राजपथ - जनपथ
इन्हीं हरकतों से 15 साल बाहर रहे
बात हफ्ते दो हफ्ते पुरानी है। राजधानी के च्वाइस सेंटर वाले पैन कार्ड बनाने के एवज में पांच हजार रुपए ले रहे हैं। पैन कार्ड को आधार से लिंक करने के दौर में फीस के नाम पर 5 हजार हर कार्ड पर वसूले जाते रहे। इस वसूली की शिकायत राजधानी के कांग्रेस नेताओं तक पहुंची। तो सभी लामबंद होकर आयकर कमिश्नर के पास वसूली रोकने के लिए आपत्ति दर्ज कराने पहुंचे।
साहब के साथ बैठक के पहले ही ये नेता आपस में उलझ गए। कारण यह कि पांच हजार में से कार्ड की फीस एक ही हजार है और चार हजार राज्य और नगर के नेताओं के नाम पर वसूले जा रहे। साहब ने एक वेंडर का ऑडियो भी सबूत के रूप में सुना दिया। फिर क्या था कि एक विधायक जी ने कहा कि इसी वसूली के कारण 15 साल बाहर रहे, और अब भी न बंद हुई तो 15 साल और ले लो। बस क्या था सब उल्टे पाँव लौट आए।
गलती वैल्युवर की नहीं..
प्रदेश के सरकारी विश्वविद्यालय में एमएससी गणित के सारे छात्र फेल हो गए। नतीजे आए, तो परीक्षार्थियों में गुस्सा स्वाभाविक था। उससे ज्यादा कुलपति महोदय खफा थे। वजह यह है कि विश्वविद्यालय की छवि पर आंच आ रही थी। कुलपति महोदय नए-नए आए हैं, और विश्वविद्यालय का शैक्षणिक स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कुछ कोशिश करते दिख रहे हैं।
नतीजे खराब आए, तो कुलपति ने उत्तर पुस्तिकाओं की फिर से जांच कराने के लिए मौखिक निर्देश दे दिए। कुल सचिव ने उत्तरपुस्तिकाएं बुलवाई, और कुलपति के सामने रखा। यह बात सामने आई कि विद्यार्थियों ने ही उत्तर गलत लिखा था। कुलसचिव खुद गणित में एमएससी किए हुए हैं। उन्होंने विद्यार्थियों की गलती बताई भी, लेकिन कुलपति नहीं माने। इसके बाद फिर से पेपर की जांच के लिए अन्य परीक्षकों को भेजा गया। दोबारा जांच के बावजूद नतीजे यथावत रहे। यानी सारे परीक्षार्थी फेल करार दिए गए।
दरअसल, कोरोना के दौरान घर से प्रश्न पत्र हल करने की छूट दी जाती रही है, और इसका विद्यार्थी काफी फायदा उठाते रहे हैं। ज्यादातर विषयों में तो शत प्रतिशत रिजल्ट रहा है। अब ऑफलाइन परीक्षा हो रही है, तो विद्यार्थियों की पोल खुल रही है।
थोड़ा सा अवसर मिला तो....
भाजपा ने हाल में दो कमेटियों का गठन किया। इसमें सदस्य नहीं बनाए गए नेताओं से दर्द छिपाए नहीं छिप रहा है। और जो कर्ताधर्ता बने हैं वो अपने तेवर दिखाने बाज नहीं आ रहे हैं। यह हम नहीं कल घोषणा पत्र समिति की पहली बैठक से बाहर निकले नये सदस्य कहने लगे हैं। बताते हैं कि पहले तो मुख्य और तीन अन्य संयोजकों ने आपस में बैठ कर सब कुछ तय कर लिया और फिर प्रभारियों के सामने बाकी 27 सदस्यों को फरमान सुनाया गया। घोषणा पत्र के लिए सुझाव लेने 15 समितियों का गठन का फैसला लिया गया।
मुख्य संयोजक ने तय किया वो दो संभाग जाएंगे। बाकी तीन, एक-एक संभाग में जाएंगे। इतना ही नहीं, मुख्य संयोजक इन तीनों के साथ भी जाएंगे, और तीन सहसंयोजक भी 15 कमेटियों के साथ जाएंगे। अब नये लोगों का कहना है कि ये लोग अपने फ्री टाइम में दौरे तय करेंगे। और सदस्यों को अपनी अपरिहार्य स्थिति के बाद भी जाने दबाव बनाएंगे। जो उचित नहीं।
मेसैज फारवर्ड कर मजे न लें...
