अन्य सदस्यों को साथ पहली पंक्ति में बैठेंगे। विधानसभा का चार दिनों के सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं।

सत्ता के खिलाफ लडऩा है, तो...

आईएएस नीलकंठ टेकाम इन दिनों उलझन में हैं। टेकाम ने वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति) के लिए आवेदन तो दे दिया है, लेकिन उनका वीआरएस अभी तक मंजूर नहीं हुआ है। वो केशकाल सीट से चुनाव लडऩा चाहते हैं। भाजपा के लोगों से उनकी बात भी हो चुकी है, लेकिन  वीआरएस मंजूर नहीं होने से वो राजनीति में सक्रिय नहीं हो पा रहे हैं। 

टेकाम की राजनीतिक महत्वाकांक्षा सरकार की जानकारी में भी है।  वैसे आवेदन करने के तीन महीने के भीतर वीआरएस मंजूर करने का नियम है, लेकिन टेकाम के खिलाफ कोई पुरानी जांच चल रही है। इस वजह से उनका वीआरएस मंजूर नहीं हुआ। उनकी आपत्ति इस बात को लेकर भी है कि उनसे जूनियर विशेष सचिव बन गए हैं, लेकिन उन्हें अभी तक प्रमोट नहीं किया गया है। अब सत्ता के खिलाफ  लड़ाई लडऩा है, तो समस्याओं का निराकरण आसानी से कैसे हो पाएगा। मगर टेकाम साब को ये बात 
समझाए कौन?

मंत्री के लोगों के तेवर 

मंत्री बनने से पहले ही मोहन मरकाम के कार्यकर्ता चार्ज हो गए हैं। इसका नजारा उस वक्त देखने को मिला, जब मरकाम के करीबी सरपंच-पंचों ने कोंडागांव में एक जनपद अफसर को खूब खरी खोटी सुनाई। 

बताते हैं कि मरकाम जब तक प्रदेश अध्यक्ष रहे, तब तक जनपद अफसर काम के लिए आने वाले पंच सरपंचों को घंटों बिठाए रखते थे। लेकिन जैसे ही मरकाम को मंत्रिमंडल में लेने की सूचना आई, करीबी पंच सरपंचों के तेवर बदल गए। और जनपद अफसर पर पिल पड़े। अफसर भी पूरे समय सफाई देते रहे। 

सत्ता का अपना अलग ही क्रेज होता है। तभी तो खाद्य मंत्री अमरजीत भगत, प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं हुए। जबकि चर्चा है कि भगत के लिए तो बाबा ने भी सहमति दे दी थी। खैर, मरकाम के अपने विधानसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता काफी खुश हैं। 

टमाटर छोडिय़े पुटु खरीदकर देखें..

टमाटर का पूरे देश में एक जैसा हाल है, रसोई घर से गायब हैं। अच्छे महंगे होटलों में भी सलाद और सब्जियों में इसका इस्तेमाल घट गया है। पर छत्तीसगढ़ के जंगलों से इस मौसम में इससे भी कई गुना महंगी सब्जी आ रही है और शान से बिक रही है। जंगली मशरूम जिसे पुटु कहते हैं इस समय 800 से 1000 रुपये किलो बिक रहा है। इसी तरह से लोकल खेकसी अभी आया नहीं है। इसकी कीमत 500 रुपये किलो तक हो सकती है। जिन्हें खाने का शौक है और जेब गवाही दे रहा हो तो वे इनका मूल्य नहीं देखते। महंगी होने के बावजूद बाजार पहुंचते ही कुछ घंटों के भीतर यह बिक जाती है। वजह, ये प्रचुर उत्पादन वाली सब्जियां नहीं हैं। खेकसी के मुकाबले बड़े आकार का खेकसा सस्ता होता है। उसी तरह से पैकेट में मिलने वाले मशरूम भी पुटु के मुकाबले सस्ते होते हैं। इसकी वजह यह है कि इनका व्यावसायिक उत्पादन किया जाता है। पुटु और खेकसी अपने आप उग जाते हैं, इसमें कठिन काम उगाना, देखभाल करना नहीं है, बल्कि जंगल में घूम-घूमकर बटोरना होता है।

बुदबुदाना स्वाभाविक है..

भाजपा जैसी धनवान पार्टी, और उसका कोष संभालने वालों की बात ही अलग होती है। ऐसे लोगों को चाय-बिस्किट देकर शेयर कर खाने कहा जाए, तो उनका बुदबुदाना स्वाभाविक है। दरअसल, पिछले दिनों महामंत्री संगठन, और प्रदेश कोषाध्यक्ष ने सभी जिलों के कोषाध्यक्षों की बैठक की। 33 में से 26 जिले के लोग आए। बस्तर से केवल दो। इन्हें बताया गया कि हर मंडल में 10-10 हजार रुपए दिए गए हैं भविष्य के आयोजनों के लिए। ये तो बात हुई संगठन के कार्यों की। दूर-दूर जिले से आए थे। उम्मीद थी बैठक में भाजपा के जैसा नाश्ता-खाना मिलेगा। मगर प्लेटें आई 13। उनमें चार-बिस्किट था। उसमें भी महामंत्री ने कहा हर दो के लिए एक प्लेट है शेयर करके खाएं। अब उन्हें कौन याद दिलाए कि पार्टी विपक्ष में है। 

एमपी में विपक्ष सिरे खारिज नहीं!

