राजपथ - जनपथ
सरपंच से विधायक को खतरा?
चुनाव आने पर सरपंच किसी विधानसभा प्रत्याशी को अपने गांव का ही वोट तो दिला ही सकता है। कई सरपंच ऐसे भी होते हैं, जिनका आसपास के कई गांवों में प्रभाव होता है। राजनीतिक दल उनका समर्थन पाने के लिए खुशामद करते हैं। अब जब विधानसभा चुनाव नजदीक है, संभावित प्रत्याशी और विधायक इन ग्राम-प्रमुखों से संपर्क साध रहे हैं और अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रहे हैं।
कुनकुरी ब्लॉक के कुंजारा ग्राम की सरपंच सनमानी बाई भाजपा महिला मोर्चा की ब्लॉक अध्यक्ष भी हैं। 6 माह पहले एसडीएम ने धारा 40 की कार्रवाई करते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया। सरपंच ने अपर कलेक्टर की कोर्ट में आदेश के विरुद्ध अपील की। दो माह पहले सरपंच के पक्ष में फैसला आया। आदेश में था कि जनपद पंचायत के सीईओ उनकी बहाली का आदेश जारी कर प्रभार दोबारा उनको सौंप दें। पर सीईओ दो माह बीत जाने के बाद भी उन्हें कुर्सी वापस कर ही नहीं रहे हैं। भाजपा नेताओं ने सीईओ का दफ्तर कल घंटों घेरकर रखा, फिर भी आदेश नहीं निकला। एक बड़े अफसर के आदेश का पालन उनके नीचे काम कर रहे अधिकारी नहीं कर रहे हैं। वजह भी नहीं बता रहे हैं। आखिर ऐसी स्थिति क्यों पैदा हुई? जैसा सरपंच के समर्थक बता रहे हैं, विधायक नहीं चाहते कि चुनाव से पहले उक्त महिला सरपंच अपने पद पर दोबारा बैठे और अगर बैठना चाहती हैं तो पाला बदल लें।
कितने को निकालते रहेंगे?
कवर्धा में युवक कांग्रेस के एक जिला उपाध्यक्ष पर मारपीट करने का आरोप लगा। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर फैल गया। प्रदेश युवक कांग्रेस के अध्यक्ष आकाश शर्मा को जैसे ही इसका पता चला जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र जांगड़े को निलंबित कर दिया गया। उन्होंने एक जांच समिति भी बनाई जिसे 15 दिन में रिपोर्ट सौंपनी थी। पर समिति ने अपनी रिपोर्ट एक ही दिन में सौंप दी। रिपोर्ट मिलने के बाद जांगड़़े को बहाल कर दिया गया। पाया गया कि वे मारपीट में शामिल नहीं थे, बल्कि बीच-बचाव के लिए वहां पहुंचे थे। गौर की बात यह है कि हाल ही में बिलासपुर में भी युवक कांग्रेस के दो गुटों में जमकर झगड़ा हुआ था। दोनों पक्षों से चार पदाधिकारी निलंबित कर दिए गए थे। एक और जिला अध्यक्ष ने एक किसान को जान से मारने की धमकी दी, उसे भी निलंबित किया गया। हो सकता है कि कवर्धा के मामले में जांच रिपोर्ट सही हो। पर दूसरी बात यह भी है कि युवक कांग्रेसी तो युवा ही हैं, जोश रहता है। फिर सरकार भी अपनी है तो यह जोश बढ़ भी जाता है। सोचा गया होगा कि ऐसे में थोड़ी बहुत मारपीट हो रही हो इसे गंभीरता से लेने की क्या जरूरत है, वह भी तब, जब चुनाव नजदीक आ रहे हों और युवक कांग्रेसियों के बीच से भी टिकट का दावा ठोका जा रहा हो।
लिफ्ट में जातिवाद
यह तस्वीर गुडग़ांव की है जिसे किसी ने सोशल मीडिया पर शेयर की है। नौकरानी, डिलीवरी बॉय जैसे लोगों को अपार्टमेंट रहने वालों ने अछूत समझ रखा है। उन्हें उस लिफ्ट में चढऩे उतरने की छूट नहीं है। चलिये कम से कम यहां लिफ्ट चढऩे की छूट तो है। कई सरकारी दफ्तरों में तो लिखा रहता है- केवल अधिकारियों के लिए। यानि आम लोग और तीसरे चौथे दर्जे के कर्मचारी सीढिय़ों का इस्तेमाल करें।