सोशल मीडिया पर सूचनाओं की बाढ़ से अदालतें भी पीडि़त है। एक भाजपा नेता के प्रति मद्रास हाईकोर्ट का रुख उन सबके लिए नसीहत है जो घृणा फैलाने वाले, अपमान करने वाले पोस्ट को शेयर, रिट्टवीट या फारवर्ड कर देते हैं। वे यह कहकर नहीं बच सकते कि यह मेसैज किसी और का है। कोर्ट ने कहा है कि मेसैज आगे बढ़ाने का मतलब है कि आप उस पोस्ट से सहमत हैं। मेसैज इस तरह से आगे बढ़ाते रहने से ही उसके प्रभाव का स्तर कई गुना बढ़ता है। इस केस में महिला पत्रकारों के खिलाफ अपमानजनक बातें कही गई थी। बीजेपी नेता यह दलील देकर राहत पाने की कोशिश कर रहे थे कि मेसैज उनका नहीं है। उन्होंने इसे सिर्फ फारवर्ड किया है। कोर्ट ने यह भी पाया कि उक्त व्यक्ति ने पहली बार नहीं कई बार ऐसा किया है। अब विशेष अदालत में उसके खिलाफ दर्ज किए गए मामले खत्म नहीं होंगे और अदालती कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
इस समय सोशल मीडिया खासकर वाट्सएप पर लगातार ऐसे मेसैज आ रहे हैं जिसका उद्देश्य किसी खास नेता को महान बताना और किसी दूसरे की छवि धूमिल करना होता है। छत्तीसगढ़ में कुछ माह बाद विधानसभा चुनाव होंगे, उसके बाद आम चुनाव है। यह तो होना है कि ऐसी सूचनाएं और व्यापक पैमाने पर फैलाने की कोशिश की जाएगी।
छत्तीसगढ़ के हर जिले में पुलिस ने सोशल मीडिया निगरानी सेल बनाया है। पिछली बार चुनाव के समय इसकी मॉनिटरिंग कलेक्ट्रेट से हुई थी। ये अब भी काम कर रहे हैं। राजधानी रायपुर की पुलिस को सन् 2022 में जनवरी से दिसबंर तक की अवधि में फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्वीटर, वाट्सअप आदि पर आपराधिक, भडक़ाऊ, भ्रामक नाबालिगों के अधिकारों के हनन आदि के फेक न्यूज, फोटो, वीडियो वायरल करने की 468 शिकायतें मिली थीं। इनमें से 380 पर पुलिस ने कार्रवाई की। इनमें बहुत से आईडी फर्जी भी पाए गए। जाहिर है पुलिस को मिली शिकायतें बहुत कम हैं। वह भी तब जब ऑनलाइन शिकायत की सुविधा दी गई है। छत्तीसगढ़ पुलिस का एक समाधान ऐप भी है, जिसमें मोबाइल फोन से ही शिकायत की जा सकती है। इसके बावजूद लोग पुलिस के पचड़े में पडऩा नहीं चाहते, दूसरी ओर लोग ऐसे मेसैज आते ही फारवर्ड, शेयर करने के लिए उतावले रहते हैं।
मूर्ति की दुर्दशा
एक ऐतिहासिक घटना को दर्शाती दो महान विभूतियों की यह प्रतिमा लवन खरतोरा मार्ग पर बलौदाबाजार जिले में है। मूर्ति की जो दयनीय दशा है वह बताती है कि नगर के जनप्रतिनिधियों और यहां जिम्मेदार पदों पर बैठे अफसरों के मन में इनके प्रति कितना सम्मान है। शायद जयंती या पुण्यतिथि पर माला चढ़ाकर फोटो खिंचवाने का मौका आएगा तब इस तरफ नजर पड़ेगी।