भर्ती में धांधली के आरोपों से कोई प्रदेश नहीं बचा है। हर जगह कड़ा परिश्रम करने वाले प्रतियोगी खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। मध्यप्रदेश में हाल ही में पटवारी परीक्षा हुई है। कांग्रेस नेता अरुण यादव ने एक सूची निकालकर बताया कि ग्वालियर चंबल संभाग के 10 शीर्ष उम्मीदवारों में 7 एक ही परीक्षा केंद्र से हैं। यह केंद्र एक भाजपा विधायक का कॉलेज है। टॉप 10 में 8 इसी संभाग के हैं। और भी कई गड़बडिय़ों की तरफ ध्यान दिलाया गया है। इस पर सुबह सवाल किया गया तो गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने किसी तरह के घोटाले और जांच से इंकार कर दिया लेकिन शाम को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसे गड़बड़ी मानते हुए नियुक्ति रोकने और जांच की घोषणा कर दी।

राजस्थान में पीएससी परीक्षा को लेकर बीजेपी सासद किरोड़ीमल मीणा ने कई दस्तावेज सामने लाए और बताया कि अनुभवहीन लोगों से प्रश्न पत्र तैयार कराए गए। भ्रामक सवाल किए गए। कई सवालों को परीक्षा लेने के बाद निरस्त किया गया और अब उत्तर पुस्तिकाओं की जांच प्रॉइवेट कॉलेज के टीचर्स कर रहे हैं, जबकि अनुभवी सरकारी प्राध्यापकों से जांच कराई जाती रही है।

छत्तीसगढ़ में भी भाजपा और आम आदमी पार्टी ने पीएससी के टॉपर और शीर्ष पदों में अफसरों, उद्योगपति, नेताओं के करीबियों के चयन को धांधली और भ्रष्टाचार बताया है। इधर, शिक्षक भर्ती में जितने लोगों ने परीक्षा नहीं दी, उससे अधिक लोगों को उत्तीर्ण दिखा दिया गया। न व्यापमं की ओर से कोई सफाई है और न पीएससी की ओर से। छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकारों ने खुद ही सामने आकर आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। बिना पड़ताल संबंधित संस्थाओं को क्लीन चिट देने में देरी नहीं की। पर भाजपा शासित मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह ने चुनाव के समय जोखिम उठाया है। उन्होंने विपक्ष की बात सुनी है और जांच का आदेश ही नहीं दिया बल्कि भर्ती रोक ही है। क्या छत्तीसगढ़ और राजस्थान में तथ्यों सहित लगाये जा रहे आरोप प्रारंभिक जांच के लायक भी नहीं है?

विधायकों की अदालत

मनेंद्रगढ़ विधायक डॉ. विनय जायसवाल पट्टा वितरण के लिए एक शिविर में पहुंचे तो ग्रामीणों ने शिकायत कर दी कि पटवारी 10-10 हजार रुपये रिश्वत लेता है। मंच के सामने ही पटवारी को खड़ा कर विधायक ने फटकार लगाई। रुपये वापस करने वरना सस्पेंड करा देने की धमकी दी। एसडीएम वहीं मौजूद थे। लोगों को विधायक का गुस्से में और पटवारी को हाथ बांधे चुपचाप खड़े देखकर अच्छा लगा। मगर बात यह है कि रिश्वत लेने की बात सामने आने पर तो भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत अपराध दर्ज होना चाहिए। ग्रामीण सामने आकर शिकायत कर रहे हैं तो एसडीएम को जांच करानी चाहिए। कुछ समय पहले इसी सरगुजा संभाग के एक और विधायक बृहस्पत सिंह ने एक थानेदार को फोन पर धमकाया था और रिश्वत के 50 हजार रुपये पीडि़त महिला को लौटाने कहा था, जो अपने बेटे को जेल से छुड़ाना चाहती थी। रिश्वत लेने वाले अधिकारी कर्मचारी इस तरह से डांट खाकर छूटते जाएंगे तो इसे भी अपनी ड्यूटी का हिस्सा मान लेंगे। दूसरी तरफ कानून सम्मत कार्रवाई होगी तब उन्हें और उसकी तरह रिश्वत लेने वाले दूसरे लोगों को सबक सिखाया जा सकेगा। पर विधायक रिश्वत को लौटाने की बात करके मामलों को रफा-दफा करने में लग जाते हैं। 

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